जर्मन एकीकरण दिवस पर देश में युद्ध विरोधी प्रदर्शन
३ अक्टूबर २०२४ठीक 34 साल पहले 3 अक्टूबर 1990 की आधी रात को बर्लिन की राइषटाग बिल्डिंग के सामने 'प्लाट्स डेर रेपुब्लिक' स्क्वायर पर जर्मन एकता का झंडा फहराया गया. करीब आधी सदी के बंटवारे के बाद जर्मनी के दोनों हिस्से मिलकर एक हो गए. 3 अक्टूबर की यह तारीख जर्मनी के लिए एकता दिवस (डे ऑफ जर्मन यूनिटी) है.
इस साल 'जर्मन यूनिटी डे' के मौके पर राजधानी बर्लिन में युद्ध विरोधी प्रदर्शन हुए. उत्तरी जर्मनी के श्वरीन शहर में हुए आधिकारिक कार्यक्रम में चांसलर ओलाफ शॉल्त्स और राष्ट्रपति फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर ने भी हिस्सा लिया. जर्मनी का एक ऐतिहासिक शहर श्वेरीन, मैक्लेनबुर्ग राज्य की राजधानी है. इस साल जर्मन एकता दिवस की 34वीं सालगिरह का आधिकारिक कार्यक्रम यहीं हुआ. यहां 'मैकलेनबुर्ग स्टेट थिएटर' में हुए कार्यक्रम में 450 से ज्यादा मेहमान शामिल हुए.
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"नेवर अगेन वॉर"
जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की मौजूदगी में आधिकारिक कार्यक्रम हुए. साथ ही, "नेवर अगेन वॉर" के संकल्प के साथ देश के कई हिस्सों में खास प्रदर्शन निकाले गए. नाजी जर्मनी के अंत के बाद, नए सिरे से गठित लोकतांत्रिक जर्मनी ने अतीत में हुए भीषण अत्याचारों को याद रखते हुए संकल्प लिया कि युद्ध उसकी विदेश नीति का हिस्सा नहीं होगा. इतिहास में हुई क्रूरताओं से सबक लेते हुए मौजूदा और आने वाली पीढ़ियों को चेताना इस "नेवर अगेन" (दोबारा नहीं) संकल्प का भाव है, ताकि वह अतीत फिर कभी ना दोहराया जा सके.
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एकता दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चांसलर शॉल्त्स ने चरमपंथियों और लोकलुभावनवादी शक्तियों के खिलाफ संघर्ष की चुनौतियों को रेखांकित किया. जर्मनी के पूर्वी भाग के तीन राज्यों (सैक्सनी, ब्रांडेनबुर्ग और थुरिंजिया) के विधानसभा चुनावों का जिक्र करते हुए शॉल्त्स ने आगाह किया कि उदार लोकतंत्र से लड़ रहे पॉप्युलिस्ट समूचे देश, अर्थव्यवस्था और जर्मनी की अंतरराष्ट्रीय साख को नुकसान पहुंचा रहे हैं. उन्होंने चेतावनी के अंदाज में कहा, "इस रुझान को पलटने में बहुत मेहनत की जरूरत होगी."
चांसलर ने दिया एकजुटता का संदेश
चांसलर ने इसपर भी जोर दिया कि देशभर में नागरिकों की बड़ी संख्या स्वतंत्र व्यवस्था के सिद्धांतों को मजबूती से बरकरार रख रही है. उन्होंने उम्मीद जताई कि ऐसे लोगों की संख्या चरमपंथियों के मुकाबले कहीं ज्यादा है. उन्होंने कहा, "यह ऐसी चीज है, जो आज जर्मन यूनिटी डे के अवसर पर हमें एकजुट करती है."
जर्मन एकीकरण के ऐतिहासिक घटनाक्रम का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा, "हमें ना तो कभी भूलना चाहिए या इसे कम करके आंकना चाहिए कि 1990 से अब तक पूर्वी जर्मनी में हमने क्या हासिल किया है, यहां हमने क्या बनाया है और एक देश के तौर पर साथ मिलकर हम कितना आगे आए हैं."
जर्मनी के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में अब भी असमानता!
कई विशेषज्ञों के मुताबिक, एकीकरण के इतने सालों बाद भी जर्मनी के पूर्वी हिस्से आधारभूत सुविधाओं, बुनियादी ढांचों, रोजगार, मानव सूचकांक और विकास जैसे पक्षों में देश के पश्चिमी भाग के मुकाबले पीछे हैं. पूर्वी हिस्सों में रोजगार के अवसर भी अपेक्षाकृत कम हैं और आमदनी भी.
