सर्दियों में पानी की किल्लत और सूखे से कैसे निपटें
१० मार्च २०२३यूरोप में कई किसान अपनी फसल को लेकर चिंतित है क्योंकि इस साल के शुरू में बहुत ही कम बारिश हुई है. यूरोपीय संघ के कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की उपनिदेशक सामंता बरगेस के मुताबिक, सर्दियों में पर्याप्त वर्षाजल भूजल भंडारों को भरे रखने के लिए बहुत अहम है.
वो कहती हैं, "मिट्टी की आर्द्रता की शिनाख्त कराने वाले नक्शे देखकर समझा जा सकता है कि मिट्टी में नमी कम हो रही है." यूरोप के कई हिस्सों में, ये सीजन पहले की अपेक्षा ज्यादा सूखा जा रहा है.
हालांकि अभी सर्दियां ही हैं लेकिन यूनाइटेड किंगडम के देशों, जर्मनी और नीदरलैंड्स से लेकर स्पेन, बेल्जियम, पुर्तगाल, फ्रांस और इटली के पास पर्याप्त पानी नहीं है. दक्षिणी यूरोप में जल संकट की वजह से गेहूं और जौ की फसल खराब होने लगी है.
पिछली कुछ गर्मियां तो बेतहाशा तपिश से भरी रही हैं, जिसकी वजह से दक्षिणी यूरोप में तमाम ताल-तलैया और नदियां सूख चुकी हैं. अकेले इटली में, पानी की किल्लत ने कुछ ही हफ्तों में धान की फसल को चौपट कर डाला. कुछ देशों में पानी की सप्लाई पर प्रतिबंध लागू करने पड़े.
जलवायु संकट की वजह से, सूखे की अवधियां लंबी खिंचने लगी हैं और भविष्य में उनके और गंभीर होने की आशंका है, खासकर गर्मियों में. अगर सर्दियों में बहुत कम पानी गिरता है तो सूखा भी लंबा चलेगा और अगली गर्मियां और सूखी जाएंगी. तो फिर किसान, समुदाय और देश, सूखे के असर को न्यूनतम कैसे रखें?
जलाशयों में बारिश का पानी भरने की कवायद
इटली में पो रिवर डिस्ट्रिक्ट बेसिन अथोरटी की आंद्रेया कोलंबो ने पिछली गर्मियों में डीडब्लू से बात करते हुए मांग की थी कि अलग अलग रिटेंशन बेसिनों का बुनियादी ढांचा बढ़ाया जाना चाहिए.
उससे सर्दियों में होने वाली बारिश के पानी और पिघले पानी को आल्पस पर्वत के इटली वाले हिस्से के गांवो, कस्बों और इलाकों में जमा कर उसका इस्तेमाल वसंत ऋतु में किया जा सकता है. दुनिया के दूसरे हिस्सों के देश पहले से इस तरीके को अमल में ला चुके हैं.
उदाहरण के लिए सिंगापुर के पास दो अलग अलग जल प्रणालियां हैं. एक बेकार गंदे पानी के लिए, दूसरा शहर भर में बारिश का पानी जमा करने के लिए. इस पानी को पीने लायक बनाने के लिए प्रोसेस कर विशाल जलाशयों में जमा रखा जाता है.
जाहिर है इन बेसिनों का असर इस पर निर्भर करता है कि सर्दियों में कितना पानी गिरता है. स्थानीय पर्यावरण संगठन लेगमबिएन्ते के मुताबिक आल्प्स में इस सीजन की बर्फबारी, अपेक्षा से आधा ही हुई. और देश की सबसे लंबी नदी पो में भी अंश मात्र पानी है.
संगठन ने आगाह किया है कि हालात नाजुक हैं जिसके लिए तत्काल कार्रवाई करनी होगी. इस साल फरवरी के आखिर में एक प्रेस बयान में लेगमबिएन्ते के प्रमुख जिओर्जियो जेम्पेत्ती ने कहा कि, "हालात पूरी तरह बिगड़ जाएं इससे पहले हमें अलग अलग सेक्टरों की जरूरतों और इस्तेमाल में कमी करनी होगी."
संगठन ने भी नयी इतालवी सरकार से, चक्रीय जल प्रबंधन को प्रोत्साहित करने वाली एक राष्ट्रीय जल नीति को लागू करने की मांग की है. इसमें पानी को ज्यादा से ज्यादा ट्रीट करने और बार बार इस्तेमाल करने पर जोर दिया जाना चाहिए जिससे पर्यावरणीय दुष्प्रभाव में कटौती हो और भूजल संरक्षित किया जा सके.
