हंगरी में 'बच्चों के बहाने समलैंगिकता पर हमला'
१६ जून २०२१हंगरी की सरकार ने समलैंगिकता विरोधी एक कानून पास किया है जिसे लेकर कई मानवाधिकार संगठनों में नाराजगी है. दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान को अगले साल चुनाव का सामना करना है और पिछले कुछ समय में उनका कट्टरपंथी रवैया बढ़ता देखा गया है. समलैंगिकों और आप्रवासियों को लेकर उनका रुख लगातार सख्त होता गया है, जिस कारण देश के लोगों की सोच में भी विभाजन नजर आ रहा है.
विक्टर ओरबान की फिदेश पार्टी देश में ईसाई-रूढ़िवादी एजेंडो को बढ़ावा देती है. उसने बाल यौन शोषण के खिलाफ सजा को सख्त बनाने वाले एक विस्तृत कानून में ही स्कूलों में समलैंगिकता पर बात करने को भी जोड़ दिया, जिससे विपक्षी दलों के लिए इस कानून के विरोध में वोट करना मुश्किल हो गया.
ओरबान ने 2010 से लगातार तीन बार जोरदार बहुमत से चुनाव जीते हैं. लेकिन अब वहां के विपक्षी दलों ने पहली बार गठजोड़ बना लिया है जिसके बाद वे फिदेश पार्टी को ओपीनियन पोल में चुनौती दे रहे हैं.
बच्चों के बहाने से
आलोचकों का कहना है कि यह कदम गलत तरीके से बाल यौन शोषण को समलैंगिक मुद्दों से जोड़ता है. इस कानून के विरोध में 15 जून को संसद के बाहर एक रैली भी हुई थी जिसमें फिदेश पार्टी से अपना बिल वापस लेने की अपील की गई थी. लेकिन फिदेश के सांसदों ने पूरे जोश-ओ-खरोश से इल बिल का समर्थन किया. वामपंथी दलों ने वोटिंग का बहिष्कार कर दिया था.
पिछले हफ्ते ही इस बिल में कुछ संशोधन किए गए जिनके तहत 18 साल के कम आयु के किशोरों और बच्चों को ऐसी कोई सामग्री नहीं दिखाई जा सकती, जो उन्हें समलैंगिक बनने या लिंग परिवर्तन के लिए उकसाए या प्रोत्साहित करे. यह शर्त विज्ञापनों पर भी लागू होगी. इस कानून के तहत कुछ संगठनों की सूची दी गई है जो जिनके अलावा किसी और को स्कूलों में यौन शिक्षा की इजाजत नहीं होगी.
हंगरी में समलैंगिक विवाह गैर कानूनी है और पुरुष और स्त्री ही विवाह के बाद बच्चा गोद ले सकते हैं. ओरबान की सरकार ने विवाह की परिभाषा में बदलाव किए हैं जिसके बाद संविधान के तहत एक पुरुष और स्त्री के विवाह को ही मान्यता दी गई है. समलैंगिकों द्वारा बच्चे गोद लेने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस कानून की आलोचना हो रही है. हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट स्थित अमेरिकी दूतावास ने कहा है कि इस कानून के समलैंगिकता विरोधी पहलू को लेकर वह गंभीर रूप से चिंतित है. अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित एक बयान में अमेरिकी दूतावास ने कहा, "अमेरिका का विचार है कि सरकारों को अभिव्यक्ति की आजादी को बढ़ावा देना चाहिए और मानवाधिकारों की रक्षा करनी चाहिए, जिनमें समलैंगिक समुदायों के अधिकार भी शामिल हैं."
नए कानून के आलोचकों ने इसकी तुलना रूस के 2013 के एक कानून से की है, जिसके तहत युवाओं के बीच "गैर-पारंपरिक यौन संबंधों के बारे में प्रचार सामग्री बांटना" अवैध करार दे दिया गया था.
पोलैंड की रूढ़िवादी सत्ताधारी पार्टी लॉ एंड जस्टिस यूरोपीय संघ में फिदेश की मुख्य सहयोगी है. उसने भी समलैंगिकता के मुद्दे पर ऐसा ही रुख अपनायया है. हालांकि यूरोपीय संघ में हंगरी और पोलैंड कुछ रूढ़िवादी सुधारों को लेकर एक दूसरे के आमने-सामने हैं.
हंगरी के हालात पर यूरोपीय संसद के प्रतिवेदक ग्रीन्स सांसद ग्वेन्डोलिन डेलबोस-कोरफील्ड ने देश के नए कानून की आलोचना की. मंगलवार को उन्होंने कहा, "बच्चों की सुरक्षा को बहाना बनाकर समलैंगिक समुदाय पर निशाना साधना हंगरी के सारे बच्चों को नुकसान पहुंचा रहा है."
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)