क्या भविष्य में अपने सैनिकों को यूक्रेन भेज सकता है जर्मनी?
५ दिसम्बर २०२४जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने जर्मन सेना को यूक्रेन भेजने की संभावनाओं से इनकार किया है. संसद में बोलते हुए उन्होंने कहा कि शांति सेना के रूप में भी जर्मन सैनिकों को आगे कभी यूक्रेन भेजा जा सकता है, इस संभावना पर बात करना अभी "अनुचित" होगा. शॉल्त्स के स्पष्टीकरण का संदर्भ विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक के एक हालिया बयान से जुड़ा है.
बेयरबॉक के बयान का गलत मतलब निकाला गया?
3 दिसंबर को ब्रसेल्स में नाटो विदेश मंत्रियों की एक बैठक से पहले बेयरबॉक से भविष्य में किसी संभावित बहुराष्ट्रीय शांति सेना की यूक्रेन में तैनाती पर सवाल पूछा गया. इसपर बेयरबॉक का जवाब था, "बेशक हम हर उस बात का भी समर्थन करेंगे, जो भविष्य में शांति का पक्षधर हो. जर्मनी की ओर से हम इस ओर अपनी समूची शक्ति से समर्थन करेंगे."
यूरोप की सुरक्षा में नाटो के आगे बड़ी चुनौतियां
बेयरबॉक के इस बयान की काफी विवेचना हुई और इसका एक आशय यह निकाला गया कि वो पीसकीपिंग फोर्स में जर्मन सैनिकों की भागीदारी से इनकार नहीं कर रही हैं. यानी, भविष्य में अगर ऐसी स्थिति बनती है तो जर्मनी वहां अपने सैनिक भेज सकता है. हालांकि, शॉल्त्स के मुताबिक बेयरबॉक बस इतना कह रही थीं कि "भविष्य में युद्ध खत्म होने के बाद का दौर कैसा हो सकता है." शॉल्त्स ने यह भी कहा कि बेयरबॉक महज "हां या ना में जवाब देने से बचने की कोशिश कर रही थीं."
विदेश मंत्रालय ने भी कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्टों में बेयरबॉक के बयान को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया. मंत्रालय के प्रवक्ता सेबास्तियान फिशर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अभी ऐसा कोई संकेत नहीं है कि रूस बातचीत करने को तैयार है. फिशर के मुताबिक, ऐसे में शांति समझौता कैसा होगा और भविष्य में क्या होगा जैसी कयासबाजियां काफी असामयिक हैं.
मुख्य विपक्षी दल के नेता ने बयान को बताया "गैरजिम्मेदार"
शॉल्त्स और विदेश मंत्रालय, दोनों की सफाई के बावजूद मुख्य विपक्षी दल सीडीयू-सीएसयू ने बेयरबॉक के संबंधित बयान की आलोचना की है. सीडीयू-सीएसयू के नेता फ्रीडरिष मैर्त्स ने बयान को "गैरजिम्मेदार" बताया. पब्लिक ब्रॉडकास्टर एआरडी के एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए मैर्त्स ने कहा, "यह सवाल अभी कोई भी नहीं उठा रहा है." मैर्त्स ने रेखांकित किया कि रूस अब भी यूक्रेन के आम लोगों के साथ क्रूरता बरत रहा है.
अचानक कीव पहुंचे जर्मन चांसलर, कई हथियार देने का एलान
मैर्त्स ने कहा, "हम सभी इस सवाल के साथ जूझ रहे हैं कि इस युद्ध को कैसे खत्म किया जा सकता है." 23 फरवरी को हो रहे मध्यावधि चुनाव में मैर्त्स सीडीयू-सीएसयू की ओर से चांसलर पद के उम्मीदवार हैं. ताजा चुनावी सर्वेक्षणों में सीडीयू-सीएसयू 32.7 फीसदी वोट पाने की संभावनाओं के साथ पहले नंबर पर है. 18 प्रतिशत वोट शेयर के साथ धुर-दक्षिणपंथी दल एएफडी दूसरे नंबर पर और चांसलर शॉल्त्स की पार्टी एसपीडी (15.4 प्रतिशत) तीसरे स्थान पर है.
