माली में सेना के विद्रोह के बाद राष्ट्रपति का इस्तीफा
१९ अगस्त २०२०माली के राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर कीता ने मंगलवार देर शाम अपने इस्तीफे की घोषणा की. इससे पहले हथियारबंद विद्रोही सैनिकों ने कीता को उनके आवास से हिरासत में ले लिया था. यह सब कुछ बड़े ही नाटकीय अंदाज में हुआ. पिछले कुछ महीने से उनको पद से हटाने की मांग हो रही थी. कीता के इस्तीफे की घोषणा के बाद सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी जश्न मनाने लगे. इस बीच फ्रांस और अन्य सहयोगी देश इस सैन्य विद्रोह से सावधान हो गए हैं.
कीता ने राष्ट्रीय प्रसारक ओआरटीएम पर अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा, ''मैं नहीं चाहता कि मेरे सत्ता में बने रहने के लिए खून बहे.'' संबोधन के दौरान कीता ने चेहरे पर मास्क लगाए रखा था. वे चिंतित भी नजर आ रहे थे. उन्होंने कहा कि वे अपना इस्तीफा कार्यकाल के पूरा होने के तीन साल पहले दे रहे हैं. उन्होंने कहा, ''मैंने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है.'' साथ ही उन्होंने संसद भंग करने की घोषणा भी की. देश में विद्गोह उस समय में हुआ जब वह पिछले आठ सालों से इस्लामिक चरमपंथियों से जूझता आ रहा है और वहां कोरोना वायरस महामारी भी फैली हुई है.
2013 में कीता को लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया था और पांच साल बाद वे दोबारा निर्वाचित हुए. विद्रोही सैनिकों की कार्रवाई के बाद उनके पास विकल्प कम ही बचे थे, विद्रोही सैनिकों ने मंगलवार को काती में सैन्य अड्डे के शस्त्रागार से हथियार अपने कब्जे में ले लिए और उसके बाद राजधानी बामाको की ओर निकल पड़े. जिसके बाद विद्रोहियों ने राष्ट्रपति कीता और प्रधानमंत्री बाउबो सिसे को बंधक बना लिया.आठ साल पहले भी इसी तरह का तख्ता पलट हुआ था और उस समय भी इसी बैरक के सैनिकों ने तख्ता पलट को अंजाम दिया था. बुधवार तक सेना की ओर से इस पर कोई बयान नहीं जारी किया गया है.
दूसरी ओर माली में राजनीतिक संकट पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की बिना शर्त तत्काल रिहाई की मांग की है. गुटेरेश के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, "महासचिव ने माली के हालात की निंदा की है और देश में कानून के नियमों और संवैधानिक व्यवस्था की तुरंत बहाली के आदेश दिए हैं." इसके अलावा अफ्रीकी संघ और अमेरिका ने भी इस घटना की आलोचना की है.
माली में राजनीतिक उठापटक विवादित संसदीय चुनाव के बाद से ही शुरू हो गया था. चरमपंथ को संभालने में नाकाम रहने पर देश की जनता कीता की आलोचना करती आई है. सेना को पिछले एक साल से इस्लामिक स्टेट और अल कायदा से जुड़े समूहों की वजह से मुंह की खानी पड़ी है.
कीता की हिरासत और उसके बाद इस्तीफे की घोषणा के बाद राजधानी में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी खुशी से झूम उठे. जून के महीने में पहली बार प्रदर्शनकारियों ने कीता के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था. कीता के इस्तीफे की घोषणा के बाद एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ''माली की जनता थक चुकी है. हमने बहुत कुछ सहा है.''
मंगलवार दोपहर को ही राजधानी में सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया था. दोपहर में बामाको में विद्रोहियों ने फायिरंग की थी. विद्रोहियों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के अलावा देश के वित्त मंत्री, वरिष्ठ सैन्य और प्रशासनिक अधिकारियों को भी हिरासत में ले लिया है.
एए/सीके (एएफपी)
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