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समाज

कश्मीर दौरे पर अमित शाह, आतंकी हमले जारी

२५ अक्टूबर २०२१

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पहली बार गृह मंत्री अमित शाह प्रदेश के दौरे पर हैं. उन्होंने कहा है कि बिना भेदभाव के जम्मू और कश्मीर का विकास होगा.

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तस्वीर: Dar Yasin/AP Photo/picture alliance

गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को जम्मू और कश्मीर दोनों क्षेत्रों के समान विकास का वादा किया और कहा कि "किसी को भी" केंद्र शासित प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई विकास प्रक्रिया को बाधित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. शाह अपने जम्मू-कश्मीर के तीन दिवसीय दौरे हैं. आखिरी दिन यानी सोमवार को शाह ने श्रीनगर में विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया.

सोमवार को घाटी में अमित शाह ने जनसभा को संबोधित करते हुए, "फारूक अब्दुल्ला ने भारत सरकार को पाकिस्तान से बात करने की सलाह दी...मैं घाटी के युवाओं से बात करना चाहता हूं. मैंने घाटी के युवाओं के सामने दोस्ती का हाथ बढ़ाया है. घाटी, जम्मू और नए बने लद्दाख का विकास पाकीजा मकसद से उठाया गया कदम है."

शाह ने अपने संबोधन में कहा कि वे चाहते हैं कि युवा पत्थर नहीं उठाएं बल्कि कलम उठाएं. शाह ने कहा, "बहुत लोगों ने सवाल उठाए कि धारा 370 हटने के बाद घाटी के लोगों की जमीन छीन ली जाएगी..ये लोग विकास को बांधकर रखना चाहते हैं, अपनी सत्ता को बचाकर रखना चाहते हैं, 70 साल से जो भ्रष्टाचार किया है उसको चालू रखना चाहते हैं."

घाटी में आतंकी हमले बढ़ने के साथ ही सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. महिलाओं और बच्चों की भी तलाशी अब सड़कों पर ली जा रही है.

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इस पर सवाल उठाया है. उन्होंने ट्वीट किया, "सामूहिक गिरफ्तारी, अपनी मर्जी से इंटरनेट बंद करना, लोगों की तलाशी लेना (बच्चों को भी नहीं छोड़ना), बाइक और दोपहिया वाहनों को जब्त करना और नए सुरक्षा बंकर स्थापित करने जैसे कड़े, कठोर और दमनकारी कदम उठाने के बाद क्या करना बाकी है?"

दरअसल चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने पिछले दिनों कहा था कि आतंकियों के हमलों को विफल करने के लिए सुरक्षा निगरानी तेज की जा रही है. इसी बयान पर महबूबा ने ट्वीट किया था और अपनी नाराजगी जाहिर की थी. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "कश्मीर को एक खुली जेल में बदलने के बाद भी बिपिन रावत का बयान कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में स्थिति से निपटने के लिए भारत सरकार का एकमात्र तरीका दमन करना है. यह उनके आधिकारिक कथन के भी विपरित है कि यहां सब कुछ ठीक है."

तीन परिवारों पर निशाना

अपने दौरे के दूसरे दिन अमित शाह ने कहा था सरकार ऐसा माहौल बनाना चाहती है कि एक भी व्यक्ति की जान ना जाए. उन्होंने कहा कि वे ऐसी योजना पर काम कर रहे हैं, ताकि दहशतगर्दी पूरी तरह से खत्म हो जाए.

शाह ने कांग्रेस, महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला का बिना नाम लिए कहा कि तीन परिवारों के शासनकाल के 70 साल में इतना विकास नहीं हुआ होगा जितना मोदी सरकार के कार्यकाल में हुआ. शाह ने जनता से कहा कि वे तीन परिवारों से जम्मू-कश्मीर के हजारों लोगों की मौत का हिसाब मांगें.

एक और हत्या

रविवार को शोपियां इलाके में आतंकवादियों और सीआरपीएफ के बीच मुठभेड़ में कथित रूप से एक आम नागरिक की मौत हो गई. दूसरी ओर पुंछ जिले के जंगल में छिपे आतंकियों और सेना के बीच मुठभेड़ जारी है. इस जंगल में पिछले 15 दिनों से सेना का तलाशी अभियान चल रहा है.

अक्टूबर महीने में आतंकियों द्वारा आम नागरिकों पर हमले बढ़े हैं और अब तक 11 बेगुनाहों की जान जा चुकी है. दूसरे राज्यों से आने वाले प्रवासी मजदूर दहशत के माहौल में रहना नहीं चाहते हैं और वे अपने-अपने घरों की ओर लौट रहे हैं.

एक ओर जहां देश के गृह मंत्री कश्मीर के युवाओं से पत्थर की जगह कलम उठाने की अपील कर रहे हैं तो वहीं रविवार को दुबई में भारत-पाकिस्तान टी-20 विश्व कप मैच के बाद पंजाब के संगरूर में कई कश्मीरी छात्रों ने भारत की हार के बाद कथित हमले का आरोप लगाया है. आरोप लगाए जा रहे हैं कि कश्मीरी छात्रों ने भारत विरोधी नारे लगाए थे. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मामले को काबू करने का दावा किया था. ये सभी संगरूर के भाई गुरदास इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के छात्र हैं.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से मामले पर ध्यान देने की अपील की है.

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