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समाज

किसान अब करेंगे रेल रोको आंदोलन

आमिर अंसारी
११ फ़रवरी २०२१

किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध का जल्द अंत होता नजर नहीं आ रहा है. किसानों ने अब 18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन का ऐलान किया है. सरकार की ओर से किसानों को बातचीत का प्रस्ताव पहले ही दिया जा चुका है.

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तस्वीर: Dinesh Joshi/AP/picture alliance

संयुक्त किसान मोर्चा ने 18 फरवरी को देशभर में 'रेल रोको' आंदोलन का ऐलान किया है. राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 78 दिनों से किसान जमे हुए हैं. किसानों के आंदोलन की अगुवाई करने वाले किसान संगठनों ने संयुक्त मोर्चा के बैनर तले बुधवार को हुई बैठक में चार कार्यक्रम करने का फैसला लिया. आंदोलनकारी किसानों के नेता डॉ. दर्शन पाल ने एक बयान में कहा कि सयुंक्त किसान मोर्चा की बैठक में आंदोलन को तेज करने के लिए ये फैसले लिए गए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने 12 फरवरी से लेकर 18 फरवरी तक के लिए चार कार्यक्रमों का ऐलान किया है. कार्यक्रम के मुताबिक 12 फरवरी से राजस्थान के भी सभी टोल प्लाजा को टोल मुक्त करवाया जाएगा. इसके बाद 14 फरवरी को पुलवामा हमले में शहीद जवानों के बलिदान को याद करते हुए देशभर में कैंडल मार्च और मशाल जुलूस कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. तीसरे कार्यक्रम के तहत 16 फरवरी सर छोटूराम की जयंती के दिन देशभर में किसान एकजुटता दिखाएंगे. चौथे कार्यक्रम का ऐलान करते हुए संयुक्त मोर्चा ने कहा कि 18 फरवरी को दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक देशभर में रेल रोको आंदोलन का आयोजन होगा.

केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लाए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले साल 26 नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं. आंदोलन के दौरान कई किसानों की मौत भी हुई है, जिनमें ठंड, बीमारी और सड़क हादसे या अन्य कारण शामिल हैं.

Indien Protest von Landwirten
किसान अपने आंदोलन को तेज करने में जुटे. तस्वीर: Seerat Chabba/DW

किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत भी हो चुकी हैं लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है. सरकार ने किसान संगठनों को नए कृषि कानूनों के अमल पर 18 महीने तक रोक लगाने और उनकी मांगों से जुड़े मसलों का समाधान तलाशने के लिए एक कमेटी भी बनाई है. कमेटी अखबारों के जरिए विज्ञापन देकर किसानों और अन्य विशेषज्ञों से राय मांग रही है.

"आंदोलनजीवी" पर वार पलटवार

केंद्र सरकार तीन कृषि कानूनों को किसानों के लिए हितकारी बता रही है. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों पर अफवाह और झूठ फैलाने का आरोप लगाया. इससे पहले मोदी ने राज्यसभा में सोमवार को आंदोलनजीवी शब्द का इस्तेमाल किया था. उन्होंने कहा था, "देश में एक नया समुदाय पैदा हो गया है. वह है 'आंदोलनजीवी', जो आंदोलन के लिए जीते हैं. हमें ऐसे लोगों की पहचान करनी होगी और उनसे देश की रक्षा करनी होगी."

बुधवार को लोकसभा में मोदी ने 'आंदोलनजीवी' शब्द का दोबारा इस्तेमाल किया और कहा, "किसानों के पवित्र आंदोलन को ये 'आंदोलजीवी' कलंकित कर रहे हैं." उन्होंने आगे कहा, "टोल प्लाजा पर कब्जा करना क्या आंदोलन अपवित्र करने का प्रयास नहीं है. लोकतंत्र में आंदोलन का महत्व होता है. लोकतंत्र में आंदोलन होने चाहिए. लेकिन जब 'आंदोलनजीवी' अपने फायदे के लिए आंदोलन का इस्तेमाल शुरू करते हैं तो इसका बहुत नुकसान होता है."

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी द्वारा इस्तेमाल शब्द 'आंदोलनजीवी' पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया, "क्रोनी जीवी है-जो देश बेच रहा है वो."

राहुल का इशारा आम बजट में विनिवेश के जरिए सरकारी उपक्रमों में हिस्सेदारी बेचने को लेकर किए गए ऐलान पर था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने भी आंदोलनजीवी शब्द का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि उन्हें 'आंदोलनजीवी' होने पर गर्व है. चिदंबरम ने ट्वीट में लिखा, "महात्मा गांधी आदर्श आंदोलनजीवी थे."

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