गाजा में संघर्षविराम इस्राएली बंधक और फलीस्तीनी कैदी रिहा
२० जनवरी २०२५रविवार को रिहा हुईं तीनों बंधक महिलाएं अपने परिवारों से जा मिलीं. इसके बाद उन्हें इस्राएल के एक अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टरों का कहना है कि उनकी हालत स्थिर है. इसके कई घंटे बाद इस्राएली कब्जे वाले पश्चिमी तट में फलीस्तीनी कैदियों की रिहाई हुई. उन्हें ओफर की जेल से यहां बसों में लाया गया. पास के बेटुनिया कस्बे के उत्साही लोग उनकी रिहाई की खुशी मना रहे थे.
अपनों से मिले बंधक और कैदी
जिन तीन इस्राएली बंधकों को रिहा किया गया है उनके नाम एमिली डामारी, रोमी गोनेन और डोरॉन स्टाइनब्रेशर हैं. हमास के लड़ाकों ने उन्हें गाजा सिटी में रेड क्रॉस के हवाले किया. रेड क्रॉस ने उन्हें इस्राएली सुरक्षा बलों को सौंप दिया. एमिली की मां ने बेटी से मिलने के बाद कहा, "471 दिनों के बाद एमिली आखिरकार घर आ गई, बहुत से दूसरे परिवारों के लिए असंभव इंतजार अभी जारी है." तेल अवीव के केंद्रीय इलाके में लोगों की भीड़ उमंग से भरी हुई थी. ये लोग घंटों से इनकी रिहाई का इंतजार कर रहे थे.
इस्राएली अधिकारियों ने सोमवार सुबह 90 फलीस्तीनी कैदियों की रिहाई की पुष्टि की है. ओफर जेल के पास बेटुनिया में जब कैदियों से भरी बसें पहुंचीं तो लोगों ने शोर मचा कर उनका स्वागत किया. कुछ लोग छतों पर चढ़ कर हमास का झंडा लहरा रहे थे तो दूसरे लोगों ने पटाखे जलाए. 23 साल की अमांदा अबू शर्ख ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "आज रिहा हुए सारे कैदी हमारे परिवार जैसे महसूस हो रहे हैं. वो हमारा हिस्सा हैं, भले ही हमारा उनसे खून का संबंध ना हो." हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि कैदियों की अगली अदला बदली शनिवार को होगी.
गाजा में लोगों की वापसी
रविवार सुबह शुरू हुए संघर्षविराम के बाद हजारों विस्थापित और जंग में लहूलुहान लोग गाजा पट्टी के उजड़े इलाकों में अपने घरों को लौट रहे हैं. जबालिया के उत्तरी इलाके में सैकड़ों लोग रेतीली सड़क से जब यहां पहुंचे तो मलबे के ढेर और हर तरफ फैली विध्वंस की निशानियां ही नजर आईं.
जबालिया में 43 साल के राना मोहसेन ने कहा, "आखिरकार हम अपने घर में हैं. यहां अब घर तो नहीं बचा, केवल मलबा है लेकिन यह हमारा घर है." हजारों फलीस्तीनी टेंट, कपड़े और अपना निजी सामान ले कर रविवार को उन इलाकों में जाते दिखाई पड़े जो महीनों से जंग की तबाही देख रहा है. गाजा के ज्यादातर लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है और इनमें से कई तो ऐसे भी हैं जो एक से ज्यादा बार विस्थापित हुए.
उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी
संघर्षविराम में 42 दिन का पहला चरण कतर, अमेरिका और मिस्र की मध्यस्थता से संभव हो सका है. इसका मकसद गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने में तेजी लाना है जहां इसकी बहुत जरूरत है.
फलीस्तीन के कब्जे से और इस्राएली बंधकों को जब फलस्तीनी कैदियों के बदले रिहा किया जाएगा तो इस्राएली सेना कुछ इलाकों से बाहर निकल जाएगी. इसके बाद दोनों पक्ष स्थायी युद्धविराम की शर्तें तय करेंगे.
इस शुरुआती संघर्षविराम के दौरान 33 इस्राएली बंधकों को रिहा किया जाएगा. इनमें 31 को हमास के 7 अक्टूबर, 2023 के हमले के दौरान पकड़ा गया था. इनके बदले में 1,900 फलीस्तीनी कैदियों की रिहाई होगी.
इस्राएली अधिकारियों की तरफ से जारी सूची के मुताबिक इनमें 230 फलीस्तीनी कैदी ऐसे भी हैं जो उम्र कैद की सजा काट रहे थे. इनका प्रत्यर्पण किया जाएगा. हमास के दो अधिकारियों ने कहा है कि कैदियों को कतर और तुर्की प्रत्यर्पित किया जाएगा.
मानवीय सहायता लेकर पहुंचे ट्रक
संघर्षविराम शुरू होने के कुछ ही मिनटों बाद संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि मानवीय सहायता लेकर जाने वाले ट्रकों का फलीस्तीनी इलाके में प्रवेश शुरू हो गया है. समझौते में यह भी तय हुआ है कि हर दिन 600 ट्रक सहायता सामग्री लेकर फलीस्तीनी इलाके में जाएंगे. युद्ध शुरू होने के बाद वहां बमुश्किल 40-50 ट्रक ही जा पा रहे थे.
संघर्षविराम का मकसद युद्ध को स्थायी रूप से बंद करना है लेकिन इसका दूसरा चरण अभी तय नहीं हुआ है. संघर्षविराम तय समय से करीब 3 घंटे की देरी से शुरू हुआ, इसी बीच इस्राएल के हमले में 19 लोगों ने जान गंवाई.
सहायता कर्मियों का कहना है कि उत्तरी गाजा को खास तौर से ज्यादा नुकसान हुआ है और वहां भोजन, घर और पानी समेत सभी बुनियादी जरूरतों की भारी कमी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वह गाजा में मदद भेजने को तैयार है.
एनआर/एए (एएफपी)