इटली के कृषि मंत्री फ्रांसेस्को लोल्लोब्रिगिडा ने शुरुआती मार्च में पानी की किल्लत को "कम और लंबी अवधि के उपायों की सख्त जरूरत वाली आपात स्थिति" करार दिया था. लेकिन इसमें कमी है तो एक ठोस रणनीति की.
पाइपों और जलाशयों की मरम्मत से पानी की बचत
पानी को त्वरित और प्रभावी तरीके से बचाने का दूसरा तरीका है, पानी की सप्लाई के उपलब्ध बुनियादी ढांचे में जो भी कमियां या छेद हैं उन्हें भर कर, पाइपों से रिसाव बंद किया जाए.
उदाहरण के लिए इटली में पाइपों से लीक होकर 40 फीसदी पानी बेकार चला जाता है. जल सेवा प्रदाताओं के यूरोपीय संगठन के मुताबिक, इसी तरह फ्रांस 20 फीसदी और पुर्तगाल 30 फीसदी पानी गंवा देता है. लेकिन बुल्गारिया और रोमानिया में ये मात्रा बहुत ज्यादा है. बुल्गारिया का 60 फीसदी और रोमानिया का 40 फीसदी से ज्यादा पानी, पाइपों से रिसकर बेकार चला जाता है.
औसतन, यूरोप में एक चौथाई पेयजल, बुनियादी ढांचे की खराबी और कमजोर जल प्रबंधन की वजह से बरबाद हो जाता है. इसके जवाब में यूरोपीय संघ ने 2022 के अंत में अपनी जलीय नीति को लेकर अपडेट जारी किया था. सदस्य देशों को पानी की वेस्टेज और लीक रोकने को कहा गया है. उचित उपायों में निवेश और डाटा संग्रहण पर जोर देने की सलाह भी दी गई है.
पानी का कई बार लगातार इस्तेमाल
यूरोपीय संघ के मुताबिक, पानी को ट्रीट करने और दोबारा इस्तेमाल करने की बड़े पैमाने पर संभावनाएं मौजूद हैं. फिलहाल, यूरोपीय संघ में उपलब्ध 0.5 फीसदी यानी एक अरब घन मीटर ताजा पानी ही ट्रीट होकर दोबारा इस्तेमाल किया जाता है.
पर्याप्त ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएं और बुनियादी ढांचे को दुरुस्त किया जाए, तो पानी को ज्यादा कारगर तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे पानी के जलाशयों पर दबाव और प्राकृतिक जलस्रोतों पर निर्भरता काफी कम होगी.
उदाहरण के लिए इटली में, ट्रीट किया हुआ पानी सिर्फ 5 फीसदी कृत्रिम सिंचाई में काम आता है. बाकी पानी लगातार घट रहे स्रोतों से मिलता है. यूरोपीय संघ में 30 फीसदी पानी खेती में ही खप जाता है. सामंता बरगेस का कहना है कि किसान सूखा निरोधी फसलें भी उगाना शुरू कर सकते हैं.
गर्मियों में जल-संकट से जूझने की तैयारी
हालात और बिगड़ जाएं, इससे पहले ही फ्रांस में अधिकारियों ने ऐलान कर दिया है कि 87 नगर निगमों में पानी की खपत पर प्रतिबंध लगाए जा सकता है.
इसके तहत निजी स्विमिंग पुलों में पानी न भरने जैसे उपाय अक्सर, भीषण गर्मी में अत्यधिक सूखे के दौरान ही अमल में लाए जाते हैं.
यूरोपीय किसानों के संगठन कोपा-कोगेका ने डीडब्लू को बताया कि हालात "चिंताजनक" हैं. जलवायु विशेषज्ञ सामंता बरगेस इस बात से सहमत हैं कि आने वाली गर्मियों में पानी की सप्लाई के संकेत अच्छे नहीं हैं.
वो कहती हैं, "जब तक एक के बाद एक तूफानी बारिशें न हों जिनसे काफी मात्रा में नमी मिल सके, तब तक जैसा कि मिट्टी के सूखेपन से अंदाजा लग रहा है कि आगे मौसम बहुत ज्यादा सूखा रहने वाला है."
बरगेस का अंदाजा है कि इन गर्मियों में यूरोप के प्रभावित इलाकों में पानी के इस्तेमाल पर कुछ प्रतिबंध लागू किए जाएंगे. लेकिन ये जरूरी नहीं कि उसके चलते हमारे पास कुछ भी नहीं बचेगा.
वो कहती हैं, "जलवायु परिवर्तन के असर दिखने ही लगे हैं. हम लोग प्रभावित हो ही रहे हैं. ऐसे बहुत से अलग अलग काम हैं जो व्यक्ति, व्यवसाय और समाज कर सकते हैं."