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विज्ञानजापान

चांद पर दिन निकला तो जग गया जापानी यान

२७ फ़रवरी २०२४

चांद पर उतरे जापान के यान ने एक बार फिर काम शुरू कर दिया है. चांद पर रात गुजारने के बाद भी उसका काम करते रहना वैज्ञानिकों के लिए हैरतभरी खुशी की खबर है.

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जापान का यान चांद पर
चांद पर जापान का यान स्लिमतस्वीर: Uncredited/JAXA/Takara Tomy/Sony Group Corporation/Doshisha University/AP/dpa/picture alliance

पिछले महीने चांद पर उतरे जापानी यान ने उस वक्त सबको हैरान कर दिया जब सोमवार को वह दोबारा काम शुरू कर दिया. चांद पर 15 दिन से रात चल रही थी और जैसे ही दिन निकला स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (SLIM) ने फिर से काम शरू कर दिया.

जापानी यान स्लिम पिछले महीने चांद पर उतरा था. हालांकि उतरते वक्त यह टेढ़ा हो गया था जिसके कारण उसके सोलर पैनल उलटी दिशा में घूम गए थे. जब सूर्य की दिशा बदली तो सौर पैनलों ने काम करना शुरू किया और यान एक्टिवेट हो गया. जापानी अंतरिक्ष एजेंसी जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने बताया कि स्लिम ने दो दिन तक काम किया और अपने उच्च क्षमता वाले कैमरे से तस्वीरें लीं.

लेकिन दो दिन बाद ही चांद पर रात हो गई और स्लिम वापस निष्क्रिय हो गया. जापानी वैज्ञानिकों के मुताबिक यान को चांद की सख्त रातों में सक्रिय रहने के लिए डिजाइन नहीं किया गया था, इसलिए यह संदेह था कि यान फिर काम करेगा या नहीं. इसलिए जब सोमवार को यह दोबारा सक्रिय हुआ तो वैज्ञानिकों को हैरत भरी खुशी हुई.

फिर काम करने की उम्मीद

एजेंसी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, "कल हमने स्लिम को एक कमांड भेजी तो उसने जवाब दिया. स्लिम चांद पर रात गुजारने में और अपनी संचार प्रक्रिया सुरक्षित रखने में कामयाब रहा.” भारत का प्रज्ञान रोवर ऐसा नहीं कर पाया था और जब रात हुई तो वह सदा के लिए निष्क्रिय हो गया.

हालांकि वैज्ञानिकों ने बताया कि स्लिम के साथ संपर्क को कुछ समय के लिए स्थगित रखा गया क्योंकि "चांद पर दोपहर थी और उपकरणों के लिए तापमान बहुत अधिक था.”

वैज्ञानिकों ने कहा, "उपकरणों के लिए तापमान अनुकूल हो जाने के बाद गतिविधियां दोबारा शुरू करने के लिए तैयारी की जा रही है.”

स्लिम को ‘मून स्नाइपर' नाम भी दिया गया है क्योंकि उसकी लैंडिंग एकदम सटीक थी. 20 जनवरी को उसने ठीक उसी जगह पर लैंडिंग की, जहां तय की गई थी. हालांकि उतरते वक्त इंजन में समस्या आई और वह सीधा उतरने के बजाय एक तरफ लुढ़क गया. इस कारण उसके सोलर पैनलों का मुंह ऊपर के बजाय पश्चिम दिशा में हो गया.

दुनियाभर में होड़

जापान के लिए यह बड़ी उपलब्धि थी क्योंकि पहले कई कोशिशें नाकाम हो चुकी थीं. चांद पर यान उतारने वाला जापान मात्र पांचवां देश है. इससे पहले रूस, अमेरिका, चीन और भारत ही ऐसा कर पाए हैं.

चांद पर कारोबार की बेशुमार उम्मीदें

भारत ने पिछले साल अपना चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा था. दक्षिणी ध्रुव पर चांद उतारने वाला भारत दुनिया का पहला देश था. पिछले हफ्ते अमेरिका की एक निजी कंपनी का यान भी चांद पर उतरा है. हालांकि उसकी लैंडिंग भी ठीक नहीं हुई और डेटा से पता चला कि वह टेढ़ा गिर गया.

पिछले साल जब भारत ने अपना यान चांद पर उतारा था तभी रूस ने भी अपना रॉकेट भेजा था लेकिन वह लैंड होने में नाकाम रहा था. इस वक्त दुनियाभर के देशों में चांद पर पहुंचने की होड़ मची है. रूस के अलावा दक्षिण कोरिया और संयुक्त अरब अमीरात भी इस कोशिश में लगे हैं.

वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)

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