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भारत में महिलाएं क्या सांसद बनने पर भी सुरक्षित नहीं

१७ मई २०२४

'आप' की सांसद और दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पीए पर उनके साथ मारपीट करने के आरोप लगाए हैं. सवाल उठ रहे हैं कि क्या अब देश में महिला सांसदों को भी खतरा है?

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स्वाति मालीवाल
स्वाति मालीवाल राज्यसभा की सदस्य हैं और उन पर हमला सांसद के विशेषाधिकार के हनन का मामला भी हैतस्वीर: Mayank Makhija/NurPhoto/picture alliance

दिल्ली में मुख्यमंत्री आवास पर स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट की खबर सामने आने के तीन दिन बाद मालीवाल ने गुरुवार को इस मामले पर चुप्पी तोड़ी. पहले उन्होंने दिल्ली पुलिस को इस मामले में अपना बयान दिया, जिसके कुछ घंटों बाद पुलिस ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कुमार के खिलाफ एफआईआर आईपीसी की धाराओं 354 (स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 506 (आपराधिक धमकी), 509 (अभद्र भाषा का प्रयोग कर किसी महिला के सम्मान को ठेस पहुंचाने की कोशिश) और 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) के तहत दर्ज की गई है.

मारपीट का आरोप

गुरुवार शाम को मालीवाल की शारीरिक जांच के लिए उन्हें एम्स अस्पताल ले जाया गया. उन्होंने अभी तक अपने आरोपों के बारे में विस्तृत सार्वजनिक बयान नहीं दिया है लेकिन उन्होंने एक्स पर लिखा कि उनके साथ "बहुत बुरा" हुआ, उन्होंने पुलिस को बयान दे दिया है और वो "आशा" कर रही हैं कि इस मामले में "उचित कार्रवाई" होगी.

उन्होंने यह भी लिखा, "जिन लोगों ने कैरेक्टर असेसिनेशन करने की कोशिश की, ये बोला कि दूसरी पार्टी के इशारे पर कर रही है, भगवान उन्हें भी खुश रखे...बीजेपी वालों से खास गुजारिश है इस घटना पर राजनीति न करें."

सोमवार 13 मई को कई मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि मालीवाल रविवार शाम मुख्यमंत्री आवास गई थीं और वहां पर कुमार ने उनके साथ अभद्र व्यवहार और मारपीट की. रिपोर्टों के मुताबिक मालीवाल ने वहीं से पुलिस को फोन किया और वहां आने के लिए कहा.

लेकिन जब पुलिस वहां पहुंची तो मालीवाल वहां नहीं थीं. बाद में मालीवाल खुद सिविल लाइंस थाने भी गईं लेकिन कोई रिपोर्ट नहीं लिखवाई और वहां से चली गईं. मंगलवार को 'आप' के सांसद संजय सिंह ने एक प्रेस वार्ता आयोजित कर यह माना कि कुमार ने मालीवाल के साथ अभद्रता की थी और मुख्यमंत्री ने कुमार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा है.

'आप' के अंदर कलह

लेकिन अगले दिन जब केजरीवाल और संजय सिंह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने लखनऊ गए तो वहां कुमार को केजरीवाल के साथ देखा गया. प्रेस वार्ता के दौरान केजरीवाल और सिंह से इस संबंध में सवाल भी किए गए लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया.

अरविंद केजरीवाल
जमानत पर रिहा होने के बाद अरविंद केजरीवाल जोर-शोर से चुनावी अभियान में लग गए हैंतस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS

दिल्ली की राजनीति के जानकार इस पूरे प्रकरण को 'आप' की अंदरूनी कलह के नतीजे के रूप में देख रहे हैं. लेकिन इस मामले में राजनीति के अलावा बड़ा सवाल महिला सुरक्षा का भी है. मुख्यमंत्री आवास में किसी महिला, और वो भी सांसद, के साथ मारपीट होना अपने आप में चिंताजनक मामला है.

केजरीवाल, मालीवाल और कुमार, तीनों पुराने साथी हैं. राजनीति में आने से पहले जब केजरीवाल एक आरटीआई कार्यकर्ता थे, तब मालीवाल और कुमार उनके साथ उनके एनजीओ परिवर्तन और पीसीआरएफ के लिए काम करते थे. 'आप' में आज भी ऐसे लोग हैं जो उस जमाने से केजरीवाल के साथी हैं.

"लोकपाल" आंदोलन के बाद जब एक राजनीतिक पार्टी बनाने का फैसला लिया गया तो उस समय मालीवाल इस फैसले से सहमत नहीं थीं. वो राजनीति से बाहर रहना चाहती थीं और वो बाहर रहीं भी.

महिला सांसद पर हमले का मामला

जुलाई 2015 में उन्हें दिल्ली सरकार ने दिल्ली महिला आयोग का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया. बाद में उन्हें इसी पद पर एक और कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया लेकिन जनवरी, 2024 में पार्टी ने उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने के बाद उन्होंने आयोग से इस्तीफा दे दिया और सांसद बन गईं.

दिल्ली की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं के मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद यह सवाल उठे कि मालीवाल और पार्टी के एक और सांसद राघव चड्ढा मुखर रूप से केजरीवाल की रिहाई की मांग करते हुए नजर क्यों नहीं आ रहे हैं.

पार्टी ने स्पष्ट किया कि दोनों सांसद उस समय निजी और पारिवारिक कारणों से देश से बाहर थे. लेकिन अब इस एफआईआर के बाद इन अटकलों ने और तूल पकड़ लिया है कि कहीं इन दोनों और पार्टी के बीच गहरे मतभेद तो नहीं हो गए हैं.

इसके अलावा सांसद होने के नाते मालीवाल पर हमला होना सांसद के विशेषाधिकार के हनन का मामला भी है. ऐसे मामलों का अमूमन संसद भी संज्ञान लेती है और संबंधित लोगों, संस्थाओं को नोटिस जारी करती है. मालीवाल के मामले में ऐसा अभी तक नहीं हुआ है.