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अपराधभारत

दलित विरोधी मुनादी करवाने पर हुई गिरफ्तारी

११ मई २०२२

उत्तर प्रदेश में एक गांव के पूर्व मुखिया ने दलितों के खिलाफ जुर्माना और जूतों से पिटाई की मुनादी करवाई थी. पूर्व मुखिया को गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन इस घटना ने एक बार फिर दलित विरोधी मानसिकता को रेखांकित कर दिया है.

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Indien Gruppenvergewaltigung und Ermordung an Dalit-Frauen Proteste
तस्वीर: Mayank Makhija/NurPhoto/picture alliance

घटना मुजफ्फरनगर जिले के चरथावल थाना क्षेत्र के पावती खुर्द गांव की है. गांव के पूर्व मुखिया राजबीर त्यागी ने गांव में रहने वाले दलितों के घर के आगे मुनादी करवाई और कहलवाया कि दलितों का उनके खेत में और उनके ट्यूबवेल पर प्रवेश वर्जित है.

इतना ही नहीं, मुनादी में उसने यह भी कहलवाया कि आदेश का उल्लंघन करने वाले दलित को पांच हजार रुपये जुर्माना और 50 जूतों की सजा मिलेगी. सोशल मीडिया पर मौजूद इस मुनादी के वीडियो में कुंवरपाल नाम के एक व्यक्ति को ढोल बजा कर यह घोषणा करते हुए सुना जा सकता है.

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दलित विरोधी मुनादी

वीडियो वायरल हो जाने के बाद स्थानीय पुलिस ने त्यागी और कुंवरपाल दोनों को गिरफ्तार कर लिया. दोनों पर आईपीसी की कई धाराओं और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत आरोप दर्ज किए गए हैं.

गांव के लोगों ने पत्रकारों को बताया कि गांव के दलितों ने त्यागी के खेतों में काम करने से मना कर दिया था, जिसके बाद गुस्से में आकर उसने यह मुनादी करवाई. राजबीर त्यागी गैंगस्टर विक्की त्यागी का पिता है. विक्की को एक विरोधी गिरोह के सदस्य ने 2015 में गोली मार दी थी.

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उत्तर प्रदेश में दलितों का हाल

मंगलवार 10 मई को इस मुनादी का वीडियो भीम आर्मी के संस्थापक चंद्र शेखर आजाद ने भी ट्विट्टर पर साझा किया था कि "हिंदू बनने का जिनको शौक चढ़ा था, उन्हें अब समझ आ गया होगा...ये है मोदी और योगी के रामराज्य की एक झलक."

उत्तर प्रदेश में कुछ ही महीनों पहले हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को दलितों का वोट भी मिलने की बात कही गई थी और माना जा रहा है कि आजाद का तंज उन दलितों को एक इशारा था जिन्होंने बीजेपी को वोट दिया.

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केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में दलितों के खिलाफ अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में ही दर्ज होते हैं. 2018 से 2020 के बीच, पूरे देश में दलितों पर अत्याचार के 1.3 लाख से भी ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से 36,467 मामले उत्तर प्रदेश के थे.

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