भारतीय नौसेना ने फेसबुक और स्मार्टफोन पर लगाई रोक
३० दिसम्बर २०१९नौसैनिक अड्डों, डॉकयार्ड्स और जहाज पर पोस्टिंग के दौरान स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी गई है. दिसंबर में हनीट्रैप में फंसकर पाकिस्तान के लिए जासूसी करते पकड़े गए 11 नौसैनिकों की गिरफ्तारी के बाद यह फैसला लिया गया है. न्यूज एजेंसी एएनआई को नौसेना के एक अधिकारी ने बताया कि सोशल मीडिया पर कई नौसेना कर्मचारियों के नौसेना की खुफिया जानकारी दूसरे लोगों के साथ साझा करते पकड़े जाने के बाद यह फैसला लिया गया है. आरोप है कि पकड़े गए लोगों में अधिकतर पाकिस्तानी एजेंट्स के जाल में फंसकर उन्हें सूचनाएं लीक कर रहे थे. इसलिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध का फैसला लिया गया है.
आंध्र प्रदेश इंटेलीजेंस विभाग ने 19 दिसंबर को नौसेना में चल रहे एक जासूसी गिरोह का पर्दाफाश किया था. आंध्र प्रदेश इंटेलीजेंस ने इस ऑपरेशन को डॉल्फिंस नोज नाम दिया था. विभाग के मुताबिक इन सातों नाविकों की भर्ती 2017 में हुई थी. गिरफ्तारी के समय इनकी पोस्टिंग अलग-अलग जगह पर थी. तीन नाविकों को विशाखापट्टनम, दो को कारवार और दो नाविकों को नौसेना के मुंबई बेस से गिरफ्तार किया गया था. इनके ऊपर आरोप है कि सितंबर 2018 से कुछ महिलाओं के संपर्क में थे. इन महिलाओं के साथ इनकी अश्लील बातचीत भी थी. इन महिलाओं ने आरोपी नाविकों की पहचान एक व्यापारी से करवाई जो असल में पाकिस्तानी हैंडलर था. महिलाओं ने ब्लैकमेल कर इनसे नौसेना से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां मांगी जो इन्होंने सोशल मीडिया के जरिए महिलाओं को उपलब्ध करवाईं. इस मामले की जांच सरकार ने अब एनआईए को सौंप दी है.
इंटेलीजेंस विभाग का कहना है कि इन नाविकों को हवाला के जरिए पैसे भी दिए गए. उन्होंने सितंबर-अक्टूबर 2018 में लड़ाकू जहाजों और पनडुब्बियों पर अपनी तैनाती के दौरान किए गए कामों की जानकारी भी साझा की थी. इनकी गतिविधियां लंबे समय से इंटेलीजेंस के रडार पर थीं. सात नाविकों से की गई पूछताछ और दूसरे सबूतों के आधार पर 30 दिसंबर को चार और नाविकों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से तीन मुंबई और एक कारवार बेस पर तैनात था. इंटेलीजेंस विभाग ने इन नाविकों के लिए हवाला से पैसे भेजने वाले एक ऑपरेटर को भी मुंबई से गिरफ्तार किया है.
भारतीय सेनाओं में सोशल मीडिया पर हनीट्रैप में फंसकर जासूसी करने के कई मामले सामने आ चुके हैं. हनीट्रैप करने वाले लोग सोशल मीडिया पर सैन्य कर्मचारियों द्वारा उपलब्ध करवाई गई जानकारी के आधार पर उनको निशाना बनाते हैं. सैन्य नियमों के मुताबिक सोशल मीडिया पर वर्दी में फोटो अपलोड करने पर रोक है. साथ ही किसी भी आम नागरिक द्वारा सैन्य वर्दी में फोटो डालना भी अपराध है.
हाल में पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के वॉट्सऐप अकाउंट हैक होने की घटना के बाद भारतीय थलसेना ने अपने अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देश दिए थे कि वे किसी भी तरह की संवेदनशील जानकारियां वॉट्सऐप पर शेयर ना करें. राज्यसभा में सैनिकों के हनीट्रैप को लेकर एक सवाल पूछा गया था. जवाब में रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नायक ने बताया कि खुफिया एजेंसियों द्वारा हनीट्रैप के प्रयास किए जा रहे हैं. प्रशिक्षण संस्थानों में नए जवानों को इससे बचने की ट्रेनिंग दी जा रही है. सरकार द्वारा डिफॉल्टरों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाकर कड़ी कार्रवाई की जा रही है.
भारतीय सेनाओं ने एक एडवायजरी जारी कर अपने कर्मचारियों से कहा था कि वे अजनबियों और खासकर विदेशी मूल के लोगों के साथ मित्रतापूर्वक व्यवहार करने से बचें. साथ ही अगर उन्हें ऐसी कोई आशंका लगे तो तुरंत अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दें.
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