"नरक जैसी दुनिया" को जानने के लिए दो नए मिशन
३ जून २०२१अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बुधवार को शुक्र ग्रह के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए दो नए मिशनों की घोषणा की, जो पृथ्वी के "हॉटहाउस" पड़ोसी के वायुमंडल पता लगाने के लिए दशकों में पहला है. नासा के डिस्कवरी कार्यक्रम ने दो मिशनों के लिए पचास-पचास करोड़ डॉलर का बजट दिया है, जो 2028 और 2030 के बीच होगा. शुक्र के लिए अंतिम अमेरिकी नेतृत्व वाला मिशन 1978 में हुआ था. यह घोषणा अंतरिक्ष एजेंसी के मंगल ग्रह पर सफल मिशन के बाद हुई है, जिसमें नासा का रोवर मंगल के सतह पर सफलतापूर्वक उतरा और नासा के छोटे रोबोट हेलिकॉप्टर इंजेन्युइटी ने मंगल ग्रह की सतह पर उड़ान भी भरी थी.
शुक्र ग्रह पर क्यों जाना चाहता है नासा?
नासा के नए प्रशासक बिल नेल्सन के मुताबिक, "इन दो मिशनों का उद्देश्य यह समझना है कि शुक्र कैसे एक भट्टी जैसी दुनिया बन गया, जिसकी सतह सीसा को पिघलाने में सक्षम है." उन्होंने कहा, "मिशन पूरे विज्ञान समुदाय को एक ऐसे ग्रह की जांच करने का मौका देंगे जिसपर हम 30 से ज्यादा सालों से नहीं गए हैं." हालांकि मिशन का नेतृत्व नासा कर रहा है, जर्मन एयरोस्पेस सेंटर (डीएलआर) इन्फ्रारेड मैपर की आपूर्ति करेगा. इटली की स्पेस एजेंसी और फ्रेंच सेंटर नेशनल डी'ट्यूड्स स्पैटियल्स मिशन के लिए रडार और अन्य उपकरण मुहैया कराएंगे.
नासा के डिस्कवरी कार्यक्रम के मुख्य वैज्ञानिक टॉम वैगनर के मुताबिक, "यह आश्चर्यजनक है कि हम वास्तव में शुक्र के बारे में कितना कम जानते हैं. लेकिन इन मिशनों के संयुक्त परिणाम हमें ग्रह और उसके आकाश में बादलों से लेकर उसकी सतह पर ज्वालामुखियों के बारे में बता पाएंगे." वैगनर कहते हैं, "इन दो अंतरिक्ष मिशनों की मदद से इतनी जानकारी प्राप्त की जा सकती है कि यह लगभग शुक्र की दोबारा खोज जैसा होगा."
दो मिशनों के लक्ष्य क्या हैं?
दविंची+ (डीप एटमॉस्फियर इंवेस्टिगेशन ऑफ नोबल गैसेस, केमिस्ट्री एंड इमेजिंग) शुक्र के कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण की उत्पत्ति का पता लगाने की कोशिश करेगा. साथ ही यह भी पता लगाने की कोशिश होगी कि क्या शुक्र पर कोई समुद्र भी था. दविंची+ इसकी तीव्र ग्रीनहाउस गैसों के कारणों का पता लगाने की कोशिश करने के लिए ग्रह के तत्वों को मापेगा. नासा के प्रशासक ने कहा कि शुक्र पर भेजे जाने वाले दूसरे मिशन का नाम वेरिटास है, जो शुक्र की सतह पर कठोर चट्टान के नमूने प्राप्त करके इस पड़ोसी ग्रह के भूवैज्ञानिक विज्ञान को समझने में मदद करेगा. इसके जरिए यह समझने में मदद मिल सकती है कि यह ग्रह कैसे बना.
समान आकार और संरचना के कारण शुक्र को अक्सर पृथ्वी की बहन ग्रह कहा जाता है.
एए/सीके (एएफपी)