हमास-इस्राएल के बीच समझौता कराने में सफल रहा कतर
२४ नवम्बर २०२३गाजा पट्टी में ‘मानवीय विराम' की घोषणा को कतर के लिए जीत माना जा सकता है. पिछले बुधवार की सुबह कतर के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर चार दिन के युद्धविराम की घोषणा की. इस दौरान सभी पक्ष यानी इस्राएली सेना, उग्रवादी समूह हमास और लेबनान में हिज्बुल्लाह की सशस्त्र इकाई लड़ाई रोकने पर सहमत होंगे. इससे गाजा में हमास द्वारा बंधक बनाए गए 50 लोगों को रिहा किया जा सकेगा.
इसके बदले, इस्राएलीजेलों से करीब 150 फलीस्तीनी कैदियों को रिहा किया जाएगा. साथ ही, इस दौरान गाजा पट्टी में मानवीय सहायता भी पहुंचायी जा सकेगी. हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों में मुख्य रूप से महिलाएं और बच्चे हैं. इस्राएली जेलों से रिहा किए जाने वाले फलीस्तीनी कैदियों में भी मुख्य रूप से महिलाएं और 18 वर्ष से कम उम्र के नाबालिग होंगे.
7 अक्टूबर को हुआ था आतंकी हमला
बीते 7 अक्टूबर को हमास ने गाजा से इस्राएल पर हमला किया था. इस हमले में करीब 1,200 इस्राएली और विदेशी नागरिक मारे गए थे. इस समूह ने करीब 240 लोगों को बंधक बना लिया था और उन्हें गाजा पट्टी ले गए थे. हमले के बाद से इस्राएल करीब 360 वर्ग किलोमीटर के इलाके पर बमबारी कर रहा है. साथ ही, उसने इन क्षेत्रों में पानी, भोजन, ईंधन और चिकित्सा से जुड़ी सामग्री की आपूर्ति पर भी रोक लगा दी है. हमास के नियंत्रण वाले इलाके के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, पिछले छह हफ्तों में गाजा में 13,000 लोग मारे गए हैं. अमेरिका, यूरोपीय संघ और कुछ अन्य देश हमास को आतंकवादी संगठन मानते हैं.
दरअसल, बंधकों की रिहाई को लेकर कई हफ्तों से वार्ता चल रही थी. एक मुकाम पर, इस्राएली सरकार ने कथित तौर पर गाजामें जमीनी हमला शुरू करने को लेकर इसी तरह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. हालांकि, बाद में अंतरराष्ट्रीय समुदाय, इस्राएल के प्रमुख सहयोगी अमेरिका और बंधकों के परिवार की ओर से दबाव बढ़ गया. इन लोगों ने मांग की कि सरकार बंधकों को रिहा कराने पर विशेष ध्यान दे.
इस्राएल और गाजा के साथ सीमा साझा करने वाले मिस्र ने भी बातचीत में मदद की है. मिस्र ने 1979 में ही इस्राएल के साथ शांति समझौता किया था. हालांकि, कतर ही इस पूरी वार्ता का नेतृत्व करता हुआ नजर आया. कतर की घोषणा के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मैसेज पोस्ट कर वार्ता में ‘महत्वपूर्ण भूमिका निभाने' के लिए मिस्र और कतर को धन्यवाद दिया. इससे पहले इस्राएल के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार साखी हनेग्बी ने भी कतर की भूमिका की सराहना करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा था, "इस समय कतर के राजनयिक प्रयास महत्वपूर्ण हैं."
लेकिन हर कोई कतर की इस भूमिका से खुश नहीं है. कुछ टिप्पणीकारों ने कहा कि वार्ताकारों को ज्यादा से ज्यादा बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए था. कई लोगों ने तर्क दिया कि कतर 2012 से हमास के राजनीतिक नेतृत्व का घर रहा है, इसलिए वह किसी न किसी तरह से हमास के हमलों में साझेदार रहा है. कतर ने नियमित तौर पर कहा है कि वह ‘फलीस्तीन के लोगों की मांगों' का समर्थन करता है.
