नौकरी छोड़ कबड्डी सीखने भारत जा रहे हैं ब्रिटिश
२५ मार्च २०२४चार हजार साल पुराना दक्षिण एशियाई खेल कबड्डी आज भी ब्रिटेन के लोगों के लिए अनजान बना हुआ है. हालांकि ब्रिटेन में दक्षिण एशियाई मूल के प्रवासियों की बहुत बड़ी तादाद है लेकिन इस समुदाय के बाहर कबड्डी एक अनजान विदेशी खेल बना हुआ है. कुछ लोग हैं जो ब्रिटेन के लोगों को कबड्डी के प्रति जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं, और अब उनकी कोशिशें कुछ रंग ला रही हैं.
इंग्लैंड की कबड्डी टीम के खिलाड़ी फेलिक्स ली कहते हैं, "मैं लोगों को कबड्डी कुछ यूं समझाता हूं कि छूकर भागना (टैग) और कुश्ती को मिला दो तो कबड्डी कहलाता है."
पिछले कुछ सालों में कबड्डी का दायरा दक्षिण एशिया से बाहर फैला है. अब इंग्लैंड के कुछ उत्साही युवा अगले साल होने वाले वर्ल्ड कप के लिए अपनी टीम तैयार कर रहे हैं. इनमें सिर्फ दक्षिण एशियाई ही नहीं बल्कि अन्य पृष्ठभूमियों के खिलाड़ी भी हैं.
हालांकि इंग्लैंड में होने वाला यह वर्ल्ड कप कितना आधिकारिक होगा, इस बात को लेकर संदेह है क्योंकि इसकी आयोजक कबड्डी की अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल कबड्डी फेडरेशन (आईकेएफ) के दो फाड़ हो जाने के बाद बनी वर्ल्ड कबड्डी फेडरेशन (डब्ल्यूकेएफ) है. इसलिए इस वर्ल्ड कप में वे टीमें हिस्सा नहीं लेंगी जो आईकेएफ के साथ हैं.
नौकरी तक छोड़ दी
फिर भी, इंग्लैंड के कई दर्जन खिलाड़ी इसे एक बड़े मौके के रूप में देख रहे हैं. इस खेल में फिलहाल ना तो ज्यादा पैसा है और ना ही नाम है. इसके बावजूद ये खिलाड़ी अपनी नौकरियों और अन्य जिम्मेदारियों के बीच से समय निकाल कर तैयारी कर रहे हैं.
जैसे कि फेलिक्स ली एक स्टार्ट अप कंपनी में मैनेजर हैं. जबकि एक अन्य खिलाड़ी युवराज पंड्या ने तो अपनी नौकरी ही छोड़ दी और भारत चले गए ताकि कबड्डी पर पूरा ध्यान दे सकें. उनका यह कदम फायदेमंद साबित हुआ जब उन्हें भारत की प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) में दबंग दिल्ली टीम के लिए चुन लिया गया.
पीकेएल को 2014 में मार्शल स्पोर्ट्स कंपनी ने शुरू किया था. 2023-24 के सीजन में उसके 90 मैचों के 22.6 करोड़ दर्शक मिले.
पंड्या बताते हैं, "फेलिक्स ने एक व्लॉग (वीडियो) शुरू किया है जिसके जरिए वह ब्रिटेन के लोगों को वे गुण सिखा रहे हैं, जो हमने भारत में सीखे.”
ली और पंड्या ने नवंबर 2022 में भारत में ट्रेनिंग लेनी शुरू की थी. तब बांग्लादेश में हुए बंगबंधू कप में इंग्लैंड की टीम पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेली थी और अपने सारे मैच हार गई थी. 2023 में उसने दो मैच जीते. पोलैंड और अर्जेन्टीना को हराकर वह बांग्लादेश, इराक और नेपाल के बाद चौथे नंबर पर रही.
इंग्लैंड के खिलाड़ी टॉम डॉट्री कहते हैं, "ब्रिटेन में कबड्डी के साथ समस्या यह है कि हमारे पास अच्छे कोच नहीं हैं. हम वीडियो या प्रो कबड्डी के मैच देखकर खुद को ही ट्रेनिंग दे रहे हैं.”
रग्बी से संबंध
फेलिक्स ली का मूल देश हांग कांग है. लेकिन कबड्डी से वह इंपीरियल कॉलेज लंदन में जुड़े. वह बताते हैं, "मैंने स्कूल में रग्बी खेली है. शायद इसीलिए अपने पहले ट्रेनिंग सेशन में मैं कुछ पकड़ बना पाया था.”
रग्बी इंग्लैंड में एक लोकप्रिय खेल है. डॉट्री कहते हैं कि रग्बी में कई ऐसे दांव-पेच हैं जो कबड्डी में काम आते हैं. वह कहते हैं, "कुछ दांव एक जैसे हैं. इसके अलावा दम और ताकत भी दोनों खेलों में साझा है.”
पेशेवरों का मानना है कि कबड्डी में दर्शकों को आकर्षित करने की ताकत है. प्रो कबड्डी के प्रमोटर स्पोर्ट्ज इंटरेक्टिव के सीईओ सिद्धार्थ रमन कहते हैं, "यह एक तेज खेल है. हर पल कुछ हो रहा है. 40 मिनट में मैच पूरा हो जाता है.”
इंग्लैंड में कबड्डी को लोगों तक पहुंचाने में विश्वविद्यालयों में आयोजित टूर्नामेंट ने अहम भूमिका निभाई है. पंड्या कहते हैं, "हम लोगों ने कबड्डी को शौक के तौर पर शुरू किया था. वहां आज भी यह शौकिया तौर पर ही ज्यादा खेला जाता है.”
2022 में ब्रिटिश कबड्डी लीग (बीकेएल) शुरू हुई तो इसके बारे में जागरूकता काफी बढ़ी. डॉट्री कहते हैं, "बीकेएल में हमें खुद को आंकने का मौका मिला. लेकिन यह पता नहीं चल पाता था कि हमारी ट्रेनिंग सफल हो रही है या नहीं.”
जूनून के लिए
अब मई 2024 में बीकेएल का अगला सीजन कॉवेंट्री में होना है. उससे पहले डॉट्री अपनी नौकरी छोड़कर भारत में ट्रेनिंग लेने के बारे में सोच रहे हैं. वह उत्तर प्रदेश की योद्धा अकैडमी में ट्रेनिंग लेना चाहते हैं, प्रो कबड्डी से जुड़ी हुई है.
डॉट्री कहते हैं, "कभी-कभी आप अपने जुनून को नकार नहीं सकते. बंगबंधू कप में खेलना, अपने देश का प्रतिनिधित्व करना, प्रशंसकों के साथ तस्वीरें खिंचाना, उनका उत्साह, यह सब एक खिलाड़ी के लिए बहुत बड़ी बात है.”
ली को उम्मीद है कि कुछ अनुभव के बाद आने वाले टूर्नामेंटों में उनके देश के प्रदर्शन में सुधार होगा. वह कहते हैं कि उन्होंने युवराज के साथ मिलकर दूसरों को सिखाने में कड़ी मेहनत की है और उम्मीद है कि इसके नतीजे नजर आएंगे.
वीके/एए (रॉयटर्स)