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इटली में आम चुनाव, यूरोप का इम्तिहान

२४ सितम्बर २०२२

इटली में रविवार को नई संसद चुनने के लिए वोट डाले जा रहे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध की छाया में हो रहा यह चुनाव सिर्फ इटली नहीं, बल्कि यूरोपीय संघ के लिए भी एक इम्तिहान हैं.

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इटली में संसदीय चुनाव
धुर दक्षिणपंथी नेता मेलोनी सत्ता की सबसे बड़ी दावेदार मानी जा रही हैंतस्वीर: Vincenzo Nuzzolese/SOPA/ZUMA/picture alliance

ऊर्जा की बढ़ती कीमत और ब्रेड जैसी आम जरूरत की चीजों के दामों में तेजी से बढ़ोत्तरी ने परिवारों और कारोबारियों पर बोझ बढ़ाया है. इसका कारण यूक्रेन पर रूसी हमला है, जो यूरोप के बड़े इलाके लिए अन्न का कटोरा है.

जॉर्जिया मेलोनी और उनकी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली को इस चुनाव के मुख्य दावेदारों में गिना जा रहा है. अपनी नव फासीवादी जड़ों और एजेंडा ऑफ गॉड के साथ वह मातृभूमि और ईसाई पहचान को मुद्दा बना रही हैं. यह चुनाव इस बात का भी संकेत देगा कि क्या 27 सदस्य देशों वाले यूरोपीय संघ में धुर दक्षिणपंथी भावनाएं तेजी से उभर रही हैं. हाल ही में स्वीडन में एक धुर दक्षिणपंथी पार्टी ने अपराधों को लेकर लोगों के डर का फायदा उठाकर अपनी लोकप्रियता को बढ़ाया.

मेलोनी के मुख्य गठबंधन साझीदार दक्षिणपंथी पार्टी लीग के नेता मातेओ साल्विनी हैं, जो अपराधों के लिए प्रवासियों को जिम्मेदार बताते हैं. यही नहीं, साल्विनी की वजह से लंबे समय से हंगरी और पोलैंड जैसे देशों में भी दक्षिणपंथी सरकारों के हौसले बुलंद होते रहे हैं.

सीधी टक्कर किसके बीच है

रोम स्थित एक थिंकटैंक इंटरनेशनल अफेयर्स इंस्टीट्यूट की निदेशक नताली तोच्ची कहती हैं, "युद्ध के बीचोंबीच चुनाव, ऊर्जा संकट के बीच चुनाव और आर्थिक संकट की आहट के बीच चुनाव.. इस तरह यह बहुत ही अहम चुनाव है."

साल्विनी का जनाधार मुख्य तौर पर देश के उत्तरी हिस्से के कारोबारियों के बीच है. वह अतीत में पुतिन समर्थक टीशर्ट पहन चुके हैं. वह रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों पर सवाल भी उठाते हैं. उनका कहना है कि इन प्रतिबंधों से इटली के आर्थिक हितों को भी नुकसान पहुंचेगा.

रविवार को हो रहे चुनावों से 15 दिन पहले ही सर्वेक्षणों के प्रकाशन पर रोक लगा दी गई. लेकिन उससे पहले छपे सर्वेक्षणों में कहा गया कि मेलोनी की पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभर सकती है. वह पूर्व प्रधानमंत्री एनरिको लेट्टा की मध्य-वामपंथी डेमोक्रेटिक पार्टी को पीछे छोड़ सकती है.

मेलोनी को साल्विनी और पूर्व प्रधानमंत्री सिल्वियो बैर्लुस्कोनी जैसे रुढ़िवादियों के करीब लाने वाले चुनाव प्रचार गठबंधन को लेट्टा पर बढ़त हासिल है. इटली की संसद में सीटों के बंटवारे की जटिल व्यवस्था के बीच उनकी राह मुश्किल नजर आती है.

लेट्टा को उम्मीद थी कि चुनाव प्रचार के दौरान उनका गठबंधन वामपंथी झुकाव वाली पॉपुलिस्ट पार्टी 5 स्टार मूवमेंट से हो जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. 5 स्टार मूवमेंट मौजूदा संसद में सबसे बड़ी पार्टी है.

