सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए भारत क्या कर रहा है
८ जनवरी २०२२24 दिसंबर को भारतीय वायु सेना का एक मिग-21 विमान भारत के पश्चिमी राज्य राजस्थान में एक प्रशिक्षण अभ्यास के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें एक पायलट की मौत हो गई. यह घटना साल 2021 में हुई दुर्घटनाओं की श्रृंखला में नवीनतम थी और इसी श्रृंखला में भारतीय सैन्य उड्डयन के लिए सबसे घातक घटनाओं में से एक भी पिछले दिनों हुई.
24 दिसंबर की दुर्घटना देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे जाने के कुछ हफ्तों बाद हुई थी. जनरल रावत की मौत की घटना की अभी जांच ही हो रही थी कि 24 दिसंबर को मिग-21 के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना ने सबको चौंका दिया. साल 2021 में ये पांचवीं घटना थी जब मिग-21 जेट विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ हो.
हवाई आपदा ने एक बार फिर से गैर प्रासंगिक सैन्य उपकरणों के मुद्दे की ओर ध्यान दिलाया है और भारतीय सैन्य आधुनिकीकरण के बारे में चर्चा शुरू कर दी है.
प्रक्रिया कैसी चल रही है?
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि बदलती भौगोलिक-राजनीतिक स्थिति और भारतीय उपमहाद्वीप के सुरक्षा परिदृश्य ने भारत सरकार को सैन्य आधुनिकीकरण में तेजी लाने के लिए प्रेरित किया है.
डीडब्ल्यू से बातचीत में मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजूकेशन में भूराजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर अमृता जैश कहती हैं, "पिछले साल से आधुनिकीकरण की दिशा में अचानक उछाल आया है जिसकी वजह चीन के साथ तनाव और लद्दाख गतिरोध हैं और निश्चित तौर पर पाकिस्तान के साथ लगातार तनाव भी एक वजह है.”
राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में एमेरिटस प्रोफेसर भरत कर्नाड का कहना है कि आधुनिकीकरण कार्यक्रम सुनियोजित नहीं था. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहते हैं, "भारत में सैन्य आधुनिकीकरण हमेशा एक सहायक प्रक्रिया रही है, जो केवल संबंधित सेवाओं के निदेशालयों द्वारा तैयार की गई संभावित योजनाओं के अनुरूप है.”
चुनौतियां क्या हैं?
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के सैन्य आधुनिकीकरण के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रक्षा बजट है. साल 2020 में, भारत का रक्षा बजट करीब 72.9 बिलियन डॉलर था जबकि चीन का रक्षा बजट इसी दौरान करीब 178 बिलियन डॉलर था.
कर्नाड कहते हैं, "आधुनिकीकरण सेना को उपलब्ध कराए गए वित्तीय संसाधनों का एक कार्य है. भारत के मामले में एकमात्र समस्या यह है कि यहां बजट का एक बड़ा हिस्सा जनशक्ति पर खर्च हो रहा है.”
कर्नाड बताते हैं, "मान लीजिए, सेना ने 2020-2021 के बजट का 56 फीसद या 38 बिलियन डॉलर का पूरा हिस्सा लिया और इसमें से केवल 18 फीसद यानी करीब 7 बिलियन डॉलर, पूंजीगत व्यय के लिए आवंटित किया गया था, जो कि आधुनिक हथियारों और पुर्जों की खरीद के लिए है. आज के जमाने में 7 बिलियन डॉलर से सैन्य आधुनिकीकरण नहीं किया जा सकता.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार के उद्देश्य से सेना, नौसेना और वायु सेना की क्षमताओं को एकीकृत करना चाहती है.
वर्तमान 17 एकल-सेवा इकाइयों को पांच ‘थिएटर कमांड' के तहत आना है ताकि भविष्य के संघर्षों से निपटने में एकीकृत दृष्टिकोण स्थापित हो सके.