जर्मनी का आगामी चुनाव कितना असर डालेगा?
जर्मनी की घरेलू और विदेश नीति, दोनों स्तरों पर यूक्रेन युद्ध एक बड़ा मुद्दा है. फरवरी 2022 में शुरू हुए युद्ध को तीन साल होने ही वाले हैं. संघर्ष विराम की संभावना अभी भी बहुत दूर की कौड़ी दिख रही है. युद्ध क्यों शुरू हुआ, कैसे खत्म होगा, किन शर्तों पर खत्म होगा, इसपर रूस और यूक्रेन का नजरिया बहुत अलग-अलग है.
हाल ही में राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि अगर यूक्रेन को नाटो की सदस्यता दे दी जाए, तो युद्ध खत्म हो सकता है. जर्मनी और अमेरिका, दोनों यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के पक्ष में रहे हैं, लेकिन युद्ध जारी रहते हुए नहीं. 20 जनवरी 2025 को डॉनल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस पहुंचने के बाद इस सवाल पर अमेरिका का रुख 180 डिग्री घूम सकता है.
ट्रंप के कार्यकाल का कैसे सामना करेगा यूरोपीय संघ?
चूंकि युद्ध जर्मनी की जेब पर भी असर डाल रहा है, ऐसे में यह एक चुनावी मुद्दा भी है. सितंबर महीने में जर्मनी के तीन राज्यों (थुरिंजिया, सैक्सनी, ब्रांडनबुर्ग) में हुए विधानसभा चुनाव में भी यह बड़ा मुद्दा रहा था. यह सवाल काफी मजबूती से उठा कि अपनी आर्थिक चिंताओं के बीच यूक्रेन को बड़े स्तर पर सहायता देते रहना जर्मनी के लिए कितना व्यावहारिक होगा.
धुर-दक्षिणपंथी एएफडी और पूर्व लेफ्ट नेता जारा-वागननेष्ट की पॉपुलिस्ट पार्टी बीएसडब्ल्यू, दोनों को इन विधानसभा चुनावों में काफी समर्थन मिला. ये दोनों इस पक्ष में है कि यूक्रेन के लिए खर्च की जा रही रकम जर्मनी की जरूरतों पर खर्च की जाए. दोनों दल रूस समर्थक माने जाते हैं और रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों के आलोचक हैं.
सीडीयू-सीएसयू यूक्रेन समर्थक है. पार्टी का पक्ष है कि यूक्रेन केवल अपने भूभाग की रक्षा नहीं कर रहा है, बल्कि "यूरोप में शांति का भी" बचाव कर रहा है. यूक्रेन अपने भूभाग वापस हासिल कर पाए, इसके लिए जरूरी है कि "उसे जो हथियार चाहिए, वो पश्चिमी देश उसे दें. इसमें केवल टैंक और लड़ाकू विमान ही नहीं, बल्कि क्रूज मिसाइल भी शामिल हैं." यूक्रेन को क्रूज मिसाइल देने की यह रेखा स्पष्ट तौर पर मौजूदा चांसलर शॉल्त्स के मत से अलग है.
क्या जर्मन रूस के साथ युद्ध को लेकर चिंतित हैं?
एएफडी और बीएसडब्ल्यू का बढ़ता जनाधार बाकी दलों को भी अपनी यूक्रेन समर्थक नीति की समीक्षा करने पर मजबूर कर सकता है. 'पोलिटप्रो' के ताजा आंकड़ों में चुनाव बाद एएफडी के 135 और बीएसडब्ल्यू के 43 सांसदों के बुंडेस्टाग (जर्मन संसद का निचला सदन) में पहुंचने की संभावना है.
एसएम/एए (डीपीए, एएफपी)