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न्यूजीलैंड की नई संसद होगी विविधता की मिसाल

२० अक्टूबर २०२०

न्यूजीलैंड में गठित होने जा रही संसद आज तक की सबसे ज्यादा विविधता वाली संसद होगी. पहली बार किसी संसद में अश्वेत लोग, एलजीबीटीक्यू समूह के लोग, स्थानीय समुदायों के मूल निवासी और महिलाएं इतनी बड़ी संख्या में शामिल होंगे.

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न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न मूल निवासियों के समुदाय में खासी लोकप्रिय हैं. तस्वीर: Imago Images/AAP/B. McKay

आम चुनावों में जीत हासिल कर प्रधानमंत्री के रूप में देश की नई संसद का गठन करने जा रही जेसिंडा आर्डर्न यहां भी इतिहास रचने जा रही हैं. उनके नेतृत्व वाली सत्ताधारी लेबर पार्टी को इन चुनावों में भारी बहुमत मिला है. इस जीत का श्रेय कोरोना काल में प्रधानमंत्री आर्डर्न के बेहतरीन प्रदर्शन को दिया जा रहा है. गौर करने वाली बात यह है कि आर्डर्न के पास अपनी बहुमत वाली सरकार बनाने का विकल्प होने के बावजूद वह पूर्व सहयोगी दल ग्रीन पार्टी को अपने साथ लेकर चलना चाहती हैं.

उनकी लेबर पार्टी ने 120 में से 64 सीटें जीती हैं और विजयी सांसदों में भी आधी से ज्यादा महिलाएं हैं. उसके अलावा, मूल माओरी समुदाय के 16 सांसद चुन कर आए हैं. नई संसद के लिए पहली बार अफ्रीकी मूल के एक नेता इब्राहीम ओमार और श्रीलंकाई मूल की वानुषी वॉल्टर्स ने जीत हासिल की है.

देश की मासे यूनिवर्सिटी में ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज विभाग में प्रोफेसर पॉल स्पूनली का कहना है, "यह हमारी आज तक की सबसे विविधता वाली संसद होगी. लैंगिक विविधता के मामले में, सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों के मामले में और मूल निवासियों के प्रतिनिधित्व के मामले में भी."

विश्व स्तर पर देखा जाए तो भी इस संसद में रेनबो समुदाय (एलजीबीटीक्यू समूह) से आने वाले सबसे ज्यादा सदस्य होंगे. न्यूजीलैंड की 120 सीटों वाली संसद के करीब 10 फीसदी सदस्य घोषित रूप से लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल या ट्रांसजेंडर हैं. देश के वित्त मंत्री ग्रांट रॉबर्टसन भी घोषित तौर पर समलैंगिक हैं.

हाल ही में संपन्न हुए आम चुनावों में ग्रीन पार्टी के 10 सदस्य संसद में पहुंचे हैं. इनमें से भी अधिकतर महिलाएं, स्थानीय समुदाय के नेता या फिर एलजीबीटीक्यू समूह के लोग हैं. प्रोफेसर स्पूनली बताते हैं कि नई संसद में पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा युवा नेता हैं, जिनमें कई मिलेनियल भी हैं. मिलेनियल मोटे तौर पर उस पीढ़ी के लोगों को कहते हैं जो सन 1980 की शुरुआत से लेकर सन 2000 के बीच पैदा हुए हैं. प्रोफेसर स्पूनली बताते हैं कि इस बार देश ने संसद से ऐसे कई "बुजुर्ग और श्वेत सांसदों की विदाई देखी है जो 30 सालों से लंबे समय से संसद में बने हुए थे."

खुद प्रधानमंत्री आर्डर्न की विश्व पटल पर पहचान 2017 में ही बनी जब 37 साल की उम्र में न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री बनने वाली वह विश्व की सबसे युवा राष्ट्रप्रमुख बनीं. अब दूसरे कार्यकाल में उनसे उम्मीद लगाई जा रही है कि वह इतनी विविधता भरी संसद के साथ देश को और भी प्रगतिशील बनाएंगी. आर्डर्न को दुनिया भर में और खासकर उनके अपने देश में महिला अधिकारों की समर्थक, बराबरी और अलग अलग किस्म के लोगों को साथ लेकर चलने वाली आधुनिक नेता माना जाता है.

आरपी/एनआर (रॉयटर्स)

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