जैश कहती हैं कि सुधार आधुनिकीकरण प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहती हैं, "आधुनिकीकरण केवल हथियारों, प्लेटफार्मों और उपकरणों के बारे में नहीं है क्योंकि अब हम तीनों चीजों को लाने के लिए कमांड्स के नाटकीयता की भी बात कर रहे हैं. चीन पहले ही नाट्यकरण की ओर बढ़ चुका है और भारत अभी भी नाट्यकरण के लिए बातचीत कर रहा है. अभी, आधुनिकीकरण को रंगमंच की ओर ले जाना चाहिए.”
साल 2020 में, सियाचिन पर भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट- ‘हिमालय में दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र' ने बहुत ही जरूरी सैन्य तैयारियों में कमी को उजागर किया था. पिछले दशक में सैन्य संसाधनों कमी और उपकरणों के चलन से बाहर होने की ऐसी कई रिपोर्टें आई हैं.
कर्नाड कहते हैं, "पुराने हथियार प्लेटफार्मों में जो अभी भी सेवा में हैं, उनमें सबसे विशिष्ट भारतीय वायु सेना बेड़े में मिग-21 बाइसन है जिसे चरणबद्ध तरीके से हटाया जा रहा है.”
साइबर युद्ध पर अधिक ध्यान देने की जरूरत
विमान अभी भी उपयोग में क्यों है, इसके कारणों के बारे में विश्लेषकों का कहना है कि नए जेट प्राप्त करने के लिए पैसे की कमी है और इसी वजह से सेना और नौसेना की विमानन इकाइयों का एक बार में आधुनिकीकरण नहीं किया जा सकता है. कुछ जानकारों का कहना है कि भारत को किस तरह के जेट विमानों की जरूरत है, इस पर अधिकारियों को स्पष्टता की जरूरत है.
जैश कहती हैं, "अभी हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमारे पास राडार से बच निकलने वाले एयरक्राफ्ट नहीं हैं. दूसरे, हमें अभी रफाएल लड़ाकू विमान मिला है लेकिन मिग का ट्रैक रिकॉर्ड जारी है. एक तरफ हम रफाएल लाने की बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ हम मिग के विनाशकारी स्वरूप को भी देख रहे हैं. एक संतुलन होना चाहिए.”
विशेषज्ञों का जोर देकर कहना है कि इन सबके अलावा, साइबर और नेटवर्क केंद्रित युद्ध पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है.
कर्नाड कहते हैं, "चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की तुलना में घातक कमियां शायद साइबर युद्ध और अभेद्य रणनीतिक और युद्धक्षेत्र संचार प्रणालियों के क्षेत्र में हैं. वहां जो भी कमियां हैं, वो व्यापक हो रही हैं.”
आगे का रास्ता क्या है?
भारत वर्तमान में दुनिया के शीर्ष पांच हथियार आयातकों में से एक है लेकिन मोदी सरकार ने हथियारों और सैन्य उपकरणों के स्थानीय स्तर पर उत्पादन और खरीद पर अधिक जोर दिया है.
पिछले साल अमेरिका से होवित्जर तोपें खरीदने की बात का उल्लेख करते हुए जैश कहती हैं, "भारत ने हाल ही में जो खरीदारी की है, वह विचार प्रक्रिया में एक रणनीतिक बदलाव को दिखाती है. अब हम बहुत सोच-समझकर रक्षा उपकरणों की खरीददारी कर रहे हैं.”
वह भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण को भी प्रशंसनीय मानती हैं जिसमें स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत, नियोजित वाहक आईएनएस विशाल और संशोधित कीव-श्रेणी के विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य का उदाहरण पेश किया गया है.
जैश कहती हैं, "भारत रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण के साथ कमियों को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है. चाहे वह आईएनएस विशाल हो या आईएनएस विक्रमादित्य, इसे सही तरह के विदेशी हथियारों के साथ संतुलित करने के साथ-साथ स्वदेशीकरण ही एकमात्र तरीका है.”