येरुशलम में तनाव, गजा पर फिर बमबारी
१६ जून २०२१इस्राएल में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है. बुधवार सुबह इस्राएल ने गजा पर हमला किया, जिसमें किसी व्यक्ति की जान जाने की सूचना नहीं है. 21 मई से दोनों पक्षों के बीच युद्ध विराम चल रहा है, जो 11 दिन चली गोलाबारी के बाद लागू हुआ था. लेकिन बुधवार सुबह इस्राएली सेना ने कहा कि उसने आग लगाने वाले गुब्बारों के जवाब में हमास के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया. सेना ने बताया कि गुब्बारों ने गजा सीमा के नजदीक दक्षिणी इस्राएल में 20 जगहों पर आग लगा दी.
इस्राएली सेना के प्रवक्ता एविके ऐड्री ने ट्विटर हवाई हमलों का एक वीडियो भी शेयर किया. उन्होंने लिखा कि गजा शहर और दक्षिणी कस्बे खान यूनिस में "आतंकियों के मिलने की जगह और अन्य सुविधाओं” को निशाना बनाया गया.
येरुशलम में फिर तनाव
इस बीच येरूशलम में एक बार फिर तनाव का माहौल है. मंगलवार को अतिराष्ट्रवादी दक्षिणपंथी यहूदी प्रदर्शनकारियों ने अरब-बहुल पूर्वी येरुशलम में एक मार्च निकाला और झंडे लहराए. पूर्वी येरुशलम के उस पुराने शहर में यह प्रदर्शन हुआ, जो इस्राएल-फलस्तीन विवाद में सबसे विवादास्पद इलाका है. कथित ‘ध्वज यात्रा' दमिश्क दरवाजे से होती हुई पुराने शहर के बीचोबीच से गुजरी, जहां यहूदी, इस्लाम और ईसाई धर्म के पवित्र स्थल हैं.
इस प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा के लिए हजारों इस्राएली पुलिसकर्मी मौजूद थे. पुलिस ने दमिश्क दरवाजे के सामने से मैदान साफ करवा दिया था. सड़कें और बाजार बंद कर दिए गए थे और फलस्तीनी प्रदर्शनकारियों को भी वहां से हटा दिया गया था. फलस्तीनियों ने बताया कि इस दौरान पुलिस के साथ लोगों की झड़पें भी हुईं, जिसके दौरान पांच लोग घायल हुए और छह को गिरफ्तार कर लिया गया. स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि 33 फलस्तीनियों को चोटें आई हैं.
अतिराष्ट्रवादी सांसदों इतमार बेन-ग्वीर और बेजालेल समोत्रिच ने भी इस मार्च में हिस्सा लिया. प्रदर्शनकारियों ने उन्हें कंधों पर उठा रखा था. एक वक्त पर तो कुछ युवकों ने ‘अरब मुर्दाबाद' और ‘तुम्हारे गांव जलकर राख हो जाएं' जैसे नारे भी लगाए.
नई सरकार का रुख
इस्राएल में 14 जून को ही नई सरकार का गठन हुआ है और दक्षिणपंथी नेता नफताली बेनेट ने 12 साल तक प्रधानमंत्री रहे बेन्यामिन नेतन्याहू से कुर्सी हासिल की है. इस सरकार में यहूदी और अरब दक्षिणपंथियों के अलावा वामपंथी दल भी शामिल हैं. सरकार ने कहा कि मार्च के आयोजकों ने पुलिस से इस बारे में मश्विरा किया था कि कौन सा रास्ता लिया जाए, ताकि अरब मूल के लोगों के साथ तनाव को टाला जा सके.
सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले याइर लैपिड ने ट्विटर पर लिखा है कि वह मानते हैं, यह मार्च कानून के दायरे में थे. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ‘यह समझ से बाहर है कि आप इस्राएल का झंडा हाथ में लेकर अरब मुर्दाबाद जैसे नारे कैसे लगा सकते हैं. ये लोग इस्राएल के लिए कलंक हैं.'
आक्रोश दिवस
यहूदियों की ध्वज यात्रा के विरोध में गजा और वेस्ट बैंक में अरब मूल के लोगों ने ‘आक्रोश दिवस' मनाने का आह्वान किया है. केंद्र सरकार में शामिल इस्लामिक दल ‘राम पार्टी' के नेता मंसूर अब्बास ने कहा कि यह मार्च ‘राजनीतिक मंशा से क्षेत्र को आग में झोंक देने की कोशिश' था और नई सरकार को कमजोर करता है.
हमास और फलस्तीनी की सरकार ने भी इस मार्च को भड़काने वाला बताया था. फलस्तीनी प्रधानमंत्री मोहम्मद श्ताये ने मार्च से एक दिन पहले ही ट्विटर पर लिखा, "हम चेतावनी दे रहे हैं कि इसके खतरनाक नतीजे हो सकते हैं.”
यह कथित ‘ध्वज यात्रा' पहले 10 मई को आयोजित थी लेकिन तब येरुशलम में तनाव बढ़ने के बाद हमास और इस्राएल के बीच गोलाबारी शुरू हो गई, जो 11 दिन तक चलती रही. इस बीच यात्रा का रास्ता भी बदल दिया गया था और उसे तब पुराने शहर से नहीं जाने दिया गया था.
वीके/ एए (रॉयटर्स, एएफपी)