चीन के खिलाफ फिलीपींस की मदद करेंगे ऑस्ट्रेलिया और जापान
६ सितम्बर २०२४जापान और ऑस्ट्रेलिया एशिया प्रशांत क्षेत्र में रक्षा क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे. ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गए जापान के विदेश और रक्षा मंत्रियों ने कहा कि "समान विचारधारा" वाले साझेदारों को क्षेत्रीय खतरों से निपटने के लिए एक साथ रहना चाहिए.
जापानी विदेश मंत्री योको कामिकावा और रक्षा मंत्री मिनोरू किहारा ने मेलबर्न के पास एक पुराने सैन्य किले में अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्षों से मुलाकात की. इस दौरान वायुसेना के बीच सहयोग बढ़ाने और संयुक्त सैन्य अभ्यास को लेकर समझौते किए गए. साथ ही, उन्होंने फिलीपींस कोस्ट गार्ड की भी सहायता करने पर सहमति जताई, जो दक्षिण चीन सागर में चीनी जहाजों के साथ बढ़ते तनाव का सामना कर रही है.
चीन से बढ़ते खतरे की चिंता
कामिकावा ने बैठक के बाद कहा, "हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लगातार कठिन होती सुरक्षा परिस्थितियों के बीच हमें जापान-ऑस्ट्रेलिया सुरक्षा सहयोग को एक नए स्तर पर ले जाना होगा."
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य ताकत और उसकी आक्रामकता ने अमेरिका और उसके सहयोगियों जैसे जापान और ऑस्ट्रेलिया को चिंतित कर दिया है. हाल ही में, जापान ने चीन पर आरोप लगाया था कि उसने जानबूझकर एक नौसैनिक जहाज को उसके पानी में भेजा और एक निगरानी विमान को उसकी हवाई सीमा में उड़ाया.
ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग ने कहा कि बैठक में जापान की सीमा में हाल ही में हुई "घुसपैठ" को लेकर गंभीर चिंता जताई गई. बैठक में जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच वायुसेना सहयोग बढ़ाने और अमेरिका के साथ मिलकर सैन्य अभ्यास करने के व्यापक समझौते हुए.
जापान की एलीट एम्फिबियस रैपिड डिप्लॉयमेंट ब्रिगेड जल्द ही ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी बेस डार्विन के पास अमेरिकी नौसेना के साथ अभ्यास में हिस्सा ले सकती है.
फिलीपींस की मदद
जापानी रक्षा मंत्री किहारा ने कहा कि जापान अपने एफ-35 लड़ाकू विमानों को ऑस्ट्रेलियाई हवाई अड्डों पर तैनात करने पर विचार कर रहा है, लेकिन इस बारे में अभी कोई समझौता नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, "सेल्फ-डिफेंस फोर्स के विमानों की तैनाती के बारे में हम ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच चर्चा जारी रखना चाहेंगे."
दोनों देशों ने फिलीपींस कोस्ट गार्ड के लिए संयुक्त समर्थन का वादा किया. हालांकि यह स्पष्ट नहीं था कि यह मदद किस रूप में होगी. दक्षिणी चीन सागर में चीन और फिलीपींस के बीच लगातार विवाद हो रहा है. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर अपने तटरक्षक जहाजों को जानबूझकर टकराने का आरोप लगाया. पिछले एक महीने में पांच बार दोनों देशों के बीच समुद्री टकराव हुआ है. चीन और फिलीपींस के बीच इस क्षेत्र को लेकर वर्षों से विवाद चल रहा है. चीन इस पूरे समुद्री क्षेत्र पर अपना दावा करता है, जबकि फिलीपींस समेत कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के अपने-अपने दावे हैं.
जापान और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया रणनीतिक रूप से ताइवान की खाड़ी, पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर जैसे क्षेत्रों में पहुंचने का अहम मार्ग हैं. दोनों देश अमेरिका और भारत के साथ क्वाड गठबंधन का हिस्सा हैं, जिसे चीन के खिलाफ एक दीवार के रूप में देखा जाता है.
दक्षिण-पूर्व एशिया में सैन्य सहयोग
हाल के वर्षों में, जापान ने अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए ऐतिहासिक आकुस सुरक्षा समझौते में भी दिलचस्पी दिखाई है. वह खासतौर पर उन्नत सैन्य तकनीक के विकास में मदद करने में उत्सुक है. हालांकि उसकी आकुस सदस्यता को लेकर किसी तरह की सहमति नहीं बनी है.
दशकों से शांतिवादी रहे जापान ने अमेरिकी प्रोत्साहन के साथ रक्षा खर्च बढ़ाना शुरू कर दिया है. वहीं, ऑस्ट्रेलिया भी अपनी सैन्य क्षमता को सुधारने में जुटा हुआ है, जिसमें लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें और परमाणु-संचालित पनडुब्बियों का विकास शामिल है.
दोनों देश दक्षिण पूर्व एशिया में भी कई देशों के साथ रक्षा समझौते कर रहे हैं. हाल ही में जापान ने फिलीपींस के साथ रेसिप्रोकल एक्सेस एग्रीमेंट (आरएए) किया जिसके तहत जापानी सैनिकों और उपकरणों की फिलीपींस में तैनाती के लिए कानूनी इजाजत मिली है. इसी तरह फिलीपींस के सैनिक और साज ओ सामान भी जापान में तैनात किए जा सकेंगे.
इसी तरह पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया ने इंडोनेशिया के साथ एक महत्वपूर्ण रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे के यहां से काम करने की अनुमति देगा.
रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)