5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से सरकार ने कमाए 1.5 लाख करोड़
२ अगस्त २०२२26 अप्रैल को जब नीलामी शुरू हुई थी तब अंदाजा लगाया जा रहा था था कि नीलामी दो से तीन दिनों में समाप्त हो जाएगी, लेकिन असल में पूरी प्रक्रिया सात दिनों तक चलती रही. बोली लगाने के 40 से भी ज्यादा दौर आयोजित किए गए और 1.5 लाख करोड़ से भी ज्यादा मूल्य की बोलियां प्राप्त हुईं.
बेचे जा रहे कुल 72 गीगाहर्ट्ज में से कुल 51.2 गीगाहर्ट्ज, यानी लगभग 71 प्रतिशत, स्पेक्ट्रम बिका. चार कंपनियां नीलामी में हिस्सा ले रही थीं लेकिन सबसे ज्यादा एयरवेव खरीद कर रिलायंस जियो सबसे बड़ा खरीदार बन गया. करीब आधे एयरवेव जियो ने ही खरीद लिए और उनके लिए 88,000 करोड़ रुपए का भुगतान किया. 700 मेगाहर्ट्ज के प्रीमियम बैंड में भी सिर्फ जियो ने ही स्पेक्ट्रम खरीदा.
कंपनी ने इस बैंड में देश के सभी 22 सर्किलों में 10 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम खरीदा है. एयरटेल ने इस बैंड में जरा भी स्पेक्ट्रम नहीं खरीदा है, जिसका मतलब है देश में 5जी सेवाओं के शुरू हो जाने के बाद ज्यादा घनत्व वाले इलाकों में जियो का नेटवर्क सबसे मजबूत होगा.
भारती एयरटेल ने 43,084 करोड़ रुपयों में 19.8 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम खरीदा. वोडाफोन आइडिया ने 18,799 करोड़ रुपयों में कुल 6,228 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम खरीदा. अडाणी डाटा नेटवर्क्स ने सिर्फ 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में 212 करोड़ रुपए में स्पेक्ट्रम खरीदा. कंपनी ने इससे पहले कहा था कि वो सिर्फ अपने व्यापार के लिए निजी नेटवर्क के इंतजाम के लिए स्पेक्ट्रम खरीदना चाह रही है.
इस बार भुगतान के लिए कंपनियों को एक विशेष सहूलियत दी गई है. कंपनियां भुगतान 20 सालाना किश्तों में कर सकेंगी. हर साल किश्त को साल की शुरुआत में अग्रिम राशि के रूप में भरना होगा. 10 सालों बाद स्पेक्ट्रम को वापस लौटाने का भी विकल्प खुल जाएगा.
संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि सरकार अब स्पेक्ट्रम के आबंटन और दूसरी औपचारिकताएं जल्द पूरा करने की कोशिश करेगी ताकि 5जी सेवाओं को अक्टूबर से ही शुरू किया जा सके. उम्मीद की जा रही है कि 5जी मोबाइल नेटवर्क 4जी से 10 गुना ज्यादा तेज होगा.
भारत में 5जी की शुरुआत में देर हो चुकी है. अमेरिका में एटीएंडटी, टीमोबाइल और वेरिजॉन जैसी कंपनियां 5जी सेवाएं देना शुरू कर चुकी हैं. चीन में भी चाइना यूनिकॉर्न ने 5जी शुरू कर दिया है.