1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

शेरों से भरा जंगल या सुदूर टापू, हर जगह पहुंचेगा चुनाव आयोग

४ नवम्बर २०२२

चुनाव आयोग ने गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए तीन स्थानों पर मतदान के विशेष इंतजाम किए हैं. घने जंगल के बीच हो या समुद्र के बीच टापू पर, चुनाव आयोग के लिए हर मतदाता जरूरी है.

https://p.dw.com/p/4J3RH
जल्द न मिटने वाली स्याही
भारत में मतदानतस्वीर: Prakash Singh/Getty Images/AFP

भारतीय चुनाव आयोग को अक्सर सुदूर और दुर्गम स्थानों पर भी मतदान की व्यवस्था करने के लिए जाना जाता है ताकि देश का कोई भी पंजीकृत मतदाता मतदान के अपने अधिकार से वंचित न रह जाए.

आने वाले गुजरात विधान सभा चुनावों के लिए भी आयोग ने ऐसे ही विशेष इंतजाम किए हैं, जिनकी जानकारी खुद मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने दी. इनमें से शायद सबसे अनूठा मामला ऊना विधान सभा क्षेत्र का है, जहां गिर के जंगलों के बीच भी एक मतदान केंद्र स्थापित किया जाता है.

जंगल में मतदान 

इतना ही नहीं, इस मतदान केंद्र की इससे भी खास बात यह है कि इसे सिर्फ एक मतदाता के लिए बनाया जाता है. एशियाई शेर के एकलौते प्राकृतिक ठिकाने के रूप में जाने जाने वाले गिर के जंगलों के बीचोबीच बनेज में एक शिव मंदिर है जहां के महंत यहां के एकलौते मतदाता हैं.

यहां रोजाना कई श्रद्धालु मंदिर में पूजा करने आते जरूर हैं, लेकिन महंत हरिदासजी उदासीन यहां अकेले रहते हैं और मंदिर की देखभाल करते हैं. इस बार महंत बनेज में पहली बार अपना वोट डालेंगे. उनसे पहले महंत भरतदास दर्शनदास के लिए मतदान की यह विशेष व्यवस्था की जाती थी. 2019 में उनका देहांत हो गया और उसके बाद महंत हरिदासजी यहां आए.

चुनाव नियमों के तहत चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि हर मतदान क्षेत्र वहां के पंजीकृत मतदाताओं के आवास के दो किलोमीटर के दायरे के अंदर होना चाहिए, इसलिए आयोग को जंगलों के बीच यहां मतदान की व्यवस्था करनी पड़ती है.

हर जगह पहुंचता चुनाव आयोग

इसके अलावा चुनाव नियम ये भी कहते हैं कि मतदान केंद्र किसी धार्मिक स्थल या किसी निजी परिसर में नहीं बनाया जा सकता है. इसलिए आयोग मंदिर के पास ही स्थित वन विभाग की एक बिल्डिंग में मतदान केंद्र स्थापित करता है. इस बार यहां महंत हरिदासजी के एक वोट के लिए यहां आयोग की 15 सदस्यीय टीम जाएगी.

क्या भारत लोकतंत्र के लिए परिपक्व नहीं है?

यहां से करीब 100 किलोमीटर दूर अमरेली जिले में एक और अनूठा मतदान केंद्र है. यहां चारों तरफ से अरब सागर से घिरा शियालबेत नाम का एक टापू है, जहां सिर्फ नाव से ही जाया जा सकता है. लिहाजा चुनाव आयोग के अधिकारी भी यहां समुद्र में नाव से करीब 15 किलोमीटर की यात्रा तय कर टापू पर जाएंगे और मतदान करवाएंगे.

यहां से करीब 400 किलोमीटर दूर भरुच जिले में आलियाबेट नाम का एक और टापू है. यहां के करीब 200 मतदाताओं के लिए मतदान का आयोजन करने में आयोग के सामने एक अलग समस्या आ रही थी - यहां कोई भी सरकारी बिल्डिंग नहीं है.

तो इस समस्या को हल करने के लिए आयोग ने यहां एक बड़े से कंटेनर में अस्थायी मतदान केंद्र बनाया है. केंद्र में पीने के पानी जैसी मूल सुविधाओं का भी इंतजाम किया गया है.

गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए एक और पांच दिसंबर को दो चरणों में चुनाव कराए जाएंगे. मतों की गिनती हिमाचल प्रदेश के साथ ही आठ दिसंबर को होगी. गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीटें हैं. 2017 में हुए चुनाव में बीजेपी ने 99 सीटें जीती थीं. कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर देते हुए 77 सीटें जीती थीं.