उत्तर कोरिया का महीनेभर में सातवां मिसाइल टेस्ट
३१ जनवरी २०२२उत्तर कोरिया की आधिकारिक कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) ने कहा कि रविवार को ह्वासोंग-12 मिसाइल का परीक्षण किया गया जिसका मकसद इसकी अचूकता का पता लगाना था. एजेंसी ने कहा कि मिसाइल के मुंह पर एक कैमरा लगाया गया था जिसने अंतरिक्ष से पृथ्वी की एक तस्वीर ली और अकैडमी और डिफेंस साइंस ने मिसाइल की अचूकता, सुरक्षा और प्रभाव की पुष्टि की है.
उत्तर कोरिया ने कहा कि मिसाइल को पूर्वी तट के ऐसे कोण से दागा गया था कि यह अन्य देशों के ऊपर से ना उड़े. इसके अलावा मिसाइल परीक्षण के बारे में और कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गई है.
फिर लौटी ह्वासोंग-12
दक्षिण कोरिया और जापान का आकलन है कि इस मिसाइल ने लगभग 800 किलोमीटर की दूरी तय की और यह 2,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद कोरियाई प्रायद्वीप और जापान के बीच समुद्र में गिर गई.
इन जानकारियों को आधार बनाय जाए तो 2017 के बाद से उत्तर कोरिया द्वारा यह अब तक का सबसे शक्तिशाली मिसाइल परीक्षण है. 2017 में ही देश ने ह्वासोंग-12 मिसाइल का पहला परीक्षण किया था. साथ ही अन्य कई लंबी दूरी की मिसाइलों का परीक्षण भी किया गया था जो उत्तर एशिया, पैसिफिक और यहां तक कि अमेरिकी क्षेत्रों में भी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम हैं.
ह्वासोंग-12 परमाणु हथियार को ले जाने की क्षमता रखती है. धरती से धरती पर मार करने वाली इस मिसाइल की अधिकतम दूरी 4,500 किलोमीटर है, यानी अमेरिका के गुआम तक यह आसानी से पहुंच सकती है. अगस्त 2017 में जब उत्तर कोरिया ने इस मिसाइल का परीक्षण किया था तब अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की सरकार थी. तब उत्तर कोरियाई सेना ने गुआम में आग लगा देने की धमकी दी थी.
एक महीने में सातवां परीक्षण
2017 में ही उत्तर कोरिया ने अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलों ह्वासोंग-14 और ह्वासोंग-15 का भी परीक्षण किया था, जिनके बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि वे अमेरिका की मुख्य भूमि तक पहुंचने की संभावित क्षमता रखती हैं. हाल के महीनों में उत्तर कोरिया ने कई तरह के हथियारों का परीक्षण किया है.
रविवार को हुआ परीक्षण जनवरी में ही सातवां परीक्षण है. इसी महीने में उत्तर कोरिया ने हाइपरसोनिक और पनडुब्बी से दागी जा सकने वाली मिसाइलों का भी परीक्षण किया है. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि परीक्षणों में हुई यह बढ़ोतरी इस बात का संकेत है कि देश के नेता किम जोंग उन अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद अपने हथियारों का आधुनिकीकरण करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं.
रविवार के परीक्षण के बारे में अमेरिका ने कहा है कि उत्तर कोरिया की हालिया गतिविधियां चिंता का विषय हैं. बाइडेन सरकार इन परीक्षणों का जवाब देने की तैयारी कर रही है लेकिन जवाब में क्या कदम उठाए जाएंगे, यह आने वाले दिनों में ही उजागर किया जाएगा.
दक्षिण कोरिया और जापान ने भी उत्तर कोरिया के नए परीक्षण की आलोचना की है और कहा है कि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा देश पर लगाए गए प्रतिबंधों का उल्लंघन है. दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जाए-इन ने कहा कि 2018 में उत्तर कोरिया ने खुद पर जो हथियारों के परीक्षण करने को लेकर पाबंदियां लगाई थीं, रविवार का परीक्षण उन पाबंदियों का उल्लंघन करने के कगार पर था.
वीके/सीके (एपी, रॉयटर्स)