खतरे के बावजूद कई गुना वेतन के लिए इस्राएल जा रहे भारतीय
२७ मई २०२४फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास के साथ चल रहे युद्ध के कारण श्रमिकों की कमी को पूरा करने के लिए तेलंगाना से कई श्रमिक इस्राएल जा रहे हैं. इससे पहले उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मजदूरों ने भी वहां जाने में दिलचस्पी दिखाई थी.
हमास के साथ संघर्ष के कारण इस्राएल में श्रमिकों की कमी हो गई है और वह भारत से मजदूरों को ले जाकर वहां अपनी कमी को पूरा करने की कोशिशों में जुटा है. इस साल देश में इस तरह का तीसरा अभियान चलाया गया. अच्छा वेतन इस्राएल जाने के लिए अहम कारण माना जा रहा है.
इस्राएल जा रहे भारतीय
हैदराबाद के करीब 2,209 निर्माण मजदूरों ने चार दिन चले भर्ती अभियान के लिए पंजीकरण कराया था. इन मजदूरों से कुछ टेस्ट लिए गए और 905 लोगों को इस्राएल की विदेशी श्रम शक्ति में शामिल करने के लिए चुना गया.
भर्ती अभियान राज्य सरकार द्वारा संचालित किया गया था और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम इंटरनेशनल (एनएसडीसीआई) द्वारा सहायता प्रदान की गई थी.
भारत और इस्राएल के बीच श्रमिकों को वहां भेजने के लिए एक समझौता हुआ है. इस समझौते के तहत इस साल देश में आयोजित यह तीसरा भर्ती अभियान था. समझौते के मुताबिक इस्राएल भारत से मजदूरों को चुनेगा और उनके कौशल की जांच के बाद उन्हें वहां नौकरी की पेशकश करेगा.
एनएसडीसीआई के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार से कहा, "इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी इसी तरह के भर्ती अभियान आयोजित किए गए थे. उन दोनों अभियानों में नौ हजार से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया था."
कठोर चयन प्रक्रिया के बाद उत्तर प्रदेश से 5,087 और हरियाणा से 530 उम्मीदवारों को नौकरी के लिए चुना गया था.
एनएसडीसीआई के अधिकारी के मुताबिक इस तरह के भर्ती अभियान महाराष्ट्र, बिहार और राजस्थान में भी आयोजित होने की उम्मीद है.
भारत से अधिक वेतन
तेलंगाना में भर्ती किए गए मजदूर बढ़ई, सिरेमिक टाइलिंग, पलस्तर और लोहे को मोड़ने का काम करते हैं. युद्धग्रस्त क्षेत्र में जाने वाले भारतीयों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण इस्राएल के निर्माण उद्योग द्वारा दिया जाने वाला उच्च वेतन है.
भर्ती टीम के मुताबिक प्रत्येक मजदूर 1.2 लाख से लेकर 1.38 लाख रुपये प्रति माह पाएगा, जो भारत में ऐसे कुशल श्रमिकों के लिए बाजार दरों से कई गुना अधिक है.
इस्राएल अपनी घरेलू निर्माण जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशी श्रमिकों की तलाश में है. इस साल की शुरुआत तक लगभग 80,000 फिलिस्तीनी इस्राएल के निर्माण उद्योग में काम कर रहे थे. हालांकि, जैसे ही जनवरी में अरब देशों के साथ तनाव शुरू हुआ, इस्राएल ने फिलिस्तीनियों के वर्क परमिट रद्द कर दिए.
ट्रेड यूनियन को है आपत्ति
इससे पहले भारत में कई ट्रेड यूनियनों ने श्रमिकों को इस्राएल भेजे जाने पर कड़ी आपत्ति जताई थी और प्रधानमंत्री मोदी की सरकार से इस्राएल के साथ इस समझौते को खत्म करने की अपील की थी. श्रमिक संगठनों का कहना है कि मजदूरों को संघर्ष क्षेत्र में भेजना जानबूझकर उनकी जान जोखिम में डालने जैसा है.
लेकिन उस समय भारत सरकार ने कहा था कि दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत भारत के श्रमिकों के साथ बेहतर व्यवहार किया जाएगा, उनके अधिकारों की रक्षा की जाएगी और उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का अनुमान है कि 2022 में देश में 29 प्रतिशत यूनिवर्सिटी ग्रैजुएट बेरोजगार थे. यह दर उन लोगों की तुलना में लगभग नौ गुना अधिक है जिनके पास कोई डिप्लोमा नहीं है और आमतौर पर कम वेतन वाली नौकरियों या कंस्ट्रक्शन सेक्टर में काम करते हैं.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक भारत की 1.4 अरब आबादी में से आधे से अधिक लोग 30 वर्ष से कम उम्र के हैं.