भारत: बढ़ रही हैं राजनीति से प्रेरित गिरफ्तारियां
५ जुलाई २०२२उत्तर प्रदेश के संभल में एक ढाबा चलाने वाले तालिब हुसैन को पुलिस ने इसलिए गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उनके खिलाफ हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरों वाले अखबार में मांसाहारी खाना पैक करने की शिकायत की गई थी.
शिकायतकर्ता का कहना था कि ऐसा करने से उसकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई थीं. भारतीय डंड संहिता की धारा 295 ए के तहत यह शिकायत का वैध आधार है और दोषी पाए जाने पर तीन साल तक जेल की सजा का प्रावधान भी है.
लेकिन किस किस तरह के कदम से भावनाएं आहत हुईं यह फैसला पुलिस और अदालतों के विवेक पर छोड़ा गया है. इसी वजह से कई मामलों में छोटी छोटी बातों पर भी इस धारा के तहत कोई ना कोई शिकायत कर देता है और फिर पुलिस आरोपित व्यक्ति को गिरफ्तार भी कर लेती है.
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सालों बाद गिरफ्तारी
पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर को भी पुलिस ने जिन धाराओं के तहत गिरफ्तार किया उनमें यह धारा भी शामिल है. हालांकि दिलचस्प बात यह है कि उनके जिस ट्वीट के खिलाफ 'धार्मिक भावनाएं आहत' करने की शिकायत की है वो ट्वीट उन्होंने 2018 में किया था.
अगर आप किसी के कदम, बयान, संदेश या सोशल मीडिया पोस्ट से आहत हुए हैं तो आप कितनी अवधि तक उसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं, इस सवाल पर भी कानून मूक है. नतीजतन, इस लिहाज से भी गिरफ्तारी पूरी तरह पुलिस के विवेक पर निर्भर है.
मई 2022 में महाराष्ट्र में अभिनेत्री केतकी चितले को उनकी एक फेसबुक पोस्ट की वजह से गिरफ्तार कर लिया गया था. 29 साल की चितले ने फेसबुक पर मराठी में किसी और की लिखी एक कविता डाली थी जिसमें एक ऐसे शख्स की आलोचना है जिसका चित्रण एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार से मिलता जुलता है.
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इस फेसबुक पोस्ट के लिए ठाणे पुलिस की अपराध शाखा ने चितले के खिलाफ आईपीसी की धारा 500 (मानहानि), 501 (मानहानि करने वाली सामग्री छापना) और 153ए (दो समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना) के तहत मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया था.
एक साथ कई एफआईआर
लेकिन सिर्फ ठाणे ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के कई जिलों में चितले के खिलाफ कुल 22 एफआईआर दर्ज की गईं. उन्हें हाल ही में इनमें से सिर्फ एक मामले में जमानत मिली है जिसकी बदौलत वो जेल से बाहर निकल पाई हैं. 21 मामलों में सुनवाई अभी बाकी है.
पुलिस को गिरफ्तारी की इजाजत कानून देता है लेकिन उसके लिए भी एक तय प्रक्रिया है, जिसका अक्सर पुलिस द्वारा उल्लंघन देखा जा रहा है. संभव है कि पुलिस ऐसा राजनैतिक आदेशों के तहत करती हो. कई मामलों में अदालतें पुलिस की कार्रवाई को उलट भी देती हैं.
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जून में सहारनपुर में पैगंबर मोहम्मद के कथित अपमान के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के बाद पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया था. बाद में हिरासत में पुलिस द्वारा आठ लोगों को मारते पीटते हुए दिखाने वाला वीडियो भी वायरल हुआ.
लेकिन उन्हें लगभग एक महीना जेल में रखने के बावजूद पुलिस उनके खिलाफ कोई भी सबूत इकट्ठा नहीं कर पाई. रविवार तीन जुलाई को उनके खिलाफ आरोप साबित नहीं हो पाने के बाद अदालत ने उन्हें बरी कर दिया.