टैक्स हैवन सूची से हटा स्विट्जरलैंड, मॉरिशस और यूएई का नाम
१० अक्टूबर २०१९यूरोपीय संघ ने दिसंबर 2017 में ब्लैक लिस्ट और टैक्स हैवन देशों की एक ग्रे सूची बनाई थी. यह सूची धनी व्यक्तियों या कॉरपोरेशन द्वारा टैक्स बचाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली योजनाओं के खुलासे के बाद जारी की गई थी. जिन देशों को ब्लैकलिस्ट किया गया है उन्हें 28 देशों वाले ईयू के साथ लेनदेन करने पर सख्त नियंत्रण का सामना करना पड़ता है. इससे उनकी छवि को भी नुकसान पहुंचता है.
एक निश्चित समय के अंतराल के बाद इन लिस्टों की फिर से समीक्षा की जाती है. इसी समीक्षा के दौरान मंत्रियों ने यूएई को ईयू के ब्लैकलिस्ट से हटाने का फैसला किया. यूएई को दूसरे और प्रतिबंधों से भी छूट दी गई है. मार्शल द्वीप को इस सूची से तो हटाया गया है लेकिन नौ अन्य प्रतिबंध जारी रहेंगे. यूएई सबसे बड़ा वित्तीय केंद्र है जिसे ब्लैकलिस्ट से हटाया गया है. ईयू ने कहा कि यूएई ने सितंबर महीने में समुद्री निर्माण संरचना में नए नियम अपनाए और टैक्स को लेकर नियमों को पारदर्शी बनाया.
खाड़ी देश यूएई किसी तरह का कॉरपोरेट टैक्स नहीं लेता है. जो लोग अपने देश में टैक्स देने से बचना चाहते हैं, वे अपना व्यवसाय यहां शुरू करते हैं. जो देश टैक्स नहीं लेते हैं, या बहुत कम टैक्स लेते हैं, उन्हें टैक्स हैवन माना जाता है. ईयू ऐसे देशों को खुद ब्लैकलिस्ट सूची में नहीं जोड़ता है. ईयू ने यूएई से अनुरोध किया था कि वह उन नियमों को लागू करे जिससे आर्थिक कार्यों में लगी कंपनियों को ही राहत मिले. उन्हें नहीं जो सिर्फ टैक्स हेराफेरी के लिए वहां काम कर रही हैं.
ब्लैकलिस्ट के हटाने की वजह
ईयू के दस्तावेज से पता चलता है कि सुधार के प्रारंभिक चरण में उन सभी संस्थाओं को छूट दी गई जिनमें यूएई की सरकार का कोई भी निवेश हो. लेकिन यूरोपीय संघ ने उस सुधार को अपर्याप्त माना और सितंबर में एक नए संशोधन के लिए कहा. नए संशोधन में केवल उन कंपनियों को शामिल किया गया था जिनमें यूएई सरकार का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 51% का निवेश था. यूएई के इस कदम को ईयू मंत्रियों ने ब्लैकलिस्ट से हटाने के लिए पर्याप्त माना. अभी भी जिन देशों का नाम ब्लैकलिस्ट में है उनमें बेलीज, फिजी, ओमान, समोआ, त्रिनिदाद और टोबैगो, वनुआतु और अमेरिकी महाद्वीप के तीन क्षेत्र समोआ, गुआम और यूएस वर्जिन आइलैंड शामिल है.
अपने प्रमुख आर्थिक साझेदार स्विट्जरलैंड को यूरोपीय संघ ने ग्रे सूची में शामिल देशों की सूची से हटा दिया है. इस सूची में वो देश थे जो यूरोपीय संघ के मानकों का पालन करने के लिए अपने कर नियमों को बदलने के लिए प्रतिबद्ध हैं. ईयू ने कहा, ''स्विटजरलैंड अपने वादों पर खरा उतरा है और ऐसे में अब इसे लिस्ट में रखने की जरूरत नहीं है.'' ईयू ने मॉरिशस, अलबानिया, कोस्टा रिका और सर्बिया को भी ग्रे लिस्ट से हटा दिया है. अब इस लिस्ट में 30 देश बचे हैं. ग्रे लिस्ट में शामिल देश टैक्स में नियमों में सुधार के अपने वादे पर खरे नहीं उतरते हैं तो उन्हें ब्लैकलिस्ट देशों की सूची में डाला जा सकता है. ऑक्सफेम की कियारा पुटातूरो कहती हैं, "यूरोपीय संघ ने दुनिया के दो बड़े टैक्स हेवन की छवि को व्हाइटवॉश करने की कोशिश की है. हालिया सुधार के बावजूद दोनों देश टैक्स की हेराफेरी करने वाले कंपनियों को लुभाना जारी रखेंगे.
भारत से स्विट्जरलैंड ने साझा की है जानकारी
भारत को नए ऑटोमेटिक इंफॉर्मेशन एक्सचेंज पैक्ट के तहत स्विस बैंकों में खातों के बारे में जानकारी मिली है. भारत उन 75 देशों में शामिल है जिसके साथ स्विट्जरलैंड के फेडरल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन ने एईओआई के वैश्विक मानकों के फ्रेमवर्क के तहत वित्तीय खातों की जानकारी प्रदान की है. अब अगले साल सितंबर महीने में अन्य लोगों के खाते के बारे में जानकारी मिल सकती है.
एईओआई फ्रेमवर्क के तहत वित्तीय खातों से संबंधित जानकारी आदान-प्रदान की जाती है. एईओआई फ्रेमवर्क समझौता 2018 में लागू हुआ. स्विस अधिकारियों ने जिन खातों की जानकारी को साझा किया है उनमें वर्तमान में चालू और 2018 में बंद हुए खाते शामिल है. यह जानकारी पूरी तरह गोपनीय है और एफटीए अधिकारियों ने खातों की संख्या और उसके बारे में विशेष जानकारी देने से मना कर दिया था.
आरआर/एमजे (रॉयटर्स)
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