मणिपुर में नए सिरे से क्यों भड़की हिंसा?
२ जनवरी २०२४नए साल के पहले दिन मणिपुर में ताजा हिंसा में चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई और कई अन्य घायल हो गए, जिसके बाद राज्य के पांच घाटी जिलों में फिर से कर्फ्यू लगा दिया गया. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक थौबल जिले के स्थानीय लोगों और अज्ञात हथियारबंद लोगों के बीच सोमवार को झड़प हो गई.
इस गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई है और पांच लोग घायल हो गए. हथियारबंद लोगों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है. रिपोर्टों के मुताबिक पुलिस ने कहा कि घटना लिलोंग चिंगजाओ में हुई, जहां लोगों से जबरन वसूली को लेकर हुए झगड़े के बाद हथियारबंद हमलावरों ने लोगों पर गोलियां चला दीं.
घायलों में से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है और उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एक वीडियो संदेश में हिंसा की निंदा की और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की.
पांच जिलों में कर्फ्यू
इस घटना के बाद इलाके में भारी तनाव हो गया और गुस्साई भीड़ ने हमलावरों द्वारा इस्तेमाल किए गए दो वाहनों को जला डाला. इस बीच, थौबल हिंसा को देखते हुए घाटी के सभी पांच जिलों- थौबल, इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम, काकचिंग और बिष्णुपुर के प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया है.
बीरेन सिंह ने कहा, "मैं निर्दोष लोगों की हत्या पर दुख व्यक्त करता हूं. हमने अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस टीमें लगा दी हैं. मैं लिलोंग के लोगों से अपील करता हूं कि वे दोषियों को पकड़ने में सरकार की मदद करें. मैं वादा करता हूं कि सरकार कानून के तहत न्याय देने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी."
पिछले साल भड़की थी जातीय हिंसा
दो दिन पहले ही मणिपुर के सीमावर्ती शहर मोरेह में संदिग्ध विद्रोहियों और पुलिस कमांडो के बीच गोलीबारी में सुरक्षा बल के चार जवान घायल हो गए थे. अधिकारियों ने कहा कि विद्रोहियों ने कई आरपीजी फायर किए जो मोरेह के तुरेलवांगमा लीकाई में सीडीओ चौकी भवन के अंदर फट गए, वहीं पर कमांडो रह रहे थे.
मणिपुर की लगभग 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा मैतेई समुदाय के लोग हैं. मणिपुर की इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है. पिछले साल मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय की मांग पर विचार करने को कहा था.
उसी के बाद मणिपुर में मैतेई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में 3 मई 2023 को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (एटीएसयू) ने एक रैली निकाली थी जो बाद में हिंसक हो गई.
मैतेई समुदाय के लोगों की दलील है कि 1949 में भारतीय संघ में विलय से पूर्व उनको अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त था. नगा और कुकी जनजाति इस समुदाय को आरक्षण देने के खिलाफ हैं.
नगा और कुकी जनजातियों को आशंका है कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने से जनजातियों को और दिक्कत होगी. मौजूदा कानून के अनुसार मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है.
बीते साल राज्य में भड़की हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए.