ईरानी महिलाओं को खतरे में डालने वाला जनसंख्या वृद्धि कानून
१५ नवम्बर २०२१ह्यूमन राइट्स वॉच ने मांग की है कि ईरान बिना किसी देरी के नए कानून को निरस्त करे और इसके उन सभी प्रावधानों को हटा दे, जिससे ईरानी महिलाओं के मौलिक अधिकारों का और उल्लंघन हो सकता है. इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान में नए कानून को 1 नवंबर को शूरा गार्जियन नामक एक राष्ट्रीय निकाय द्वारा अनुमोदित किया गया था. कानून को "देश की आबादी और सहायक परिवारों में युवाओं के अनुपात में वृद्धि" के रूप में करार दिया गया है.
कानून पुरुषों और महिलाओं की नसबंदी और ईरानी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में गर्भ निरोधकों के मुफ्त वितरण को प्रतिबंधित करता है. अगर गर्भावस्था की स्थिति में किसी महिला के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा होने का जोखिम हो तो इसमें छूट है. कानून वर्तमान में सात साल के लिए प्रभावी है और ईरान ने पहले से ही गर्भपात और गर्भ निरोधकों तक पहुंच पर प्रतिबंध लगा रखा है.
इस महीने लागू हो जाएगा कानून
इस कानून को देश की संसद ने इसी साल 16 मार्च को गार्जियन काउंसिल द्वारा अनुमोदित किए जाने से पहले पारित किया था. जैसे ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा और देश के आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा तब कानून लागू हो जाएगा और इस महीने के अंत में ऐसा होने की संभावना है.
ह्यूमन राइट्स वॉच में ईरान पर एक वरिष्ठ शोधकर्ता तारा सहपहरी फर कहती हैं, "ईरानी सांसद लोगों के सामने आने वाले गंभीर मुद्दों, जैसे कि सरकारी अक्षमता, भ्रष्टाचार और राज्य दमन का समाधान करने के लिए अनिच्छुक हैं. और इसके बजाय महिलाओं के मौलिक अधिकारों पर हमला करते हैं."
आधी आबादी के अधिकारों का सवाल
तारा सहपहरी के मुताबिक, "जनसंख्या वृद्धि कानून ईरान की आधी आबादी को स्वास्थ्य, बुनियादी अधिकार और गरिमा से वंचित करता है. वह महिलाओं को बुनियादी प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल और आवश्यक जानकारी तक पहुंच से भी रोकता है."
ईरान में इस नए कानून के साथ बच्चों वाले परिवारों को कई नए लाभों का वादा किया गया है. उदाहरण के लिए गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए रोजगार लाभ में वृद्धि की गई है. लेकिन इस तथ्य का कोई समाधान नहीं निकला है कि ईरानी महिलाओं को घरेलू नौकरी बाजार का व्यावहारिक हिस्सा बनने से रोक दिया गया है. और रोजगार के मामले में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव समाप्त नहीं हुआ है.
एए/सीके (एएफपी)