परंपरा को तोड़तीं थाईलैंड की महिला मुक्केबाज
कोविड-19 की वजह से बैंकॉक के लुम्पिनी स्टेडियम में थाई मुक्केबाजी की प्रतियोगिताएं 20 महीनों से स्थगित थीं. अब ये दोबारा शुरू हुई हैं और पहली बार महिला मुक्केबाजों को रिंग में उतरने की इजाजत दी गई है.
मुक्केबाजी और सट्टा
बैंकॉक का लुम्पिनी स्टेडियम थाई मुक्केबाजी या म्वे थाई के लिए मशहूर है. कोविड-19 महामारी के पहले हजारों दर्शक स्टेडियम को भर दिया करते थे. लेकिन इतनी भीड़ सिर्फ मुक्केबाजी देखने के लिए नहीं जुटती थी. यहां जम कर सट्टेबाजी होती थी. वो भी इतनी की कभी कभी सट्टेबाज एक ही दिन में लाखों डॉलर तक कमा लेते थे. थाईलैंड में जुआ और सट्टा लगभग हर जगह गैर कानूनी है.
कोविड में मिला मौका
महामारी के दौरान लुम्पिनी बंद रहा लेकिन अब यह खुल गया है और लगभग क्रांतिकारी बदलावों के साथ खुला है. स्टेडियम की मालिक थाईलैंड की शाही सेना का कहना है कि उसने इस अवधि को एक मौके में बदल दिया. मेजर जनरल रोन्नावत रुअंगसवत कहते हैं, "अखाड़े का पूरी तरह से नवीनीकरण कर दिया गया है, सट्टा प्रतिबंधित कर दिया गया है और महिलाओं को भी मुक्केबाजी में भाग लेने की अनुमति दे दी गई है."
सट्टेबाजी को रोका जा सकता है?
मेजर जनरल रोन्नावत रुअंगसवत ने आगे कहा, "हम इस खेल को साफ करना चाहते हैं और उम्मीद करते हैं कि थाईलैंड में दूसरे स्टेडियम भी ऐसा ही करेंगे. उन्होंने कहा कि सट्टेबाजी की वजह से कभी कभी खिलाड़ियों को हारने के पैसे दिए जा रहे थे. लेकिन विशेषज्ञों को अभी भी संदेह है. विश्व म्वे थाई संगठन के जेड सिरिसोमपन ने चेतावनी दी, "लोग ऑनलाइन सट्टेबाजी करने लगेंगे. सट्टा म्वे थाई के डीएनए का हिस्सा है."
परंपराओं से लड़ाई
लेकिन एक और बदलाव है जो ज्यादा व्यापक लग रहा है. अभी तक महिलाओं के लिए रिंग को छूना भी वर्जित था. एक अंधविश्वास था कि मासिक धर्म वाले शरीरों की वजह से वो जादू टूट जाएगा जो रिंग की रक्षा करता है. लेकिन अब कई स्टेडियम महिलाओं को भी हिस्सा लेने दे रहे हैं. लुम्पिनी में अभी तक महिलाओं को लड़ने की इजाजत नहीं थी.
अखाड़े में गर्व
21 साल की कुलनत ओर्नोक कहती हैं, "हमें बहुत गर्व है कि हम यहां पर लड़ने वाली पहली महिलाएं बनीं. हम सालों से और ज्यादा बराबरी के लिए लड़ाई कर रही हैं." लेकिन इसके अलावा उनके लिए इसका आर्थिक पहलू भी महत्वपूर्ण है. वे कहती हैं, "मैंने लगभग एक साल से एक भी मैच नहीं लड़ा था. मैं एक मैच में 100 डॉलर तक कमा लेती थीं, लेकिन अभी कई महीनों से मेरे पास अपने परिवार का ख्याल रखने के लिए कुछ भी नहीं था."
बराबरी के लिए संघर्ष जारी
27 साल की ऑस्ट्रेलियाई सेलेस्ट मुरिएल हानसेन कुलनत ओर्नोक से हार गईं, लेकिन वो फिर भी संतुष्ट थीं." उन्होंने कहा, "हमने बहुत लंबा रास्ता तय किया है. ये सिर्फ एक मैच नहीं था, उससे कहीं ज्यादा था." (फिलिप बोल)