भारत ने चावल निर्यात पर लगाई रोक
९ सितम्बर २०२२दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत ने टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है और अन्य किस्मों पर निर्यात कर 20 प्रतिशत कर दिया है. औसत से कम मॉनसून बारिश के कारण स्थानीय बाजारों में चावल की बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने के लिए यह फैसला किया गया है. इसका असर दुनियाभर के बाजारों में महंगाई के रूप में देखने को मिल सकता है.
भारत दुनिया के 150 से ज्यादा देशों को चावल का निर्यात करता है और उसकी तरफ से निर्यात में आने वाली जरा सी भी कमी उन देशों में कीमतों को सीधे तौर पर प्रभावित करती है. पहले से खाने के सामान की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि झेल रही दुनिया के लिए यह एक बड़ी समस्या हो सकती है. यूरोप और अमेरिका के कई इलाके ऐतिहासिक सूखे से जूझ रहे हैं और यूक्रेन युद्ध का असर भी विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ाए हुए है.
दुनिया में महंगाई बढ़ेगी
भारत द्वारा लगाया गया नया निर्यात कर खरीददारों को ज्यादा चावल खरीदने से हतोत्साहित करेगा और वे थाईलैंड व वियतनाम जैसे अन्य वैकल्पिक बाजारों का रुख कर सकते हैं. उन देशों के लिए यह एक अच्छी खबर हो सकती है क्योंकि वियतनाम और थाईलैंड अपना निर्यात बढ़ाने को कोशिशों में जुटे हैं.
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीवी कृष्णाराव ने बताया कि निर्यात कर का असर भूरे और सफेद चावल पर होगा जो निर्यात का कुल 60 प्रतिशत है. उन्होंने कहा, "इस कर के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत का निर्यात महंगा हो जाएगा. फिर खरीददार थाईलैंड और वियतनाम की ओर जाएंगे.”
वैसे भारत सरकार ने उबले चावल और बासमती को इस निर्यात कर से बाहर रखा है. नया कर 9 सितंबर यानी शुक्रवार से लागू हो गया है. इसके साथ ही टूटे चावल के निर्यात पर पूर्ण रोक भी अमल में आ गई है. टूटा चावल आमतौर पर गरीब अफ्रीकी मुल्कों को जाता है जहां इंसानों के अलावा इसे मवेशियों को भी खिलाया जाता है.
व्यापारियों में चिंता
दुनिया के कुल चावल निर्यात का 40 फीसदी भारत से होता है. उसका मुकाबला थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और म्यांमार से होता है. लेकिन भारत में यह मॉनसून कमजोर रहा है और बारिश सामान्य से कम हुई है. पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश में हुई कम बारिश के कारण धान की बुआई या तो कम हुई है या फिर देर से हो रही है. इस कारण चावल के उत्पादन को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं. हाल ही में भारत ने गेहूं के निर्यात पर रोग लगा दी थी और चीनी के निर्यात को भी नियंत्रित कर दिया था.
भारत के सबसे बड़े चावल निर्यातक सत्यम बालाजी के एग्जीक्यूटिव डाइरेक्टर हिमांशु अग्रवाल कहते हैं कि बढ़े हुए कर के कारण आने वाले महीनों में भारत का निर्यात 25 फीसदी तक गिर सकता है. वह कहते हैं कि सरकार को कम से कम उन समझौतों के लिए राहत देनी चाहिए जो आज से पहले हो चुके हैं और बंदरगाहों पर चावल लादा जा रहा है.
अग्रवाल ने कहा, "खरीददार पहले से तय कीमत पर 20 प्रतिशत ज्यादा नहीं दे सकते और विक्रेता भी 20 प्रतिशत कर वहन नहीं कर सकते. सरकार को पहले से हो चुके समझौतों को राहत देनी चाहिए.”
भारत का रिकॉर्ड निर्यात
2021 में भारत का चावल निर्यात रिकॉर्ड 2.15 करोड़ टन पर पहुंच गया था जो दुनिया के बाकी चार सबसे बड़े निर्यातकों थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और अमेरिका के कुल निर्यात से भी ज्यादा है. भारत को सबसे बड़ा फायदा उसकी कीमत से ही होता है क्योंकि वह सबसे सस्ता सप्लायर है.
मुंबई स्थित ग्लोबल ट्रेडिंग फर्म में काम करने वाले एक ट्रेडर के मुताबिक इस सस्ते चावल के कारण ही नाईजीरिया, बेनिन और कैमरून जैसे देश गेहूं और मकई की महंगाई से बच पाए. इस ट्रेडर के मुताबिक चावल को छोड़कर बाकी सभी अनाज महंगे हो गए थे और अब चावल भी उसी राह चल निकला है. वह कहते हैं कि टूटे चावल के निर्यात पर रोक से चीन को भी नुकसान होगा क्योंकि वह मवेशियों को खिलाने के लिए इसे खरीदता है.
चीन 2021 में टूटे चावल का सबसे बड़ा खरीददार था. उसने 11 लाख टन चावल खरीदा था. अफ्रीकी देशों जैसे सेनेगल और जिबूती ने इंसानी उपभोग के लिए इसे खरीदा था.
वीके/सीके (रॉयटर्स, एपी)