कोरोना के कहर से धार्मिक आयोजन भी सिमटे
२० मार्च २०२०इंस्टाग्राम पर सर्विस स्ट्रीम की जा रही है, वीडियो लिंक के जरिए प्रार्थना साझा किए जा रहे हैं, मोबाइल फोन पर तरह-तरह के धार्मिक संदेश शेयर किए जा रहे हैं ताकि ऐसे लोगों को आध्यात्मिक सहारा दिया जा सके जिन्हें महामारी के कारण प्रार्थना करने की जगह नहीं मिल रही है. कैलिफोर्निया के सैन डिएगो स्थित चर्च के वरिष्ठ पादरी कहते हैं,"क्योंकि मैं शारीरिक रूप से आपके करीब नहीं हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि मैं भावनात्मक रूप से आपके करीब नहीं हो सकता हूं."
इस चर्च ने रविवार से चर्च में होने वाली प्रार्थना ऑनलाइन कर दी है. समाचार एजेंसी थॉमसन रॉयटर्स से वीडियो इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा, "कमरे में किसी के साथ होना अच्छा होता है...लेकिन ऑनलाइन सर्विस हमें एक मौका देती है कि हम लोगों के पास अधिक रहें क्योंकि हम उनके साथ उनकी जेब में रहते हैं."
कोरोना वायरस का असर ऐसा है कि अब तक दुनिया भर में 10 हजार के करीब लोगों की मौत हो चुकी है और मामले ढाई लाख के पास पहुंच चुके हैं. कोरोना वायरस की तुलना अब विश्व युद्ध द्वितीय और 1918 के स्पैनिश फ्लू से की जा रही है. इटली में कैथोलिक आबादी अधिक है और पादरी तकनीक का सहारा ले रहे हैं. चीन के बाद यहां कोरोना वायरस के चलते सबसे अधिक मौत हुई है. जब 23 फरवरी को खबर आई कि मिलान के आसपास में होने वाली सामूहिक प्रार्थनाएं रद्द कर दी जाएंगी तब पादरी फैबियो जैनिन को लोगों से जुड़े रहने का नया विचार आया. मोबाइल फोन और युवा सदस्यों के साथ उन्होंने इंस्टाग्राम अकाउंट बनाया और रोजाना सर्विस शुरू कर दिया. इस तरह से उन्होंने बंद दरवाजों के पीछे से सोशल मीडिया के जरिए धार्मिक उपदेश दिए. जैनिन कहते हैं, "हमें लगा कि यह सिर्फ कुछ ही दिनों के लिए होगा, लेकिन कुछ दिनों में पूरी दुनिया में उथल-पुथल शुरू हो गई."
जापान से लेकर अमेरिका तक कई धार्मिक समूहों ने प्रार्थनाएं रद्द करते हुए उसे ऑनलाइन स्थानांतरित कर दिया. जैसे-जैसे शहरों का हाल बदल रहा है वैसे-वैसे समुदायों को साथ जोड़ने की कवायद तेज हो गई है. वहीं अमेरिका में बौद्ध धर्म से जुड़ी पत्रिका ट्राईसाइकिल ने लोगों की चिंता को दूर करने के लिए ध्यान लगाने के तरीके ऑनलाइन प्रकाशित किए हैं.
एए/सीके (एएफपी)
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