अब कैसीनो और जुए के जरिए पर्यटकों को लुभाएगी मेघालय सरकार
२५ अप्रैल २०२२कोविड के चलते बाहरी लोगों और पर्यटकों पर तमाम पाबंदियों के कारण मेघालय के पर्यटन उद्योग की कमर टूट चुकी है. इसलिए अब कर विभाग के मंत्री जेम्स पीके संगमा ने कहा है कि राज्य सरकार ने नया गेमिंग अधिनियम बनाया है. इसके बाद गेमिंग नियम, 2021 के तहत संचालकों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों संस्करणों में ऐसे खेल आयोजित करने के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे.
मेघालय तीरंदाजी पर आधारित जुए को वैध बनाने वाले पहले राज्यों में शामिल था. लेकिन अब यह ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के जुए को वैध बनाने वाला पूर्वोत्तर का तीसरा राज्य बन जाएगा. इससे पहले सिक्किम और नागालैंड ने भी विनियमित गेमिंग और सट्टेबाजी व्यवसायों की अनुमति दी है.
तीरंदाजी में सट्टा
मेघालय में सट्टे की परंपरा कोई नई नहीं है. यह 40 साल पहले तीरंदाजी में सट्टे को वैधता देने वाला देश का पहला राज्य बना था. खासी हिल्स तीरंदाजी खेल संघ तीरंदाजी पर आधारित लॉटरी शिलांग तीर का आयोजन करता है. 12 तीरंदाजी क्लब इस संघ का हिस्सा हैं. इस आयोजन के तहत 50 तीरंदाज शाम 3.45 बजे पहले राउंड में 30 और फिर 4.45 बजे दूसरे राउंड में 20 तीरों से निशाना साधते हैं. सट्टा लगाने वाले इस बात पर सट्टा लगाते हैं कि कुल कितने तीर निशाने पर लगेंगे. स्थानीय लोग राज्य भर में 1500 वैध तीर काउंटरों पर अपना दांव लगा सकते हैं.
कर विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि शिलांग तीर के माध्यम से वैध सट्टेबाजी ने वर्ष 2014-15 के दौरान 1.1 करोड़ और 2018-19 में लगभग दो करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया था. दूसरे राज्यों या विदेशों से आने वाले सैलानियों के दस्तावेजों की जांच के बाद ही उनको ऐसे खेलों या सट्टे में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी.
एक सरकारी अधिकारी बताते हैं कि शिलांग तीर को और फायदेमंद बनाने और इसे वैश्विक मान्यता दिलाने की कोशिशें तो वर्ष 2012-13 से ही चल रही हैं. लेकिन कर विभाग के मंत्री के यूके इंडिया बिजनेस हाउस (यूकेआईबीसी) और दूसरे व्यावसायिक घरानों से इस मुद्दे पर चर्चा के बाद इस कवायद में तेजी आई.
यूकेआईबीसी ने राज्य सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मेघालय भारत में गेमिंग के लिए सर्वाधिक अनुकूल राज्य है और लॉटरी, पोकर, रमी, कैसीनो तथा फंतासी खेल यहां बेहतर साबित होंगे.
राजस्व में भारी गिरावट
मेघालय की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन पर निर्भर रही है. वर्ष 2019 में यानी कोविड शुरू होने से पहले राज्य में 12.5 लाख घरेलू और तीन लाख विदेशी पर्यटक पहुंचे थे. लेकिन कोविड के कारण इससे मिलने वाले राजस्व में भारी गिरावट आई है. मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने हाल में विधानसभा में बताया था कि कोविड के कारण राज्य में पर्यटन से मिलने वाला राजस्व 20 करोड़ से घट कर महज तीन करोड़ रह गया है.
उनका कहना था कि कोविड का पर्यटन उद्योग पर बेहद प्रतिकूल असर पड़ा है. संगमा ने आंकड़ों के हवाले बताया कि बीते साल दिसंबर तक सरकार को इस मद में महज 3.48 करोड़ का राजस्व मिला था जबकि उससे पहले वर्ष 2017, 2018 और 2019 में यह रकम क्रमशः 22.95 करोड़, 24.77 करोड़ और 20.89 करोड़ रुपये थी.
फैसले का विरोध
हालांकि इन नए नियमों का विरोध भी शुरू हो गया है. द वॉयस ऑफ द पीपुल्स पार्टी (वीपीपी) के अध्यक्ष और पूर्व विधायक अर्डेंट मिलर बसियावमोइट ने कहा है कि मेघालय और यहां के लोगों ने हमेशा किसी भी प्रकार के जुए को एक सामाजिक बुराई के रूप में माना है. लेकिन सरकार ने अपने ताजा फैसले से साफ कर दिया है कि उसे राज्य और इसके लोगों की कोई परवाह नहीं है.
उनका कहना था कि इस फैसले का बड़े पैमाने पर विरोध किया जाना चाहिए क्योंकि सरकार ने मेघालय प्रिवेंशन ऑफ गैंबलिंग, 1970 को नए मेघालय रेगुलेशन ऑफ गेमिंग ऑर्डिनेंस, 2021 से बदल दिया है. वीपीपी प्रमुख ने एक बयान में कहा है, "एक समुदाय के रूप में हम राज्य में जुआ या कैसीनो को कानूनी बनाने के लिए राज्य सरकार के इस फैसले को स्वीकार नहीं कर सकते. इसकी वजह यह है कि जुए के किसी भी रूप ने न केवल परिवारों बल्कि समुदाय और पूरे राज्य को प्रभावित किया है. राज्य में गरीबी की जड़ में यही सामाजिक बुराई है.”
उन्होंने सरकार से ऐसे कानून बनाने की मांग की है जो युवाओं के लिए पर्यटन, खेती, उद्यमिता और रोजगार के माध्यम से विकास को प्रोत्साहित करे और सरकार का राजस्व बढ़ाने में सहायता करे.