संतुलित विदेश नीति
विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि कतरअपनी विदेश नीति के मामले में एक अच्छी राह पर चल रहा है. वह ‘मध्य पूर्व के स्विट्जरलैंड' की भूमिका निभा रहा है और आने वाले सभी देशों के लिए दरवाजे खुले रख रहा है. जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी अफेयर्स के सीनियर असोसिएट गीडो स्टाइनबर्ग ने डीडब्ल्यू को बताया, "कतर की भूमिका विशेष रूप से संवेदनशील है, क्योंकि वह पिछले दो दशकों से अधिक समय से यह मान रहा है कि वह मध्यस्थ है.”
इससे पहले, कतर अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अफगानिस्तान के तालिबान (जिसका दोहा में राजनीतिक कार्यालय भी है) के बीच वार्ताकार रहा है. वहीं, अमेरिका और ईरान के साथ-साथ रूस और यूक्रेन के बीच भी उसने वार्ताकार की भूमिका निभाई है. अमेरिका का मध्य-पूर्व में मौजूद सबसे बड़ा सैन्य अड्डा अल-उदेद एयर बेस भी कतर में ही स्थित है. वर्ष 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के दौरान इस एयर बेस की अहम भूमिका थी. इस वजह से कतर को ‘प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी' भी कहा जाता है.
यह देश इस्राएलऔर हमास के बीच पहले भी मध्यस्थता कर चुका है, जैसे कि 2014 के इस्राएल-गाजा युद्ध के दौरान. कतर ने 2009 में इस्राएल के साथ संबंध खत्म कर दिया था, लेकिन कथित तौर पर पर्दे के पीछे संबंध बनाए रखा था. 1996 में मध्य-पूर्व के अन्य देश इस्राएल के साथ किसी भी तरह के संबंधों का विरोध कर रहे थे, उस समय कतर ने इस्राएल को दोहा में एक व्यापारिक मिशन खोलने की अनुमति दी थी.
अमेरिका स्थित थिंक टैंक चैथम हाउस में मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका कार्यक्रम के निदेशक सनम वकील कहती हैं, "कतर का लंबे समय से व्यावहारिक संबंध रहा है जहां उसने इस्राएल और हमास के बीच अलग-अलग मौकों पर तनाव कम करने और युद्ध को रोकने के लिए वित्तीय सहायता का इस्तेमाल किया है.” उन्होंने आगे कहा कि मानवीय समस्याओं के बढ़ने की वजह से कतर ‘बंधकों को सुरक्षित रिहा कराने, तनाव कम करने और लोगों की सुरक्षा के लिए एक स्वाभाविक माध्यम' के तौर पर काम कर रहा है.
अमेरिकी पत्रकार जोएल सिमोन ने पिछले हफ्ते अमेरिकी साप्ताहिक पत्रिका द न्यू यॉर्कर में लिखा कि कतर एक करह के ग्रे जोन में काम करता है. सिमोन ने 2019 में ‘वी वांट टू नेगोशिएट: द सीक्रेट वर्ल्ड ऑफ किडनैपिंग, होस्टेजेज एंड रैनसम' नाम की किताब भी लिखी है. वे कहते हैं, "कतर के अधिकारियों का कहना है कि वे मानवीय मूल्यों, संघर्ष को कम करने और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए काम करते हैं, लेकिन उन्होंने अपना प्रभाव बढ़ाने के इरादे से अपनी क्षमता का इस्तेमाल किया है. माना जाता है कि इससे कतर को इस इलाके में सुरक्षित रहने में मदद मिलेगी. दोनों पक्षों के साथ जुड़े रहने की वजह से कतर दोनों का अभिन्न सहयोगी बन जाता है और वह इससे होने वाले फायदे से वाकिफ है.”
