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चांद पर पहले के अनुमान से ज्यादा पानी

२७ अक्टूबर २०२०

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चांद की सतह पर पानी की खोज की है. यह वह सतह है जहां सीधे सूरज की रोशनी पड़ती है. पहले के अनुमान के मुकाबले अधिक जगहों पर पानी की मौजूदगी हो सकती है.

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तस्वीर: Richard Addis

वैज्ञानिकों ने सोमवार, 26 अक्टूबर को पहली बार इस बात की पुष्टि की है कि चांद की सतह पर पहले के अनुमान के मुकाबले अधिक मात्रा में पानी मौजूद है. वैज्ञानिकों का कहना है कि पानी उस जगह पर मौजूद है जहां सीधे सूरज की रोशनी पहुंचती है. भविष्य के मानव मिशन के लिए इस पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है और इसका उपयोग पीने और रॉकेट ईंधन उत्पादन के लिए भी किया जा सकेगा. हालांकि पिछले शोध में चांद पर लाखों टन बर्फ के संकेत मिल चुके हैं जो कि इसके ध्रुवीय क्षेत्रों में स्थायी रूप से मौजूद है.

नेचर एस्ट्रोनॉमी में सोमवार को प्रकाशित दो नए अध्ययनों में चांद पर पानी की मौजूदी के स्तर को कहीं अधिक ऊपर पाया गया है. यूनिवर्सिटी ऑफ कोलाराडो के वैज्ञानिकों की टीम के सदस्य पॉल हाइन के मुताबिक चांद पर 40 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में बर्फ के रूप में पानी होने की संभावना है. उनके मुताबिक यह पहले के अनुमान से 20 फीसदी ज्यादा है.

इससे पहले सूरज की रोशनी पड़ने वाली सतह पर पानी की संभावना पर सुझाव दिए गए थे लेकिन पुष्टि नहीं की गई थी. मैरीलैंड में नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में फेलो केसी हॉनीबल के मुताबिक अणु इतने दूर-दूर हैं कि न तो तरल और न ही ठोस रूप में हैं. उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा,"स्पष्ट कर दिया जाए कि यह पानी का गड्ढा नहीं है."

नासा के विज्ञान मिशन निदेशालय में एस्ट्रोफिजिक्स विभाग के निदेशक पॉल हर्ट्ज ने कहा कि हमारे पास पहले से संकेत थे कि एचटूओ जिसे हम पानी के रूप में जानते हैं, वह चंद्रमा की सतह पर सूर्य की ओर मौजूद हो सकता है. उनके मुताबिक, "अब हम जानते हैं कि यह वहां है. यह खोज चंद्रमा की सतह की हमारी समझ को चुनौती देती है. इससे हमें और गहन अंतरिक्ष खोज करने की प्रेरणा मिलती है."

हर्ट्ज कहते हैं, "दक्षिणी गोलार्ध में स्थित सबसे बड़े गड्ढों में से एक क्लेवियस क्रेटर तक पहुंच मुमकिन हो. वहां की सतह सख्त हो सकती है जिससे चक्के और ड्रिल खराब हो जाए."

नासा पहले से ही 2024 में चांद की सतह पर एक पुरूष और पहली बार किसी महिला को भेजने की तैयारी में जुटा है. इस पूरी परियोजना पर 28 बिलियन डॉलर तक का अनुमानित खर्च हो सकता है. ताजा अध्ययन रोबोट्स और एस्ट्रॉनॉट्स की चांद पर संभावित लैंडिंग के स्थान को विस्तार देते हैं.

दूसरे अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने स्ट्रेटोस्फियर ऑब्जरवेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (सोफिया) की मदद ली है. नासा के मुताबिक सोफिया ने चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित, पृथ्वी से दिखाई देने वाले सबसे बड़े गड्ढों में से एक क्लेवियस क्रेटर में पानी के अणुओं का पता लगाया है. सोफिया नासा और जर्मन एयरोस्‍पेस सेंटर की साझा परियोजना है.

एए/सीके (एएफपी, एपी)

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