वापस लौटेंगी शेख हसीना, कहा बेटे सजीब वाजिद ने
९ अगस्त २०२४शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ कर भारत में शरण लेने के बाद से उनके बेटे सजीब वाजिद जॉय उनकी तरफ से मीडिया से बात करते रहे हैं. लेकिन ऐसा लग रहा है कि जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है, जॉय के बयान बदलते जा रहे हैं.
उन्होंने शुरुआती टिप्पणियां में हसीना के बांग्लादेश लौटने की संभावना से इनकार किया था, लेकिन अब उन्होंने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री निश्चित रूप से अपने देश वापस लौटेंगी. बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार का गठन हो चुका है और देश का नियंत्रण कितने दिनों तक इस सरकार के हाथों में रहेगा, इसकी घोषणा नहीं की गई है.
जॉय के बदलते बयान
जॉय ने मंगलवार, छह अगस्त को डीडब्ल्यू के साथ बातचीत में कहा था कि शेख हसीना की भारत छोड़ कर कहीं भी जाने की कोई योजना नहीं है.
उन्होंने यह भी कहा था कि हसीना इस बात से बेहद दुखी हैं कि "जिस देश के लिए उनके पिता और परिवार के कई सदस्यों ने अपनी जान दे दी, वो खुद जेल भी गईं, मेहनत की, देश का इतना विकास किया, उस देश के लोगों ने उन्हें इस तरह से बेइज्जत किया और उन पर हमला किया."
जॉय ने उसी दिन भारतीय टीवी चैनल वियोन से तो यहां तक कहा था कि बांग्लादेश के लोग "कृतघ्न" हैं, "बांग्लादेश अगला पाकिस्तान होगा", "शेखा हसीना कभी वापस नहीं लौटेंगी" और उनके परिवार और उनकी पार्टी अवमि लीग ने अब बांग्लादेश के लोगों को उनके हाल पर छोड़ देने का फैसला कर लिया है.
लेकिन दो ही दिनों बाद, जॉय के बयान काफी बदल गए हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में उन्होंने कहा कि अवामी लीग और बीएनपी बांग्लादेश की सबसे बड़ी पार्टियां हैं और उनके बिना देश में लोकतंत्र संभव नहीं है.
जॉय की राजनीतिक आकांक्षा
भारतीय अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में जॉय ने यहां तक कहा कि जैसे ही बांग्लादेश में चुनावों की घोषणा हो जाएगी, शेखा हसीना देश लौट जाएंगी. उन्होंने कहा कि अवामी लीग चुनावों में हिस्सा लेगी और जीत भी सकती है.
साथ ही उन्होंने खुद भी राजनीति में आने की बात की. उन्होंने अखबार को बताया कि बांग्लादेश में इस समय नेतृत्व का अभाव है और "अगर मेरे राजनीति में आने की जरूरत पड़ेगी तो मैं पीछे नहीं हटूंगा."
हालांकि इससे पहले के अपने सभी बयानों में उन्होंने कहा था कि वो राजनीति में नहीं आना चाहते. अब अपने इस नए बयान के जरिए उन्होंने राजनीति में कदम रखने की संभावना को भी जन्म दे दिया है.
जॉय का जन्म 1971 ढाका में बांग्लादेश की आजादी की जंग के दौरान ही हुआ था. 1975 में जब उनके नाना शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार के कई सदस्यों की एक सैन्य तख्तापलट के दौरान हत्या कर दी गई, उस समय वो अपनी मां, अपने पिता और अपनी मौसी के साथ तत्कालीन पश्चिमी जर्मनी में थे.
भारत में पले बढ़े
1981 में उनकी मां तो बांग्लादेश की राजनीति में कदम रखने देश वापस लौट गईं लेकिन उन्हें साथ नहीं ले गईं. जॉय भारत में पले बढ़े. बाद में उच्च शिक्षा के लिए वो अमेरिका चले गए और फिर वहीं बस गए. बताया जाता है कि वो वाजिद कंसल्टिंग नाम से अपनी ही एक कंपनी चलाते हैं.
2008 में अवामी लीग ने बांग्लादेश में आईटी ढांचा मजबूत करने के लिए डिजिटल बांग्लादेश अभियान शुरू किया था, जिसकी बागडोर जॉय के ही हाथों में थी. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक 2010 में उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता भी ले ली थी. हसीना के कार्यकाल में उनका बांग्लादेश आना-जाना लगा रहता था.
अब उन्हें अपनी मां के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है. अपने ताजा बयानों में उन्होंने यह भी दावा किया है कि हसीना देश छोड़ना नहीं चाह रही थीं लेकिन जॉय ने फोन पर बात कर उन्हें मनाया और तब जाकर पांच अगस्त को वो विमान में सवार हुईं.