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समाज

महबूबा के बयान पर जम्मू-कश्मीर में विरोध

आमिर अंसारी
२६ अक्टूबर २०२०

नजरबंदी से रिहा होने के बाद जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती आक्रमक हो गईं और उन्होंने बीते दिनों कहा था कि वे जम्मू-कश्मीर के अलावा दूसरा कोई झंडा नहीं उठाएंगी. इस बयान के बाद भारी विरोध हो रहा है.

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तस्वीर: Getty Images/S. Hussain

पीडीपी की प्रमुख और जम्मू-कश्मरी की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार 24 अक्टूबर को कहा था कि जम्मू-कश्मीर को लेकर पिछले साल पांच अगस्त को संविधान में किए गए बदलावों को वापस नहीं ले लिया जाता, तब तक उन्हें चुनाव लड़ने और तिरंगा थामने में कोई दिलचस्पी नहीं है. इस बयान के बाद जम्मू में शनिवार को विरोध हुए, पीडीपी कार्यालय में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने तिरंगा फहराया और महबूबा के खिलाफ नारेबाजी की लेकिन इस बयान के बाद महबूबा पर केंद्र सरकार के मंत्रियों और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने आक्रमक रवैया अपनाते हुए विरोध तेज कर दिया है. सोमवार को बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने श्रीनगर में महूबा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और उनके दिए बयान पर अपनी नाराजगी जाहिर की. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने श्रीनगर स्थित लाल चौक पर तिरंगा फहराने की कोशिश की. रिपोर्ट्स के मुताबिक चार बीजेपी के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है. जम्मू-कश्मीर के अलावा देश के कुछ अन्य शहर में भी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. सोमवार को बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में तिरंगा यात्रा निकाल रही है.

महबूबा के खिलाफ बीजेपी के नेताओं ने तेवर कड़े करते हुए कहा है कि उन्होंने "देशद्रोही" बयान दिया और उनकी गिरफ्तारी होनी चाहिए. जम्मू-कश्मीर के बीजेपी अध्यक्ष रवींद्र रैना ने पत्रकारों से कहा, "मैं उप राज्यपाल से अनुरोध करता हूं कि वह महबूबा मुफ्ती के देशद्रोही बयान का संज्ञान लें और उन्हें सलाखों के पीछे डालें." यही नहीं बीजेपी ने चुनाव आयोग से महबूबा की अगुवाई वाली पीडीपी की मान्यता खत्म करने की मांग की है. पार्टी का कहना है कि महबूबा ने राष्ट्र विरोधी और संविधान विरोधी बयान दिया है और इस वजह से उनकी पार्टी की मान्यता रद्द होने चाहिए. यह शिकायत बीजेपी नेता अश्विनी कुमार ने चुनाव आयोग से की है. उनका आरोप है कि पीडीपी की अध्यक्ष ने संसद, राष्ट्रीय ध्वज और देश के प्रतीकों के बारे में विवादित बयान दिए. 

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर की मुख्यधारा की पार्टियों ने पूर्ववर्ती राज्य का विशेष दर्जा बहाल कराने और इस मुद्दे पर सभी पक्षकारों से बातचीत के लिए 15 अक्टूबर को "पीपल्स अलायंस फॉर गुपकार डेक्लेरेशन" का गठन किया है. इसमें एनसी और पीडीपी के अलावा सीपीआई(एम), पीपल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी), जेकेपीएम और एएनसी शामिल हैं.

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