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समाज

मुसोलिनी की नातिन ने रोम में जीता चुनाव

८ अक्टूबर २०२१

इटली के तानाशाह रहे बेनितो मुसोलिनी की नातिन ने रोम की म्यूनिसिपल काउंसिल का चुनाव जीता है. वह अति दक्षिणपंथी ‘ब्रदर्स ऑफ इटली’ पार्टी की सदस्य हैं.

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तस्वीर: Andrea Ronchini/NurPhoto/picture alliance

तानाशाह बेनितो मुसोलिनी की नातिन रोम काउंसिल में दोबारा पार्षद चुनी गई हैं. 47 वर्षीय रकेले मुसोलिनी शहर की परिषद में सदस्य बने रहने लायक वोट दोबारा जुटा लिए.

3 और 4 अक्टूबर को हुए चुनाव के बाद बुधवार को मतगणना हुई. रकेले मुसोलिनी को 8,200 मत मिले, जो किसी भी अन्य उम्मीदवार से ज्यादा थे. 2016 में वह पहली बार चुनी गई थीं. पिछली बार के मुकाबले उन्हें इस बार 657 मत ज्यादा मिले हैं.

रेकेले अति दक्षिणपंथी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली की सदस्य हैं. उनके दादा बेनितो मुसोलिनी इटली के तानाशाह रहे थे लेकिन रकेले मानती हैं कि वह अपने नाम की वजह से नहीं बल्कि काम की वजह से जीती हैं.

‘नाम नहीं काम की जीत'

ला रिपब्लिका अखबार को मुसोलिनी ने बताया कि अपने नाम से जुड़े इतिहास और उसके दबाव से उनका कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने कहा कि उनके बहुत सारे वामपंथी मित्र हैं.

मुसोलिनी ने कहा, "अब तक मेरा इंटरव्यू सिर्फ मेरे नाम की वजह से होता रहा है. मेरे पिछले कार्यकाल में लोग मेरे काम के बारे में, काउंसिल में मेरे द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में पूछने लगे. मैंने मेहनत की है.”

मुसोलिनी कहती हैं कि अपने उप नाम के साथ जुड़े दबाव के बारे में उन्हें बचपन से ही पता है. उन्होंने बताया, "मैंने अपने नाम के साथ जीना बचपन में ही सीख लिया था. स्कूल में वे मेरी ओर इशारे करते थे. लेकिन फिर रकेले उससे उबरी और उसकी शख्सियत नाम के ऊपर हावी साबित हुई, चाहे उस नाम का कितना ही बोझ क्यों ना हो.”

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रकेले मुसोलिनी ने फासीवाद के बारे में अपने विचारों से जुड़े सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया. उन्होंने बस इतना कहा कि वह इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जाने के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा, "इस मुद्दे पर बात करने के लिए तो हमें कल सुबह तक बात करनी पड़ेगी.”

रकेले मुसोलिनी रोमानो मुसोलिनी की बेटी हैं. रोमानो मुसोलिनी एक जैज पियानोवादक थे और एक्टर सोफिया लॉरेन के भी रिश्तेदार थे.

कौन था बेनितो मुसोलिनी?

बेनितो मुसोलिनी 1922 से 1943 तक इटली का प्रधानमंत्री रहा था. उसने राष्ट्रीय फासीवादी पार्टी की स्थापना की थी. उसे इतालवी फासीवाद का प्रवर्तक कहा जाता है. उसकी नीति रोमन साम्राज्य की ऐतिहासिक शान ओ शौकत को वापस हासिल करने की थी.

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मुसोलिनी के नेतृत्व में इटली ने दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी का साथ दिया. 1943 में जब इटली की हार नजर आने लगी तो उसकी अपनी पार्टी के सदस्यों ने उसके खिलाफ विद्रोह कर दिया और उसे पद से हटाकर गिरफ्तार कर लिया गया.

दो महीने बाद ही उसे जेल से छुड़ा लिया गया. लेकिन 27 अप्रैल 1945 को देश छोड़कर भागते हुए उसे पकड़ लिया गया और भीड़ ने पीट-पीट कर उसकी जान ले ली.

रेकेल मुसोलिनी के पिता रोमानो बेनितो मुसोलिनी की दूसरी पत्नी रकेले गीडी की दूसरी बेटी आना मारिया के बेटे थे.

रिपोर्टः विवेक कुमार (एएफपी)