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राजनीतिअफ्रीका

गैबॉन: एक और अफ्रीकी देश में तख्तापलट

३० अगस्त २०२३

सैन्य अधिकारियों के एक समूह ने गैबॉन में तख्तापलट की बात कही है. इसके साथ ही उन्होंने देश की सभी संस्थाओं को खत्म कर दिया है और देश की सीमाओं को बंद कर दिया है.

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राजधानी लीब्रविल में सैनिकों का स्वागत करते स्थानीय लोग
गैबॉन में तख्तापलट के बाद देश का भविष्य अधर में है लेकिन राजधानी में स्थानीयों ने सेना का स्वागत कियातस्वीर: AFP/Getty Images

गैबॉन में सेना के बड़े अधिकारियों के एक समूह ने चुनावों को खारिज करते हुए सत्ता अपने हाथ में ले ली है. 30 अगस्त को उन्होंने टीवी पर इसकी घोषणा की. सैन्य अधिकारियों ने हालिया चुनावों को अविश्वसनीय बताते हुए खारिज कर दिया. तख्तापलट करने वाला सैन्य समूह ने अपना नाम "कमेटी फॉर द ट्रांजिशन एंड रेस्टोरेशन ऑफ इंस्टिट्यूशंस" रखा है.

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गैबॉन में भारी गरीबी है, लेकिन यह देश संसाधनों के मामले में काफी संपन्न है, खासकर कच्चे तेल के मामले में. देश की स्टेट इलेक्टोरल बॉडी ने पिछले हफ्ते ही राष्ट्रपति अली बोंगो को तीसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने की घोषणा की थी. अगर यह तख्तापलट सफल रहा, तो यह पश्चिम अफ्रीकी और केंद्रीय अफ्रीकी देशों में 2020 के बाद से आठवां तख्तापलट होगा. माली, गिनी, बुर्किना फासो, चाड और नाइजर में पहले ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया को खत्म किया जा चुका है.

सरकार को गैरजिम्मेदार और अस्थिर बताया

तख्तापलट की कार्रवाई के दौरान राजधानी लीब्रविल में गोलियां चलने की आवाजें सुनी गईं. इसके बाद गैबॉन 24 टीवी चैनल पर तख्तापलट की जानकारी देते हुए सैन्य अधिकारियों ने कहा, "गैबॉन के लोगों के लिए... हमने वर्तमान सत्ता का अंत करते हुए शांति की रक्षा करने का फैसला किया है."

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इसके साथ ही गैबॉन की पूरी सेना के नेतृत्व का दावा कर रहे इन सैन्य अधिकारियों ने इस "गणतंत्र की सभी संस्थाओं के अंत" की घोषणा भी कर दी है. उनके मुताबिक, "गैरजिम्मेदार और अस्थिर सरकार की वजह से सामाजिक वातावरण खराब हो रहा था."

गैबॉन का झंडा लेकर राजधानी की सड़कों पर उतरे लोग
सेना की ओर से तख्तापलट की घोषणा के बाद राजधानी में लोग सड़कों पर उतर आएतस्वीर: Gaetan M-Antchouwet via REUTERS

चुनाव के दौरान बढ़ा तनाव

गैबॉन में 26 अगस्त को हुए चुनावों के बाद से ही देश में तनाव था. इन चुनावों के बाद राष्ट्रपति बोंगो अपने परिवार के 55 साल के शासन को आगे भी चलाने के लिए चुने गए थे. जबकि विपक्ष देश की सत्ता में बदलाव की मांग कर रहा था.

चुनावों को अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की गैर-मौजूदगी में कराया गया था. इस दौरान विदेशी मीडिया को भी चुनाव की कवरेज नहीं करने दी गई थी. सारे देश में इंटरनेट बंद कर दिया गया था और प्रशासन ने हर जगह कर्फ्यू लगाया हुआ था. इस मामले में सरकार ने कोई सफाई भी नहीं दी थी.

बोंगो पिछले 14 साल से गैबॉन की सत्ता में हैं. 2019 में सरकारी रेडियो चैनल पर सैनिकों ने कहा था कि उन्होंने राष्ट्रपति अली बोंगो को सत्ता से निकालने के लिए नेशनल रेस्टोरेशन काउंसिल बनाई थी. हालांकि तख्तापलट की यह कोशिश एक हफ्ते से भी कम चली थी. इस षड्यंत्र में शामिल रहे आठ लोगों को गिरफ्तार किया था और दो की हत्या कर दी गई थी.

एडी/एसएम (एएफपी, रॉयटर्स)

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