जम्मू-कश्मीर के दौरे पर जाएंगे विदेशी राजनयिक
१६ फ़रवरी २०२१जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए के हटने के बाद तीसरी बार विदेशी राजनयिक प्रदेश के दो दिवसीय दौरे पर जा रहे हैं. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक प्रतिनिधिमंडल 18 फरवरी को कश्मीर और 19 फरवरी को जम्मू के दौरे पर जा रहा है. इस प्रतिनिधिमंडल में 20 सदस्य शामिल होंगे और इसमें खाड़ी, अफ्रीकी और यूरोपीय देशों के राजनयिक होंगे. खबरों में बताया जा रहा है कि विदेशी राजनयिकों का दल सरकारी अफसरों, जिला स्तर पर डीडीसी चुनाव में सफलता हासिल करने वाले प्रतिनिधियों, व्यापार मंडल के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर सकता है.
करीब 18 महीने बाद बीते दिनों जम्मू-कश्मीर में 4 जी इंटरनेट सेवा बहाल हुई थी, जिसकी लंबे समय से नागरिक समाज के लोग, छात्र, व्यापारी और पत्रकार मांग करते आ रहे थे. सरकार ने 5 अगस्त 2019 को इंटरनेट सेवा बंद कर दी थी. इसी दिन केंद्र ने राज्य का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था. जम्मू कश्मीर के दो जिलों गांदरबल और उधमपुर को छोड़कर राज्य में मोबाइल इंटरनेट पर रोक लगी हुई थी. हालांकि पिछले साल की शुरुआत में 2 जी इंटरनेट सेवा बहाल कर दी थी.
इससे पहले अक्टूबर 2019 में यूरोपीय देशों के प्रतिनिधिमंडल ने घाटी का दौरा किया था और विपक्ष ने इसे ''गाइडेड टूर'' बताया था. सरकार की कोशिश है यह जताने की है कि कश्मीर घाटी में सामान्य हालात तेजी से पटरी पर लौट रहा है. हालांकि विपक्ष सरकार से सवाल कर रहा है कि वह कश्मीर के मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण क्यों कर रही है और विदेशी राजनयिकों के दल को वहां क्यों ले जाना चाहती है. असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में पिछले दिनों सवाल किया कि सरकार सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल घाटी क्यों नहीं ले जाती.
पिछले साल 9 जनवरी को नई दिल्ली स्थित अमेरिकी राजदूत समेत 16 विदेशी राजनयिकों ने घाटी का दौरा किया था और इसके बाद 12 फरवरी 2020 को 25 विदेशी राजनयिकों का दूसरा प्रतिनिधिमंडल भी जम्मू-कश्मीर का दौरा कर चुका है. पहले के दोनों दौरे का आयोजन केंद्र सरकार ने किया था और इस तीसरे दौरे के बारे में केंद्र सरकार ने अभी तक कोई आधिकारिक कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है.
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