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इसी हफ्ते जारी आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि बड़ी संख्या में युवाओं का पूर्वी इलाकों से देश के पश्चिमी भागों की ओर आने का सिलसिला जारी है. पिछले साल 18 से 29 साल के आयुवर्ग में ईस्ट से वेस्ट जाने वाले युवाओं की संख्या पश्चिमी हिस्सों से पूर्वी हिस्सों की ओर जाने वाले युवाओं के मुकाबले 7,100 ज्यादा थी. केंद्रीय सांख्यिकीय विभाग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, "इसका मतलब है कि इस आयुवर्ग में पूर्वी जर्मनी से लगातार हो रहा माइग्रेशन, जो कि 1991 से जारी है, 2023 में भी बरकरार रहा."
इसका संभावित कारण शिक्षा, प्रशिक्षण और रोजगार जैसे पक्ष हैं. डेटा के अनुसार, इस आयुवर्ग में 1991 से अब तक पश्चिमी हिस्सों की ओर पलायन करने वाले युवाओं की संख्या लगभग सात लाख से ज्यादा है. देश के पूर्वी राज्यों में अपेक्षाकृत अलग राजनीतिक रुझान, धुर-दक्षिणपंथी शक्तियों के बढ़ते जनाधार और रूस समर्थक भावनाओं में सोवियत संघ के ऐतिहासिक असर के साथ-साथ संसाधनों के वितरण की असमानता को भी कई विशेषज्ञ अहम वजह मानते हैं.
चांसलर शॉल्त्स ने भी अपने संबोधन में इस पक्ष को शामिल करते हुए जोर दिया कि देश के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में जीवनस्तर में और भी बराबरी व साम्य लाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "जहां भी राजनीति बेहतर अवसर और एकसमान जीवनस्तर ला सके, ऐसा किया जाना चाहिए."
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि "यह विचार कि जर्मन एकता तभी मुकम्मल होगी, जब एक दिन पूर्वी हिस्सा भी बिल्कुल पश्चिमी भाग की तरह होगा, यह आइडिया एकजुट जर्मनी की राह में मददगार नहीं है." उन्होंने आशंका जताई कि यह भावना कड़वाहट और खीझ को बढ़ा सकती है. उन्होंने कहा, "यह (विचार) पूर्वी जर्मनी और पश्चिमी जर्मनी के भीतर मौजूद विशाल विविधता के साथ न्याय नहीं करता."
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युद्ध के विरोध में प्रदर्शन
जर्मन एकीकरण दिवस पर देशभर में कई प्रदर्शन हुए. "नेवर अगेन वॉर" के संकल्प के साथ हो रहे प्रदर्शनों में यूक्रेन युद्ध और मध्यपूर्व के संघर्ष का विरोध प्रमुख थीम है. इसके अलावा कई लोग 2026 से जर्मनी में अमेरिकी मिसाइलों की प्रस्तावित तैनाती का भी विरोध कर रहे हैं. साथ ही, प्रदर्शनों में यूक्रेन और इस्राएल को हथियार देने का भी विरोध किया जा रहा है.
राजधानी बर्लिन में "नेवर अगेन वॉर" मुहिम के प्रदर्शनों में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया और रैली निकाली. प्रदर्शनकारियों ने युद्ध की जगह कूटनीति और बातचीत से मसले सुलझाने की मांग की. कई प्रदर्शनकारी यूक्रेन को सैन्य मदद दिए जाने का भी विरोध करते दिखे. एक रैली में प्रदर्शनकारियों ने गाजा पट्टी के लोगों के साथ भी एकजुटता दिखाई.
रैली में शांति के प्रतीक सफेद हंसों वाले झंडे भी लहराते दिखे. बर्लिन पुलिस ने प्रदर्शनों के बड़े स्तर को ध्यान में रखते हुए करीब 1,000 अधिकारियों को तैनात किया था. पुलिस ने प्रदर्शनों में हिस्सा लेने वालों की अनुमानित संख्या 10,000 बताई है, जबकि आयोजकों के मुताबिक रैली में 30,000 लोग आए थे.
पॉप्युलिस्ट नेता जारा वागननेष्ट भी बर्लिन में एक रैली को संबोधित करेंगी. वागननेष्ट की पार्टी रूस समर्थक मानी जाती है. हालिया विधानसभा चुनावों में पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया है. खबरों के मुताबिक, जर्मनी में यूक्रेनियों के एक संगठन ने "तुम्हारी शांति हमारे लिए मौत की सजा है" शीर्षक के साथ एक जवाबी प्रदर्शन कर रहा है.
एसएम/आरपी (डीपीए)