मध्य प्रदेश: गो तस्करी के शक में पीट-पीटकर हत्या
५ अगस्त २०२२मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कथित तौर पर मवेशी तस्करी कर रहे तीन पीड़ित महाराष्ट्र के अमरावती के रहने वाले हैं और बुधवार तड़के उन्हें भीड़ ने नर्मदापुरम जिले में पकड़कर उनकी पिटाई कर दी. भीड़ की पिटाई से नजीर अहमद की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए. जख्मी लोगों के नाम शेख लाला और सैयद मुश्ताक हैं.
नर्मदापुरम के सिवनी मालवा के बराखड़ गांव में भीड़ ने कथित तौर पर गो तस्करी के शक में एक वाहन को रोक लिया. आरोप है कि इसमें सवार नजीर, लाला और मुश्ताक से मारपीट की गई. नर्मदापुरम पुलिस ने पिटाई करने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया है जबकि कुछ अन्य आरोपी फरार बताए जा रहे हैं.
मीडिया रिपोर्टों में बताया गया कि पीड़ित मंगलवार रात 12.30 बजे एक ट्रक में 28 गोवंश अमरावती ले जा रहे थे, तभी गोवंश से लदे ट्रक को देखकर गांव के 10-12 लोगों ने तीनों पर जानलेवा हमला कर दिया. हमले में तीनों गंभीर रुप से घायल हो गए. पुलिस ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया. इलाज के दौरान नजीर अहमद की मौत हो गई. हमले में घायल लाला और मुश्ताक का जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है. पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनपर हत्या और हिंसा का केस दर्ज किया गया है. इस मामले में पुलिस ने पीड़ितों पर भी गोवंश तस्करी की धाराओं में मामला दर्ज किया है.
दंगा कराने के आरोप में पकड़े गए, थाने में पीटे गए और 22 दिन बाद अदालत से बाइज्जत बरी हुए
होशंगाबाद के पुलिस अधीक्षक गुरकरण सिंह ने मीडिया को बताया, "घटना नंदेरवाड़ा गांव, जहां उन्होंने अपने ट्रक में गायों को चढ़ाया था, से 8-10 किलोमीटर दूर हुई. उन पर हमला करने वाले गोरक्षक पास के ही गांव के रहने वाले हैं, उन्हें गोवंश तस्करी की सूचना मिली थी."
पुलिस ने हमले के सिलसिले में धारा 302 और 307 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है वहीं दूसरी एफआईआर गो तस्करी से जुड़ी धाराओं के तहत दर्ज की गई है. घटना के बाद से इलाके में पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है.
पुलिस का कहना है कि उसने ट्रक से 26 गोवंश बरामद किए हैं जिन्हें सरकारी गोशाला में भेज दिया गया है जबकि दो गोवंश मरी हुई मिलीं. इसके पहले पिछले कुछ सालों में झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर जैसे कई राज्यों में इस तरह की हत्याएं हो चुकी हैं. 2018 में ऐक्टिविस्ट तहसीन पूनावाला की याचिका पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को इन हत्याओं की रोकथाम करने के लिए कई दिशा-निर्देश दिए थे लेकिन अधिकतर राज्यों में ये अभी तक लागू नहीं हुए हैं.
इनमें इस तरह के मामलों पर तेज गति से अदालतों में सुनवाई, हर जिले में पुलिस के एक विशेष दस्ते का गठन, ज्यादा मामलों वाले इलाकों की पहचान, भीड़-हिंसा के खिलाफ रेडियो, टीवी और दूसरे मंचों पर जागरूकता कार्यक्रम जैसे कदम शामिल हैं.