कमाई हर घंटे के 5600 रुपये काम कुछ नहीं
६ सितम्बर २०२२जापान के शोजी मोरीमोतो के पास ऐसी नौकरी है जिसे पाने का सपना बहुत से लोग देखते होंगे. उन्हें अच्छे खासे पैसे मिलते हैं लेकिन काम कुछ भी नहीं. 38 साल के मोरीमोतो हर घंटे के लिए लगभग 5600 रूपये वसूलते हैं.
मोरीमोतो को इतने पैसे देकर लोग उनका साथ खरीदते हैं. इस दौरान मोरीमोतो की जिम्मेदारी बस उनके साथ रहने की होती है और कुछ भी नहीं. मोरीमोतो ने बताया, "दरअसल मैं खुद को किराये पर देता हूं. मेरा काम है जहां भी मेरा क्लाइंट जाये उसके साथ रहना और उस दौरान मेरा कोई खास काम नहीं होता." पिछले चार सालों में वो ऐसे 4000 सेशन कर चुके हैं.
यह भी पढ़ेंः खेलों के जरिये आजीविका तलाशते मणिपुरी युवा
सोशल मीडिया से मिलते हैं क्लाइंट
दुबले पतले शरीर और औसत चेहरे वाले मोरीमोतो के अब ट्विटर पर ढाई लाख से ज्यादा फॉलोवर भी बन चुके हैं. उनके ज्यादातर क्लाइंट यहीं से उनके पास पहुंचते हैं. तकरीबन एक चौथाई क्लाइंट ऐसे हैं जो उन्हें बार बार अपने साथ ले जाना चाहते हैं. इनमें से एक क्लाइंट तो उन्हें 270 बार अपने साथ ले गया.
एक बार एक शख्स उन्हें पार्क में अपने साथ झूला झुलाने ले गया. इसी तरह एक बार वो बिल्कुल अनजान आदमी को ट्रेन की खिड़की से हाथ हिला कर विदा करने गये. दरअसल वह शख्स चाहता था कि कोई उसे स्टेशन पर विदा करे.
यह भी पढ़ेंः रोने धोने से नहीं बल्कि नये किस्म की ट्रेनिंस से टलेगी बेरोजगारी
कुछ नहीं का मतलब कुछ भी नहीं
हालांकि इसका मतलब यह कतई नहीं है कि वो कुछ भी करने के लिये तैयार हो जायेंगे. उन्होंने एक बार फ्रिज खिसकाने के साथ ही कंबोडिया जाने के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया. इसके अलावा वो किसी तरह के यौन अनुरोधों को स्वीकार नहीं करते.
पिछले हफ्ते मोरीमोतो अरुणा चिडा के सामने बैठे थे. 27 साल की चिडा डाटा एनालिस्ट हैं, वो साड़ी पहन कर चाय और के साथ मारीमोतो से बात करना चाहती थीं. चिडा हिंदुस्तानी साड़ी ट्राई करना चाहती थीं लेकिन उन्हें लगा कि दोस्तों के सामने इससे शर्मिंदगी होगी तो उन्होंने मारीमोतो को अपने साथ बिठाया.
चिडा ने कहा, "दोस्तों के साथ लगता है कि मुझे उनका ध्यान रखना है लेकिन इस किराये के लड़के के साथ मुझ नहीं लगा कि हर वक्त बात करती रहूं."
उपयोगिता की कोई परिभाषा नहीं
मोरीमोतो को ऐसे काम मिलने से पहले वो एक प्रकाशन संस्थान में काम करते थे वहां अकसर उन्हें "कुछ नहीं करने" के लिए डांट मिलती थी. मोरीमोतो ने बताया, "मैंने सोचना शुरू कर दिया कि क्या होगा अगर मैं अपने कुछ नहीं करने की योग्यता को अपनी सेवा के रूप में ग्राहकों को दूं."
साथ देने का कारोबार अब मोरीमोतो की कमाई का अकेला जरिया है जिससे वो अपने बीवी बच्चों को भी पालते हैं. हालांकि उन्हें ये बताने से इनकार कर दिया कि उनकी असल कमाई कितनी है लेकिन ये कहा कि हर रोज वो एक या दो लोगों से मिलते हैं. महामारी के पहले यह संख्या तीन से चार होती थी.
मारीमोतो का काम समाज के सामने एक सवाल है जो अकसर उपयोगिता और उत्पादकता को लेकर इंसान की अहमियत तय करती है. मारीमोतो कहते हैं, "लोगों सोचते हैं कि मेरा कुछ नहीं करना कीमती है क्योंकि यह उपयोगी है...लेकिन सचमुच कुछ नहीं करना भी ठीक है. जरूरी नहीं है कि किसी खास तरह से ही उपयोगी हुआ जाए."
एनआर/एए (रॉयटर्स)