चालबाजी जैसी बुराइयों से बेहतर बनते हैं खिलाड़ीः शोध
१० जून २०२४जो खिलाड़ी आत्मकेंद्रित, बेरहम और षडयंत्रकारी होते हैं, उनके अपने क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करने की संभावना ज्यादा होती है. पेरिस ओलंपिक्स से कुछ ही दिन पहले वैज्ञानिकों ने यह शोध जारी किया है. हालांकि इन गुणों का नुकसान भी होता है कि इनके कारण कोच के साथ उनके रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं.
ब्रिटेन की नोटिंगहम ट्रेंट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह शोध किया है. मुख्य शोधकर्ता जोसेफ स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में रिसर्चर हैं. वह कहते हैं, "सामाजिक रूप से जिन गुणों को बुरा माना जाता है, वे खेलों के प्रदर्शन में बहुत प्रासंगिक होते हैं. जहां अच्छे प्रदर्शन का दबाव होता है, वह माहौल अक्सर ऐसे लोगों को आकर्षित कर सकता है जो खुद को दूसरों से बेहतर समझते हैं, जीतने के लिए बेरहम हो सकते हैं और मानते हैं कि अपनी सफलता के लिए वे दूसरों को भी प्रभावित कर सकते हैं.”
टीम के भीतर संबंधों में चुनौतियां
स्टैन्फर्ड यह भी कहते हैं कि सफलता के लिए कोच और खिलाड़ी के बीच रिश्ते अच्छे होना जरूरी है. उन्होंने कहा, "जीतने के लिए खिलाड़ियों और कोच को बहुत अधिक दबाव में और अक्सर बहुत तनावपूर्ण माहौल में मिलकर प्रदर्शन करना होता है.”
शोध समझाता है कि खेल के दौरान अलग-अलग व्यक्तित्व किस तरह एक दूसरे के साथ कैसे संबंध रखते हैं. स्टैन्फर्ड कहते हैं, "हमारा निष्कर्ष है कि खेल के माहौल में अलग-अलग व्यक्तित्व वाले लोगों के परस्पर संबंधों को ध्यान में रखना जरूरी होता है. अगर कोच के लिए अतिरिक्त मदद उपलब्ध हो तो वे भी इस बात को बेहतर समझ पाएंगे कि अच्छे प्रदर्शन के लिए किस तरह के रिश्ते होने चाहिए.”
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इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने तैराकी, ट्रायएथलेटिक्स और साइक्लिंग के 300 से ज्यादा नामी खिलाड़ियों के व्यक्तित्व और अपने सहयोगियों व कोच के साथ उनके रिश्तों का आकलन किया. पेरिस ओलंपिक से ठीक पहले प्रकाशित इस अध्ययन के लिए के लिए उन्होंने पहले से तय कुछ मानकों पर अध्ययन किया.
नकारात्मक गुणों की पहचान
शोधकर्ताओं ने कुछ खास तरह के व्यक्तित्वों वाले एक समूह का अध्ययन किया जिनके अंदर कुछ नकारात्मक गुण होते हैं, जैसे कि आत्ममोह, साइकोपैथी, धोखेबाजी व चालबाजी. आमतौर पर ये गुण नकारात्मक माने जाते हैं लेकिन शोध कहता है कि खेल मुकाबलों में ये गुण अच्छे प्रदर्शन में मदद करते हैं.
एनटीयू की लॉरा हॉली ‘पर्सनैलिटी एंड इंडिविजुअल डिफरेंसेज' नाम की पत्रिका में छपे इस शोध पत्र के लेखकों में से हैं. वह कहती हैं, "हमारे शोध से पता चलता है कि क्यों कुछ खिलाड़ियों और उनके कोच के लिए साथ काम कर पाना मुश्किल हो जाता है. उनके व्यक्तित्व के गुणों के कारण उनके बीच एक मधुर रिश्ता कायम होने में मुश्किल होती है.”
हॉली कहती हैं कि कोच और खिलाड़ियों को अगर एक-दूसरे के व्यक्तित्व को समझने में मदद मिल सके तो उनके रिश्तों की गुणवत्ता बढ़ जाएगी और उनके प्रदर्शन में व खेल से जुड़े उनके अनुभवों में सुधार हो सकता है.
वीके/एए (एएफपी)