दलितों के साथ अत्याचार क्यों नहीं रुक रहे?
२० फ़रवरी २०२०राजस्थान के नागौर में 16 फरवरी को दो दलितों की कथित चोरी के आरोप में अमानवीय तरीके से पिटाई और बर्बरता का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है. सोशल मीडिया में वायरल वीडियो में दोनों युवकों की आरोपी पिटाई करते दिखाई दे रहे हैं. आरोप है कि पिटाई करने वालों ने दो में से एक पीड़ित को चोट पहुंचाने के इरादे से पेचकस पर पेट्रोल से भरा कपड़ा लपेट उसके गुप्तांग में डाला.
राजस्थान पुलिस ने वीडियो वायरल होने के बाद पीड़ितों के बयान के आधार पर सात लोगों को गिरफ्तार किया है. युवकों की पिटाई का मामला तब सामने आया जब वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया. हालांकि आरोपियों ने भी पीड़ितों के खिलाफ कथित चोरी के आरोप में जवाबी मामला दर्ज कराया है.
दरअसल दोनों पीड़ित नागौर में बाइक सर्विस कराने के लिए सर्विस सेंटर गए थे. वहीं पर एजेंसी कर्मचारियों ने दोनों पर पैसे चुराने के आरोप लगाए और उनकी भयावह तरीके से पिटाई कर दी. नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल ने डीडब्ल्यू से कहा, "देश आजाद होने के इतने साल बाद भी दलितों के साथ अत्याचार की घटनाएं बंद होने का नाम नहीं ले रही हैं. सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद मामला सबके सामने आया और पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी."
साथ ही बेनीवाल कहते हैं कि सरकार किसी की भी हो दलितों के साथ अत्याचार बंद नहीं होता है. बेनीवाल कहते हैं, "मामला बहुत गंभीर है और इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और राज्य सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए."
नागौर की घटना पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर राज्य सरकार से तुरंत कार्रवाई का आग्रह किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "राजस्थान के नागौर में दो दलितों के साथ क्रूरतापूर्वक अत्याचार का वीडियो दुखद और दिल दहलाने वाला है. मैं राज्य सरकार से इस घिनौने अपराध में शामिल आरोपियों को सजा दिलाने का आग्रह करता हूं."
राहुल गांधी के ट्वीट के जवाब में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, "अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और मामले में तुरंत कार्रवाई की गई है. दोषियों को कानून के मुताबिक सजा दी जाएगी. हम सुनिश्चित करेंगे कि पीड़ितों को न्याय मिले."
हालांकि बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस मुद्दे पर राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, "राज्य सरकार? मुख्यमंत्री गृहमंत्री भी हैं और उनका नाम अशोक गहलोत है. शायद आपको न पता हो कि राज्य में दलितों के खिलाफ कट्टरता के लिए कौन जिम्मेदार है. जब से कांग्रेस ने राजस्थान में सरकार बनाई है, दलितों और महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ गए हैं."
दलितों के साथ अत्याचार का मामला नया नहीं है. पिछले दिनों महाराष्ट्र के औरंगाबाद में जब एक दलित महिला ने एक शख्स को अपने घर में घुसने से रोका, तो उस शख्स ने महिला को जिंदा जला दिया. यही नहीं पिछले दिनों गुजरात के बनासकांठा में एक दलित युवक को शादी के लिए घोड़ी चढ़ने नहीं दिया गया और काफी हंगामे के बाद पुलिस सुरक्षा में उसकी बारात निकल पाई.
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. रतन लाल कहते हैं, "संस्कार और सोच बदलने की जरूरत है. यह सिर्फ दलित और आदिवासी समाज की बात नहीं है. महिला उत्पीड़न पर सड़क पर उतरने वाले नागरिक समाज के सदस्यों को दलित महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार के खिलाफ भी सड़क पर उतरना पड़ेगा."
साथ ही डॉ. रतन लाल कहते हैं, "इस तरह की घटनाएं जो हो रही हैं इसका मनोवैज्ञानिक पहलू भी है. इस तरह की वारदात को अंजाम समाज को आतंकित करने के लिए दिया जाता है ताकि समाज डर जाए." उनका कहना है कि राज्य सरकारों को इच्छाशक्ति दिखानी होगी और अपराध को अपराध समझना होगा और और कानून को सख्ती से लागू करना होगा.
राजस्थान स्थित सामाजिक कार्यकर्ता हंसराज मीणा कहते हैं, "नागौर की घटना अमानवीय है और सभ्य समाज पर कलंक लगाती है. हम सरकारों से यह पूछना चाहते हैं कि आखिर दलितों के साथ इस तरह की बर्बरता कब तक जारी रहेगी."
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