म्यांमार: आंग सान सू ची को पांच साल की सजा
२७ अप्रैल २०२२सू ची के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के कई मामलों में यह पहला फैसला था, कोर्ट ने उन्हें भ्रष्टाचार के पहले मामले में दोषी पाया और उन्हें पांच साल जेल की सजा सुनाई. एक कानूनी अधिकारी ने कई समाचार एजेंसियों को सजा की पुष्टि की, लेकिन नाम बताने से इनकार कर दिया क्योंकि सू ची के खिलाफ मामले की सुनवाई बंद कमरे में हो रही थी.
सू ची पर यंगून शहर के एक पूर्व मुख्यमंत्री से छह लाख डॉलर और 11 किलोग्राम सोने की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था. कभी सू ची के विश्वासपात्र रहे प्यो मिन थिन ने अक्टूबर 2021 में गवाही दी थी कि उन्होंने सू ची को भुगतान किया था.
बुधवार को मिली सजा को पहले की सजा के साथ जोड़ने से सू ची की कुल 11 साल की सजा हो गई है. म्यांमार की सेना ने पिछले साल 1 फरवरी को सैन्य तख्तापलट कर दिया था और स्टेट काउंसलर सू ची और उनके सत्तारूढ़ एनएलडी के अन्य सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया था.
सू ची के खिलाफ क्या आरोप हैं?
76 साल की नोबेल विजेता सू ची पर म्यांमार में भ्रष्टाचार समेत दर्जनों मामलों में जांच चल रही हैं, जिनके तहत उन्हें सौ साल से ज्यादा की सजा भी हो सकती है. वह सभी आरोपों से इनकार करती हैं.
इससे पहले कोर्ट ने सू ची को वॉकी-टॉकी रखने के लिए आयात-निर्यात कानून का उल्लंघन करने के लिए दो साल की सजा और सिग्नल जैमर का एक सेट रखने के लिए एक साल की सजा सुनाई थी. इसके अलावा सू ची को अपने चुनाव प्रचार के दौरान कोरोना वायरस नियमों से जुड़े प्राकृतिक आपदा प्रबंधन कानून के उल्लंघन के आरोप में दो साल की सजा भी मिली थी.
सू ची के खिलाफ मुकदमा पिछले साल शुरू हुआ था. उनके खिलाफ सुनवाई बंद कमरे में हो रही है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा इसकी आलोचना की गई है. सू ची की कानूनी टीम भी विभिन्न प्रतिबंधों के अधीन है और प्रेस से बात करने के लिए स्वतंत्र नहीं है.
यूएन पर्यवेक्षक: चीन, रूस ने म्यांमार की सैन्य जुंटा को हथियार दिए
म्यांमार में उथल-पुथल
पिछले साल फरवरी में सैन्य तख्तापलट के बाद से म्यांमार में उथल-पुथल मची हुई है. सैन्य तख्तापलट के परिणामस्वरूप सू ची को सत्ता से बेदखल कर दिया गया और सू ची की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर दिया गया.
सू ची को तब से नजरबंद रखा गया है, लेकिन दोषी पाए जाने के बाद उन्हें एक अज्ञात स्थान पर रखा गया है. देश में लोकतंत्र समर्थक सैन्य सरकार और सैन्य अभियानों का विरोध कर रहे हैं. विरोध प्रदर्शनों में अब तक 1,700 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.
एए/सीके (रॉयटर्स, एपी, डीपीए)