गाजा पर काफी ज्यादा खर्च
हाल के दिनों में कतर गाजा पर हर महीने करीब 3 करोड़ डॉलर खर्च कर रहा था. हालांकि, इस पैसे के खर्च को लेकर होने वाली बहस इस बात का एक और उदाहरण है कि जब फलीस्तीनियों और हमास की बात आती है, तो कतर की भूमिका कितनी गंभीर है. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि कतर के पैसे से हमास की सैन्य इकाई को सब्सिडी मिलती है और इसका इस्तेमाल नापाक इरादों के लिए किया जाता है. हमास 2007 से इस इलाके पर शासन कर रहा है और गाजा के प्रशासनिक व्यवस्था के लिए भी पैसे का इंतजाम करता है
पिछले महीने गाजा को दिए जाने वाले धन के बारे में रॉयटर्स के सवालों का जवाब देते हुए कतर सरकार के एक अधिकारी ने बताया था कि यह धन जरूरतमंद परिवारों, गरीब इलाके में कार्यरत डॉक्टरों, शिक्षकों सहित अन्य कर्मचारियों के वेतन के लिए था. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि गाजा पट्टी के 80 फीसदी निवासी मौजूदा संकट से पहले भी अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर थे, क्योंकि 2007 में गाजा पट्टी पर हमास के नियंत्रण के बाद से इस्राएल ने नाकेबंदी शुरू कर दी थी.
कतर के अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि उसके देश का पैसा इस्राएल से होकर गाजातक पहुंचता है. उन्होंने कहा, "इसे इलेक्ट्रॉनिक रूप से इस्राएल को भेजा जाता है. फिर इसे हमास द्वारा संचालित गाजा के विभागों को भेजा जाता है. सभी भुगतान इस्राएल, संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका के सहयोग से होते हैं.”
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि हमास अलग-अलग तरीके से धन की उगाही करता है. कतर से आने वाले पैसे सहित कुछ अन्य स्रोत से हासिल पैसे का अवैध इस्तेमाल किया जा रहा है. ईरान से मिलने वाले धन से भी हमास को काफी सहायता मिलती है. दुनिया के कई अन्य हिस्सों से भी हमास को मदद मिलती है. इसे देखते हुए, 7 अक्टूबर के हमले के बाद अमेरिका ने हमास को आर्थिक मदद करने वाली कई संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया. इनमें कतर, सूडान, तुर्की और अल्जीरिया की संस्थाएं शामिल हैं.
क्या अब बदलेगी कतर की भूमिका?
वार्ता के इस दौर में कतर की सफलता के बावजूद, मौजूदा संघर्ष का एक नतीजा कतर और अमेरिका के बीच ये समझौता प्रतीत होता है कि इस्राएल-हमास युद्ध खत्म होने के बाद कतर को हमास से दूरी बनानी होगी. अक्टूबर के मध्य में 100 से अधिक अमेरिकी राजनेताओं ने मांग की थी कि कतर हमास के अधिकारियों को देश से बाहर निकाले. अमेरिकी राष्ट्रपति को संबोधित एक पत्र में कहा गया है, "हमास के साथ कतर के संबंध किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं हैं.” उस दौरान, कतर की सरकार ने कहा कि आगे की कूटनीति ही शांति का समाधान है.
यूरोपियन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के वरिष्ठ अधिकारी ह्यू लोवेट ने पुष्टि की, "इस्राएल और हमास के बीच कतर द्वारा कराई गई डील युद्ध की शुरुआत के बाद पहली महत्वपूर्ण राजनयिक सफलता है.” उन्होंने डीडब्ल्यू को दिए बयान में कहा, "यह व्यापक राजनयिक रास्ते पर आधारित पूर्ण युद्ध विराम को आगे बढ़ाने के लिए खुली जगह बनाने का एक अवसर है.”
वहीं, कई अन्य लोगों ने ध्यान दिलाया है कि अगर कतर हमास के अधिकारियों को पूरी तरह निष्कासित कर देता है, तो वे किसी ऐसे देश में जा सकते हैं जो इस समझौते में रुचि न रखता हो. इससे शांतिपूर्ण समझौते में मुश्किल हो सकती है. 2012 से पहले, हमास का राजनीतिक नेतृत्व सीरिया में रहता था.