Italien | Wahlen
लेट्टा की राह इस बार मुश्किल मानी जा रही हैतस्वीर: Alessandra Tarantino/AP/picture alliance

जनता में निराशा

यह यूरोप के लिए बहुत नाजुक वक्त है, लेकिन रविवार को हो रहे इटली के आम चुनाव में अब तक का सबसे कम मतदान प्रतिशत दर्ज किया जा सकता है. पिछली बार 2018 में हुए आम चुनाव में 73 प्रतिशत के साथ रिकॉर्ड कम मतदान हुआ था. सर्वे कराने वाले लोरेंजो प्रेगलियास्को का कहना है कि इस बार मतदान घटकर 66 प्रतिशत पर आ सकता है.

प्रेगलियास्को सर्वे कराने वाली कंपनी यूट्रेंड के प्रमुख हैं. वह कहते हैं कि पिछले आम चुनाव के बाद बनने वाली तीनों गठबंधन सरकारों के काम से लोग "नाखुश और निराश हैं. उन्हें लगता है कि उनके वोटों से कोई फर्क नहीं पड़ता."

निवर्तमान सरकार का नेतृत्व यूरोपीय केंद्रीय बैंक के पूर्व प्रमुख मारियो द्रागी कर रहे हैं. 2021 की शुरुआत में इटली के राष्ट्रपति ने उनसे राष्ट्रीय एकता वाली सरकार बनाने को कहा. यह कदम तब उठाया गया, जब 5 स्टार मूवमेंट के नेता जुसेप्पो कोंतो के नेतृत्व वाली दूसरी गठबंधन सरकार गिर गई. प्रेगलियास्को के मुताबिक सर्वे से संकेत मिलता है कि "इटली के अधिकांश लोग द्रागी को पसंद करते हैं और सोचते हैं कि उनकी सरकार ने अच्छा काम किया."

लेकिन मेलोनी ने उनकी गठबंधन में शामिल होने से इनकार कर दिया था और अब वह चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल कर सकती हैं. जैसा कि तोच्ची का कहना है, मेलोनी की पार्टी "इतनी लोकप्रिय सिर्फ इसलिए है कि वह एक नई उम्मीद जगा रही हैं." द्रागी खुद कह चुके हैं कि उन्हें एक और कार्यकाल नहीं चाहिए.

मेलोनी की मुश्किलें

मेलोनी को इस बात के लिए आलोचना झेलनी पड़ रही है कि उन्होंने खुद को स्पष्ट तौर पर उस नव फासीवादी आंदोलन से अलग नहीं किया है जो तानाशाह बेनितो मुसोलिनी से हमदर्दी रखने वालों ने शुरू किया था. चुनाव प्रचार के दौरान मेलोनी ने घोषणा कि उनसे "लोकतंत्र को खतरा नहीं है."

कुछ राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि फासीवाद से जुड़ा सवाल चिंता का मुख्य कारण नहीं है. रोम की एक निजी यूनिवर्सिटी एलूयआईएसएस में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर रोबैर्तो डी'अलीमोंते कहते हैं, "मुझे फासीवादी खतरे से नहीं, उनकी अयोग्यता से डर लग रहा है. उन्हें किसी भी स्तर पर सरकार चलाने का अनुभव नहीं है." मेलोनी बैर्लुस्कोनी की आखिरी सरकार में युवा मामलों की मंत्री थी, लेकिन यह एक दशक पुरानी बात है.

डी'अलीमोंते उनके मुख्य गठबंधन साझीदार साल्विनी को भी परेशानी के तौर पर देखते हैं. वह कहते हैं, "मेलोनी नहीं, बल्कि साल्विनी परेशानी खड़ी करेंगे. मेलोनी नहीं, बल्कि साल्विनी रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को हटाने की मांग कर रहे हैं. मेलोनी नहीं, बल्कि साल्विनी ज्यादा कर्ज और घाटे को बढ़ाने की बात कर रहे हैं."

विवादों की जड़

हालिया कई घटनाओं ने ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी को लेकर चिंताएं बढ़ाई हैं. सिसिली में ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी के एक उम्मीदवार को पार्टी से निलंबित कर दिया गया क्योंकि उसने सोशल मीडिया पर हिटलर की तारीफ में पोस्ट लिखी. इसके अलावा मेलोनी की पार्टी के सह-संस्थापकों में से एक का भाई अपने किसी रिश्तेदार के अंतिम संस्कार में फासीवादी सलामी देते हुए प्रतीत हुआ.

