बीजेपी सांसद की अभद्र भाषा को लेकर छिड़ा विवाद
२२ सितम्बर २०२३बिधूड़ी के भाषण का वीडियो सोशल मीडिया पर विपक्ष के कई सांसदों ने साझा किया है. दानिश अली ने स्पीकर ओम बिरला को लिखे अपने पत्र की तस्वीर भी 'एक्स' पर साझा की है, जिसमें इन शब्दों का जिक्र किया गया है. अली ने स्पीकर से इस मामले की जांच कराने और इसे विशेषाधिकार समिति को सौंपने की अपील की है.
अली ने "एक्स" पर आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि उनका 'कैडर' जब एक सांसद को संसद में इस तरह के "शब्दों से अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ता तो वो आम मुसलमानों के साथक्या करता होगा? यह सोच कर भी रूह कांप जाती है."
लोक सभा स्पीकर को चुनौती
मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि स्पीकर ने बिधूड़ी के भाषण के उन अंशों को संसदीय रिकॉर्ड से काटने के आदेश दे दिए हैं. हालांकि बिधूड़ी के खिलाफ किसी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई की कोई घोषणा नहीं की गई है.
विपक्ष के कई नेताओं ने बिधूड़ी की निंदा की है और कहा है कि विपक्ष के सांसदों को सदन से आसानी से निलंबित कर दिया जाता है लेकिन सत्ता पक्ष के सांसदों के खिलाफ मांग करने के बावजूद भी कार्रवाई नहीं की जाती.
तृणमूल की सांसद महुआ मोइत्रा ने बिरला को चुनौती देते हुए कहा कि वो चाहें तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई कर सकते हैं लेकिन उन्हें यह बताना होगा कि वो बिधूड़ी के खिलाफ क्या कार्रवाई कर रहे हैं.
बीते कुछ महीनों में लोकसभा और राज्यसभा दोनों से ही विपक्ष के कई सांसदों को अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत निलंबित किया जा चुका है. अगस्त में लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को सदन को "डिस्टर्ब" करने के लिए निलंबित कर दिया गया था.
निलंबन का लंबा सिलसिला
उससे पहले आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था. उन पर बीजेपी, बीजेडी और एआईएडीएमके के चार सांसदों ने एक प्रस्ताव में बिना उनकी अनुमति के उनका नाम जोड़ने का आरोप लगाया था.
2022 में 26 जुलाई को राज्यसभा में महंगाई पर तुरंत चर्चा करवाने की मांग कर रहे 19 सांसदों को एक साथ निलंबित कर दिया गया था, जो एक नया रिकॉर्ड था. उससे पहले के सालों में भी बड़ी संख्या में विपक्ष के सांसदों को संसद से निलंबित किया गया है.
दोनों सदनों में अध्यक्ष को यह अधिकार होता है कि वो सदन की कार्रवाई में बाधा डालने को आधार बना कर किसी सदस्य का खुद ही नाम ले सकते हैं और ध्वनि मत से प्रस्ताव पारित करा कर उसे निलंबित कर सकते हैं. यह प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री भी दे सकते हैं. तब यह प्रस्ताव अध्यक्ष की जगह सरकार की तरफ से लाया गया माना जाता है.