भारत में बिजली गिरने से सालभर में 907 मौतें
८ दिसम्बर २०२२बुधवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2022 में बिजली गिरने से भारत में 907 लोग मारे गए. तीन साल में यह सबसे ज्यादा संख्या है. वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाएं बढ़ी हैं और ज्यादा लोगों की जान जा रही है.
विज्ञान मंत्रालय ने संसद में पेश रिपोर्ट में कहा कि सालभर में लू चलने की घटना आठ गुना बढ़कर 27 पर पहुंच गई. बिजली गिरने की घटनाओं में 111 गुना की वृद्धि हुई. साथ ही 240 तूफान आए, जो पिछले साल के मुकाबले पांच गुना ज्यादा हैं.
नवंबर महीने तक इन घटनाओं के कारण 2,183 लोगों की जानें जा चुकी थीं. 2019 के बाद यह सबसे ज्यादा है जब प्राकृतिक आपदाओं में 3,017 लोग मारे गए थे.
गर्मी और बाढ़
मॉनसून के दौरान भारत में तापमान में इस सदी में वृद्धि दर्ज की गई है और वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले सालों में भारत में लू चलने की घटनाएं और बढ़ेगी. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन प्रदूषक देश है. हालांकि प्रति व्यक्ति उत्सर्जन के लिहाज से भारत का नंबर दुनिया में काफी नीचे आता है.
इस साल भारत ने सौ साल में सबसे गर्म मार्च देखा था. अप्रैल और मई में भी तापमान अत्याधिक था और वैज्ञानिकों ने इसके लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया था.
जब भारत का बाकी हिस्सा भयंकर गर्मी से जूझ रहा था, तब पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ तबाही मचा रही थी. असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के मुताबिक राज्य के 24 जिलों के दो लाख से ज्यादा लोग बाढ़ की चपेट में आए. चेन्नई और मुंबई में एक ही दिन में भारी बारिश हो जाने से भी बड़ी संख्या में लोगों की जान गई. इस साल बेंगलुरु ने भी भयानक बाढ़ देखी, जो एक ही दिन में अत्याधिक बारिश हो जाने के कारण आयी थी.
भारत के लिए चेतावनी
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि 1998 से 2017 के बीच दुनियाभर में 1,66,000 लोगों की जान हीट वेव के कारण गई है. उसके मुताबिक 2030 और 2050 के बीच जलवायु परिवर्तन के कारण मलेरिया, कुपोणष, दस्त और गर्मी लगने से हर साल ढाई लाख अतिरिक्त लोगों की मौतें होंगी.
संयुक्त राष्ट्र की एक ताजा रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि अगर भारत 2030 तक कड़ाई से कदम नहीं उठाता है तो जलवायु परिवर्तन के नतीजे उस पर बहुत भारी पड़ने वाले हैं. 67 देशों के वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की ये रिपोर्ट तैयार की है. इनमें से नौ भारत से हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की 40 फीसदी से ज्यादा आबादी 2050 तक पानी की किल्लत से जूझ रही होगी. और उसी दौरान देश के तटीय इलाके, जिनमें मुंबई जैसे बड़े शहर भी शामिल हैं, समुद्र के बढ़ते जलस्तर से प्रभावित हो रहे होंगे. गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी बेसिनों में और बाढ़ आएगी और उसी दौरान सूखे और पानी की किल्लत से फसल उत्पादन भी गिरेगा
एशिया में संकट
भारत का पश्चिमी पड़ोसी पाकिस्तान भी 2022 में कुदरती आपदाओं की मार झेलता रहा. इस साल उसने सदी की सबसे बड़ी बाढ़ झेली जिसमें 1,500 से ज्यादा लोगों की जान गई और अरबों रुपये का नुकसान हुआ. मानसून की बारिश से पाकिस्तान की कई नदियों में ऐसी बाढ़ आई और देश का एक तिहाई हिस्सा पानी में डूब गया. 10 लाख से ज्यादा घर या तो टूट गए या उन्हें बुरी तरह से नुकसान पहुंचा है.
जून की बाढ़ से पहले पाकिस्तान में मार्च अप्रैल में भयानक गर्मी पड़ी और आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. गर्मी ने 61 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया. स्थानीय मीडिया में छपीं रिपोर्ट्स के मुताबिक कई इलाकों में तापमान 48 डिग्री के भी पार पहुंच गया था.
श्रीलंका में भी भारी गर्मी पड़ी. देश के कई शहरों में मार्च के दौरान पारा पिछले 22 साल में सर्वाधिक रहा था. गॉल और मतारा जिलों में पारा 36 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो कि औसत अधिकतम तापमान से लगभग 5 डिग्री ज्यादा था.
रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)