ईरानी प्रदर्शनकारियों को मिला फुटबॉल खिलाड़ियों का समर्थन
३० सितम्बर २०२२बीते मंगलवार को ईरान की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम सेनेगल के खिलाफ दोस्ताना मैच खेलने के लिए तैयार थी. इसी दौरान, बीएसएफजेड एरिना के बाहर ईरानी प्रदर्शनकारियों ने चिल्लाया, "उसका नाम बोलो! उसका नाम बोलो!” ये प्रदर्शनकारी ईरानी महिला महसा अमीनी की मौत के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे.
ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना से 25 किलोमीटर दूर छोटे से स्टेडियम में छोटी सी भीड़ के सामने यह फुटबॉल मैच खेला गया. प्रदर्शनकारियों में शामिल वियना निवासी 39 वर्षीय मेहरान मोस्ताएद ने कहा, "हम यहां खिलाड़ियों से अनुरोध करने के लिए आए हैं कि कृपया हमारा समर्थन करें. आप तानाशाहों के लिए खेलकर उनका समर्थन कर रहे हैं. आप हमारा समर्थन करें, क्योंकि वे हमारे युवाओं को सड़कों पर मार रहे हैं.”
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दरअसल, बीते दिनों ईरान के सख्त हिजाब कानून का कथित रूप से उल्लंघन करने के आरोप में एक युवा कुर्द महिला महसा अमीनी को नैतिकता पुलिस ने गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद 22 वर्षीय महसा अमीनी की तेहरान में 13 सितंबर को पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. पुलिस ने दावा किया कि उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी, लेकिन अमीनी के परिवार का कहना है कि उसे कभी भी दिल की कोई बीमारी नहीं थी और पुलिस द्वारा कथित दुर्व्यवहार के कारण उसकी मौत हो गई.
अमीनी की मौत के विरोध में पूरे देश में प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारियों ने रैलियां निकाली. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में महिलाओं के लिए समानता की लड़ाई में 70 से अधिक ईरानी अपनी जान गंवा चुके हैं.
विरोध में शामिल हुए फुटबॉलर
मैच के दौरान ईरानी खिलाड़ियों ने अपने-अपने तरीके से प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया. जब राष्ट्रगान गाया गया, तब उन्होंने अपनी राष्ट्रीय टीम के लोगो को ढकने के लिए काली जैकेट पहनी थी. जब बायर लीवरकुसेन के स्टार सरदार आजमौन ने ईरान के लिए 1-1 से समाप्त होने वाले खेल में बराबरी की, तो उन्होंने देश भर के प्रदर्शनकारियों के सम्मान में जश्न नहीं मनाया.
खिलाड़ियों को यह साफ तौर पर कहा गया था कि वे किसी तरह की राजनीतिक गतिविधि में शामिल न हों, इसके बावजूद आजमौन ने इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी पोस्ट की. हालांकि, बाद में उसे हटा दिया.
उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा था, "राष्ट्रीय टीम के नियमों के कारण हम विश्व कप प्रशिक्षण शिविर समाप्त होने तक कुछ बोल नहीं सकते, लेकिन मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर सकता. सजा के तौर पर मुझे राष्ट्रीय टीम से बाहर कर दिया जाएगा, लेकिन ईरानी महिलाओं के सिर के बालों के लिए यह छोटी सी कीमत है. ईरान के लोगों और महिलाओं को मारने के लिए आप पर शर्म आती है. ईरानी महिलाएं अमर रहें!”
इस सप्ताह, ईरानी टीम के कई सदस्यों ने प्रदर्शनकारियों के समर्थन में सोशल मीडिया पर विरोध से जुड़ी तस्वीरें पोस्ट की. हालांकि, यह सवाल उठता है कि क्या अब उन्हें ईरान के मुख्य कोच कार्लोस क्विरोज की विश्व कप टीम से बाहर किए जाने का खतरा है?
फुटबॉल के दिग्गजों का समर्थन
फुटबॉल से जुड़े अन्य दिग्गजों ने भी ईरानी सरकार के खिलाफ विरोध के सुर बुलंद किए हैं और प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया है. बायर्न म्यूनिख के पूर्व खिलाड़ी अली करीमी और ईरान के दिग्गज अली डेई ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए प्रदर्शन का समर्थन किया है.
