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राहुल गांधी को मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

४ अगस्त २०२३

सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि मामले में राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी है. मूल फैसले के खिलाफ गांधी की अपील गुजरात की एक सेशंस अदालत में लंबित है. सुप्रीम कोर्ट में उनकी अपील बस रोक लगाने तक ही सीमित थी.

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राहुल गांधी
राहुल गांधीतस्वीर: Drew Angerer/Getty Images

सुप्रीम कोर्ट ने यह रोक इस मामले में अंतिम फैसला आ जाने तक लगाई है. रोक लगने से बतौर सांसद गांधी को अयोग्य घोषित किये जाने पर भी रोक लग जाएगी. तीन जजों की पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने राहुल गांधी को दो साल जेल की सजा सुनाने के पीछे स्पष्ट कारण नहीं दिए हैं.

पीठ ने कहा कि आईपीसी की धारा 499 के तहत इस मामले में दो सालों की अधिकतम सजा का प्रावधान है जो निचली अदालत के जज ने सुनाया है. अदालत ने यह भी कहा कि अवमानना के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही गांधी को दी गई डांट के अलावा निचली अदालत के जज ने और कोई कारण नहीं दिया है. 

राहुल गांधी को सांसद चुनने वालों के अधिकार

पीठ ने स्पष्ट किया कि अधिकतम सजा देने की वजह से ही गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने की नौबत आई और अगर एक दिन कम की भी सजा दी गई होती तो ऐसा ना होता. पीठ ने कहा कि ऐसे में ट्रायल जज को अधिकतम सजा देने का कारण तो कम से कम बताना ही चाहिए था.

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पीठ ने आगे कहा कि सिर्फ गांधी ही नहीं बल्कि उनके पूरे निर्वाचन क्षेत्र के अधिकारों पर असर पड़ा है और ट्रायल जज के कोई कारण ना देने के साथ इस वजह को भी देखते हुए, उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाई जाती है.

चूंकि अंतिम फैसला अभी नहीं आया है, पीठ ने इस मामले पर आगे और कोई टिप्पणी नहीं की. हां, पीठ ने गांधी से इतना जरूर कहा कि उनके बयान सुरुचिपूर्ण नहीं थे और सार्वजनिक जीवन जी रहे उनके जैसे व्यक्ति को एक सार्वजनिक भाषण देते समय और सावधान रहना चाहिए था.

मूल मामला 2019 में कर्नाटक के कोलार में गांधी द्वारा एक चुनावी सभा के दौरान "सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों होता है" कहने का था. गुजरात में बीजेपी के पूर्व विधायक पुर्नेश मोदी ने इस बयान को लेकर गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दायर कर दिया था.

दोनों पक्षों की दलीलें

23 मार्च को सूरत की एक स्थानीय अदालत ने मानहानि के एक मामले में राहुल गांधी को दोषी पाया था और उन्हें दो साल की जेल की सजा सुनाई थी. उसके बाद गांधी की लोक सभा की सदस्यता रद्द कर दी गई थी.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में कहा कि इस मामले में खुद शिकायतकर्ता बीजेपी नेता पुर्नेश मोदी का मूल उपनाम 'मोदी' नहीं है, बल्कि उन्होंने अपना उपनाम 'मोढ़ वनिक' से बदल कर 'मोदी' रखा है.

उन्होंने यह भी कहा कि शिकायत पक्ष के मुताबिक 'मोदी' समुदाय के 13 करोड़ सदस्य हैं लेकिन गांधी की टिप्पणी के खिलाफ शिकायत सिर्फ कुछ बीजेपी नेताओं ने ही की. उन्होंने कहा कि मोदी उपनाम रखने वाले कुछ लोग मानहानि के कानून के तहत मुकदमा करने के योग्य माने गए समूह नहीं हैं.

सिंघवी ने शिकायतकर्ता द्वारा लाये गए सबूत पर भी सवाल उठाए और कहा कि उन्होंने भाषण खुद सुना भी नहीं था बल्कि उसके बारे में व्हाट्सऐप पर पढ़ा था. इस पर शिकायतकर्ता के वकील ने कहा कि भाषण की वीडियो रिकॉर्डिंग अदालत को दी जा चुकी है.