चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को आप कितना जानते हैं?
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की पांच साल में होने वाली कांग्रेस बीजिंग में हो रही है. 19वीं कांग्रेस के जरिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन की सत्ता पर अपनी पकड़ को और मजबूत किया है. एक नजर पार्टी की अहम कांग्रेसों पर.
चीन की ताकत
आम तौर पर गोपनीयता के लबादे में लिपटी पार्टी कांग्रेस एक अहम आयोजन होता है. चीन पर 68 साल से राज कर रही कम्युनिस्ट पार्टी ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं, लेकिन इसकी ताकत में लगातार इजाफा होता रहा है. पार्टी कांग्रेस में क्या क्या होता है, इसकी पक्की जानकारी आज भी मिल पाना मुश्किल है.
पहली कांग्रेस
कांग्रेस 1921 में बेहद गोपनीय तरीके से शंघाई के आसपास हुई थी. इसी कांग्रेस में औपचारिक तौर पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लक्ष्य और चार्टर को तैयार किया गया था. इस कांग्रेस में कम्युनिस्ट नेता माओ त्सेतुंग भी मौजूद थे, हालांकि उस वक्त वह बहुत युवा थे.
जब माओ बने नेता
पार्टी की सांतवी कांग्रेस 1945 में उस समय बुलायी गयी जब चीन-जापान युद्ध खत्म होने ही वाला था. शांक्शी प्रांत में कम्युनिस्ट पार्टी के गढ़ यानान में यह बैठक हुई जिसमें माओ सुप्रीम लीडर के तौर पर उभरे. इसी कांग्रेस में माओ के "विचारों" को पार्टी की विचारधारा का आधार बनाया गया.
सांस्कृतिक क्रांति का दौर
पार्टी की नौवीं कांग्रेस 1969 में हुई. यह वह दौर था जब चीन में सांस्कृतिक क्रांति अपने चरम पर थी. सत्ता पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए माओ ने इस क्रांति का इस्तेमाल किया जिससे देश में दस साल तक भारी अव्यवस्था रही और लगभग गृह युद्ध जैसे हालात हो गये थे.
चीनी चरित्र वाला समाजवाद
1982 में 12वीं कांग्रेस में चीनी नेता तंग शियाओफिंग ने "चीनी चरित्र वाले समाजवाद" का प्रस्ताव रखा, जिससे चीन में आर्थिक सुधारों का रास्ता तैयार हुआ और देश विशुद्ध कम्युनिस्ट विचारधारा से पूंजीवाद की तरफ बढ़ा. यही वजह है कि आज चीन की चकाचौंध सबको हैरान करती है.
पूंजीपतियों को जगह
2002 में पार्टी की 16वीं कांग्रेस हुई जिसमें औपचारिक रूप से निजी उद्यमियों को पार्टी का सदस्य बनने की अनुमति दी गयी. यह अहम घटनाक्रम था क्योंकि आर्थिक सुधारों की बातें चीन में 1970 के दशक के आखिरी सालों में ही शुरू हो गयी थीं लेकिन पूंजीपतियों को लेकर फिर भी पार्टी में लोगों की त्यौरियां चढ़ी रहती थीं.
अचानक उदय
2007 में हुई 17वीं पार्टी कांग्रेस शी जिनपिंग और ली कचियांग को सीधे नौ सदस्यों वाली पोलित ब्यूरो की एलिट स्थायी समिति का सदस्य बनाया गया जबकि उस समय वह पार्टी के 25 सदस्यों वाले पोलित ब्यूरो के सदस्य नहीं थे. इस तरह ये दोनों नेताओं की पांचवी पीढ़ी के सितारे बन गये.
नाम में क्या रखा है
शी से पहले चीन के दो राष्ट्रपतियों हू जिनताओ और जियांग जेमिन ने 2002 और 2007 की पार्टी कांग्रेस के दौरान अपने विचारों को चीन के संविधान का हिस्सा बनाया, लेकिन सीधे सीधे अपने नाम का उल्लेख नहीं कराया. वहीं इससे पहले माओ और तंग के नाम भी आपको संविधान में दिखेंगे.