कई साल से दक्षिणपंथी पार्टियां इटली में बड़ी संख्या में आने वाले प्रवासियों के खिलाफ अभियान चला रही हैं. तस्करों की नावों में सवार होकर लाखों लोग इस दौरान इटली पहुंचे. मेलोनी और साल्विनी इसके कट्टर आलोचक हैं और इसे विदेशियों का हमला करार देते हैं, जो उनके अनुसार के इटली के "ईसाई" चरित्र को साझा नहीं करते हैं.

वहीं लेट्टा कानूनी रूप से आने वाले प्रवासियों के बच्चों के लिए नागरिकता देने की वकालत करते हैं. उन्होंने भी चुनाव में डर का सहारा लिया है. बसों पर लगे उनकी पार्टी के पोस्टरों में आधी तस्वीर गंभीर मुद्रा में दिख रहे लेट्टा की है, जिसके नीचे लिखा है, "चुनिए" और तस्वीर के आधे हिस्से में रूसी राष्ट्रपति पुतिन की तस्वीर है.

साल्विनी और बैर्लुस्कोनी, दोनों पुतिन की तारीफ कर चुके हैं. वहीं मेलोनी यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति का समर्थन करती हैं ताकि वह अपनी रक्षा कर सके.

 फॉन डेय लाएन
यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन इटली के चुनाव पर नजर रखे हुए हैंतस्वीर: Efrem Lukatsky/AP/dpa/picture alliance

यूरोपीय संघ की चिंता

उधर यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन ने इटली को चेतावनी दी है कि अगर वह लोकतांत्रिक सिद्धांतों से दूर जाता है, तो उसे इसके नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए. उनके बयान से इशारा मिलता है कि अगर मेलोनी और उनके गठबंधन साझीदार सत्ता में आते हैं तो इटली और यूरोपीय संघ के बीच तनाव बढ़ सकता है.

एक अमेरिकी यूनिवर्सिटी में पिछले दिनों फॉन डेय लाएन से पूछा गया कि क्या इटली के आगामी चुनावों को लेकर किसी तरह की चिंताएं हैं, इसके जवाब में उन्होंने कहा, "मेरा नजरिया यह है कि जो भी लोकतांत्रिक सरकार हमारे साथ काम करने को तैयार है, हम मिलकर काम करने को तैयार हैं... अगर चीजें गलत दिशा में जाती हैं, मैंने हंगरी और पोलैंड की बात की है, तो हमारे पास उपाय हैं."

साल्विनी ने फॉन डेय लाएन के बयान को "शर्मनाक घमंड" कह कर इसकी आलोचना की है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "यह क्या है, एक धमकी? इटली के लोगों के स्वतंत्र, लोकतांत्रिक और संप्रभु चुनाव का सम्मान करिए."

मुख्य मुद्दे

इस चुनाव में इटली के लोगों की सबसे बड़ी चिंता है ऊर्जा के दाम हैं जो एक साल पहले के मुकाबले 10 गुने हो गए हैं. इसके अलावा लोगों की नौकरियों बचाए रखना भी सबसे अहम मुद्दों में शामिल है.

किसी भी उम्मीदवार के पास ऊर्जा संकट का सटीक हल नहीं है. सिर्फ साल्विनी इटली के बंद पड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को दोबारा शुरू करने की बात कहते हैं. वैसे लगभग सभी उम्मीदवार चाहते हैं कि यूरोपीय संख्या गैस के दामों को सीमा तय करे.

इस बार इटली में रिकॉर्ड गर्मी और सूखा पड़ने के बावजूद जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव की चर्चा चुनाव में ज्यादा नहीं हैं. इटली की छोटी सी ग्रीन पार्टी लेट्टा के चुनावी गठबंधन का हिस्सा है. उसे नई संसद में चंद सीटें ही मिलने का अनुमान है.

रिपोर्ट: केके/एके (एपी, रॉयटर्स)

इटली में घर-माफिया के सताए लोग