करीमी ने ईरान की सेना को संदेश भेजा है कि वे अपने देश के लोगों को न मारें. करीमी ने लिखा, "मातृभूमि आपका इंतजार कर रही है. निर्दोषों का खून न बहाएं.” प्रदर्शनकारियों का समर्थन करने की वजह से करीमी सरकार समर्थकों के निशाने पर आ गए हैं और उनकी गिरफ्तारी की मांग की गई है.
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ईरान के लिए 149 बार मैदान में उतरने और 109 गोल करने वाले दिग्गज खिलाड़ी डेई ने सरकार को संदेश भेजा, "दमन, हिंसा और ईरानी लोगों को गिरफ्तार करने के बजाय, उनकी समस्याओं का समाधान करें.”
महिलाओं के लिए नई उम्मीद
ईरान में महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार नहीं दिए गए हैं. पुरुषों द्वारा खेले जा रहे मैच देखने के लिए महिलाओं को फुटबॉल स्टेडियम में जाने की इजाजत नहीं है.
पिछले महीने लगभग 500 महिलाओं को एक चुनिंदा घरेलू लीग खेल देखने की अनुमति दी गई थी, लेकिन मंगलवार की रात सारा टेलीक के सहायक रेफरी की भूमिका निभाने के बाद से महिलाओं को मैच देखने के लिए अनुमति मिलने की नई उम्मीद जगी है. सारा टेलीक ऑस्ट्रियाई रेफरी हैं जिन्होंने यूईएफए महिला यूरो 2022 में अंपायरिंग की थी.
चूंकि, मैच का ईरान में सीधा प्रसारण किया गया था, इसलिए लाखों ईरानियों और ईरानी सरकार में शामिल लोगों ने टेलीक को टीवी स्क्रीन पर देखा. वे एक महिला को बिना हिजाब के और नंगे घुटनों के साथ शॉर्ट्स पहने अपना काम करने से रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकते थे.
मैच की आयोजन टीम के एक सदस्य ने डीडब्ल्यू को बताया कि टेलीक को खेल में शामिल करने का निर्णय यूईएफए ने लिया था जो अंतरराष्ट्रीय दोस्ताना मैचों के लिए रेफरी व्यवस्था की देखरेख करता है. उन्होंने कहा, "ईरानी प्रतिनिधिमंडल ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं की थी. यह ऑस्ट्रिया है, हमने ऑस्ट्रियाई कानूनों के अनुसार खेल का आयोजन किया.”
नाम न बताने की शर्त पर ईरान इंटरनेशनल टीवी के एक ईरानी पत्रकार ने डीडब्ल्यू से कहा कि इस महत्वपूर्ण खेल के दौरान ईरानी टीवी पर प्रसारित हुई टेलीक की छवि काफी मायने रखती है. उन्होंने कहा, "ईरान के कानूनों में बदलाव होना चाहिए. महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार मिलने चाहिए.”
क्या विश्व कप विरोध का मंच बन गया है?
कतर में होने वाले विश्व कप में दो महीने से भी कम का समय बचा है. इसलिए, पहली बार खाड़ी में खेले जाने वाले टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करने पर ईरान को ध्यान देना होगा. अच्छी तैयारी से ही उन्हें छठे प्रयास में नॉकआउट चरण में पहुंचने में मदद मिल सकती है.
हालांकि, मैदान पर और मैदान के बाहर हो रहे विरोध-प्रदर्शनों के बीच मुख्य कोच क्विरोज को अपनी टीम को संभालना होगा. उन्हें हाल ही में टीम का प्रबंधन करने के लिए फिर से नियुक्त किया गया है. उनके नेतृत्व में ईरान की टीम मजबूत दिख रही है. ईरान ने सेनेगल के खिलाफ खेले गए मैच में बराबरी की और उरुग्वे को 1-0 से शिकस्त दी है.
कतर में ईरान का सामना संयुक्त राज्य अमेरिका, वेल्स और इंग्लैंड से होगा, जिनके कोच गैरेथ साउथगेट को मंगलवार को अपने ग्रुप बी विरोधियों को स्काउट करते हुए देखा गया था.
मंगलवार की रात राष्ट्रीय टीम के किसी सदस्य ने मीडिया से बात नहीं की, लेकिन वे उन आवाजों को अनदेखा नहीं कर सकते थे जो स्टेडियम के बाहर पूरे खेल के दौरान ईरान की महिलाओं की स्वतंत्रता की मांग के लिए गूंज रही थी. आखिर इन खिलाड़ियों की भी मां, बहनें और बेटियां हैं जिन्हें सरकार के कठोर कानूनों का सामना करना पड़ता है.
रिपोर्ट: लोलदे अदुवे