वित्तीय घोटाले की जांच के बीच पूर्व राजा ने देश छोड़ा
४ अगस्त २०२०स्पेन की शाही वेबसाइट पर पूर्व राजा खुआन कार्लोस का एक पत्र जारी किया गया है जिसमें उन्होंने वर्तमान राजा और अपने बेटे किंग फेलीपे VI को लिखा है कि देश छोड़ने का फैसला उन्होंने "उसी उत्सुकता से लिया है जिससे उन्होंने स्पेन की सत्ता संभाली थी.” कार्लोस ने सन 2014 में अपने बेटे के लिए गद्दी छोड़ी थी. उस समय उनकी सेहत ठीक ना होने और वित्तीय घोटालों के आरोप लगने के कारण उन्होंने गद्दी छोड़ी थी. माना जाता है कि कार्लोस समझ गए थे कि अगर वे राजा बने रहे तो स्पेन की राजशाही की प्रतिष्ठा को भारी चोट लग सकती है जिससे देश में राजशाही के भविष्य को लेकर गहरी सामाजिक और राजनीतिक बहस छिड़ने का खतरा था.
लेकिन अब देश छोड़कर चले जाने के बाद भी उनकी कानूनी समस्याएं तो कम नहीं होने वाली बल्कि इसके कारण देश में राजशाही को लेकर बहस तेज हो सकती है. स्पेन की सरकार ने कहा है कि वे पूर्व राजा के फैसले का आदर करती है लेकिन इसी सरकार में उप प्रधानमंत्री पाब्लो इग्लेसियस ने कहा है कि इस तरह बाहर का रास्ता पकड़ना "एक पूर्व राष्ट्र प्रमुख को शोभा नहीं देता.” इस समय स्पेन कोरोना वायरस की महामारी के कारण भी बहुत ज्यादा प्रभावित है और इसके कारण भी स्थानीय राजनीति में बहुत तनाव और ध्रुवीकरण देखने को मिल रहा है.
किन आरोपों की हो रही है जांच
स्पेन और स्विट्जरलैंड के जांचकर्ता पूर्व राजा 82 वर्षीय कार्लोस पर एक बड़े हाई स्पीड रेल के ठेके में घूस लेने के आरोपों की जांच कर रहे हैं. कार्लोस के वकील खावियेर सांचेज-हुंको ने एक बयान जारी कर कहा है कि देश छोड़ने के बावजूद पूर्व राजा "जांचकर्ताओं के लिए उपलब्ध रहेंगे." एक स्विस अखबार ने मार्च में खबर छापी थी कि कार्लोस ने रेल ठेके के सिलसिले में भूतपूर्व सऊदी अरब किंग से 10 करोड़ डॉलर का घूस लिया था. कार्लोस इन आरोपों से इनकार करते आए हैं.
सन 1975 में जनरल फ्रांसिस्को फ्रांको की मौत के बाद गद्दी संभालने वाले राजा कार्लोस को स्पेन को तानाशाही से लोकतंत्र के रास्ते पर वापस लाने का श्रेय दिया जाता है. उनकी गिनती स्पेन के सबसे लोकप्रिय राजाओं में होती थी लेकिन घोटालों के आरोप लगने के बाद से यह धारणा काफी बदल गई. बची खुची कसर उनके अचानक देश छोड़कर चले जाने की घोषणा ने पूरी कर दी. अब भी किंग अमेरिटस की उपाधि उन्हीं के पास है. स्पेनी नागरिकों की राय इस पर काफी बंटी हुई है कि क्या उनका देश छोड़ कर चले जाना सही है या उन्हें वहीं रहकर न्याय प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहिए था.
आरपी/एए (रॉयटर्स, एपी)
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