रोसालिंद फ्रैंकलिन और छह दूसरी महिला वैज्ञानिक जिन्हें नजरअंदाज कर दिया गया
सत्तर साल पहले दो पुरुष शोधकर्ताओं ने डीएनए के डबल हेलिक्स आकार की घोषणा की थी, लेकिन इसका पता पहले रोसालिंद फ्रैंकलिन ने लगाया था. वो एकलौती महिला वैज्ञानिक नहीं हैं जिन्हें वो श्रेय नहीं दिया गया जिसकी वो हकदार थीं.
फ्रैंकलिन की खोज की चोरी
70 साल पहले हमें पता चला कि हमारा डीएनए एक डबल हेलिक्स का आकार ले लेता है. इस खोज को छापने वाले जेम्स वॉटसन और फ्रांसिस क्रिक रातोरात मशहूर हो गए और दोनों ने मौरिस विल्किन्स के साथ 1962 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार जीता. लेकिन पहले यह खोज लंदन के किंग्स कॉलेज में विल्किन्स की एक सहकर्मी रोसालिंद फ्रैंकलिन ने की थी.
छीन ली गई उपलब्धि
1950 के दशक में विज्ञान में पुरुषों का वर्चस्व था और फ्रैंकलिन के सहकर्मी उनकी इज्जत नहीं करते थे. उन्होंने ने ही डीएनए के एक स्ट्रैंड की पहली स्पष्ट तस्वीर ली थी जिसमें डबल हेलिक्स ढांचा स्पष्ट दिख रहा था. लेकिन वॉटसन ने खुफिया तरीके से फ्रैंकलिन का शोध देख लिया. फिर विल्किंस और वॉटसन ने मिल कर "अपनी" शोध प्रकाशित कर दी. फ्रैंकलिन की 37 साल की उम्र में ओवेरियन कैंसर से मौत हो गई.
कैथरीन जॉनसन: दशकों तक नासा की गुमनाम हीरो
अश्वेत महिला गणितज्ञ कैथरीन जॉनसन ने जब 1958 में नासा में काम करना शुरू किया था तब नासा समेत अमेरिका का अधिकांश हिस्सा श्वेत और अश्वेत लोगों में बंटा हुआ था. गणित में पुरुषों का वर्चस्व भी था. जॉनसन के कैलकुलेशन अपोलो11 मून मिशन की सफलता के लिए बेहद जरूरी थे. उन्होंने नासा में कंप्यूटरों के इस्तेमाल में अग्रणी भूमिका भी निभाई. लेकिन वो जिस सम्मान की पात्र थीं उसे उन्हें दिए जाने में दशकों लग गए.
यूनिस फूट की खोज, ग्रीनहाउस इफेक्ट
यूनिस फूट ने साबित किया था कि सूरज की किरणें जब कार्बियन डाइऑक्साइड से गुजरती हैं तब वो सबसे ज्यादा गर्म होती हैं. उन्होंने ही कहा था कि सीओटू के स्तर के बढ़ने से वायुमंडल का तापमान बदलेगा और जलवायु प्रभावित होगी. उनकी खोज 1857 में प्रकाशित भी हुई लेकिन नजरअंदाज कर दी गई. तीन साल बाद इससे मिलते जुलते नतीजे प्रकाशित करने के लिए वैज्ञानिक जॉन टिंडाल को 'द ग्रीनहाउस इफेक्ट' की खोज का श्रेय दिया गया.
हेदी लमार: वो आविष्कारक जिसे सराहना नहीं मिली
हेदी लमार 1930 और 1940 के दशकों में हॉलीवुड की मशहूर सितारा थीं. लेकिन उन्हें बचपन से आविष्कारों में रुचि थी. उन्होंने टॉरपीडो के लिए एक रेडियो गाइडेंस सिस्टम बनाया जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजियों द्वारा जैमिंग से बचने के लिए फ्रीक्वेंसी हॉपिंग का इस्तेमाल करता था. इसी सिद्धांत पर आधारित तकनीक से वाईफाई और जीपीएस का आविष्कार हुआ. लेकिन लमार को सिर्फ एक खूबसूरत चेहरे के रूप में ही जाना गया.
कुष्ठरोग का इलाज
चालमोग्रा पेड़ का तेल कुष्ठरोग के लक्षण कम कर सकता था लेकिन इसे खून में इंजेक्ट नहीं किया जा सकता था. 1916 में अफ्रीकी-अमेरिकी रासायनिक ऐलिस बॉल ने पता लगा लिया कि इसे कैसे फैटी एसिड और ईथाइल एस्टर में बदला जाए ताकी इंजेक्ट किया जा सके. लेकिन कुछ ही दिनों बाद उनका निधन हो गया और उनके सुपीरियर आर्थर डीन ने इसे "डींस मेथड" के नाम से प्रकाशित करवा दिया. सालों बाद इसे "बॉल्स मेथड" का नाम दिया गया.
लीसे माइटनर को छोड़ना पड़ा न्यूक्लियर फिशन पर शोध
न्यूकिल्यर फिशन यानी अणुओं का विभाजन परमाणु ऊर्जा का आधार है. यहूदी भौतिकवैज्ञानिक लीसे माइटनर ने जो सुझाव और आईडिया दिए उनसे उनके सहकर्मी ऑटो हान और फ्रित्ज स्ट्रासमैन ने न्यूक्लियर फिशन की खोज की. वो उनके साथ अपना काम जारी नहीं रख पाईं क्योंकि उन्हें 1938 में नाजी बर्लिन से भागना पड़ा. हान को 1944 में रसायन शास्त्र का नोबेल दिया गया. माइटनर का जिक्र भी नहीं किया गया.
पेनकिलर की आविष्कारक, कैंडेस पर्ट
1970 के दशक में कैंडेस पर्ट ने इंसानी दिमाग में उस ओपिएट रिसेप्टर का पता लगाया जो मॉर्फीन और अफीम जैसी दवाओं के प्रति प्रतिक्रियाशील होता है. यह एक अभूतपूर्व खोज थी लेकिन पर्ट ने जब यह खोज की तब वो जॉन्स आप्किन्स विश्वविद्यालय में सिर्फ एक स्नातक की छात्रा थीं. उनके प्रोफेसर सोलोमन स्नाइडर और दो और पुरुष शोधकर्ताओं ने 1978 में इस खोज के लिए बेसिक मेडिकल रिसर्च का 'लस्कर पुरस्कार' जीता.
द मटिल्डा इफेक्ट
वैज्ञानिक खोजों में महत्वपूर्ण रूप से शामिल होने वाली महिलाओं को उसका श्रेय नहीं दिया जाना इतना आम है कि इसे एक नाम से जाना जाता है: द मटिल्डा इफेक्ट. यह नाम महिला अधिकार एक्टिविस्ट मटिल्डा जे गेज के नाम पर पड़ा जिन्होंने 19वीं सदी के अंत में पहली बार इसकी व्याख्या की.